इंटरव्यू दस्तक में ”इकबाल आजाद”

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आइये आपको रूबरू कराते हैं टीवी सीरियल की दुनियाँ की जानी-मानी शख्शियत
‘इकबाल आजाद’ जी से |
जो &tv पर नये कॉन्सेप्ट के साथ आपके बीच आपकी आशाओं पर खरा उतरने के लिये एक बेहतरीन कहानी ‘वानी – रानी’ सीरियल के जरिये आपके दिलों में उतरने के लिये पूरी ईमानदारी से अहम किरदार के साथ दस्तक दे रहे हैं |
      सामाजिक बदलाव बदलाव के पहरी, मनोरंजन के महारथी, टीवी सीरियल किंग, बहुमुखी प्रतिभा के धनी, बेमिशाल बेदाग सच्ची शख्शियत, सम्मानीय व्यक्तित्व
‘इकबाल आजाद’ जी से बातचीत के कुछ
 अंश :

आकांक्षा –   नमस्ते  सर

इकबाल आजाद जी  –  नमस्ते आकांक्षा

सवाल – आपने वानी – रानी सीरियल को ही क्यों चुना ?

इकबाल – मैं तो कहूँगा कि इस सीरियल ने मुझे चुना | यह बेहतरीन प्रोडक्शन हाउस है और बेहतरीन कॉन्सेप्ट है | जब आप सीरियल देखेगें तो समझ जायेगें | वैसे तो यह तमिल का सुपरहिट टीवी सीरियल रहा है जिसने टीवी इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवाया है जिसने1200 से 1300 सफल ऐपीसोड देकर दर्शकों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी है | तमिल में इस सीरियल की लीड रोल में तमिल की सुपरहिट एकट्रेस राधिका थीं और हिन्दी में मेरे साथ यह रोल जबरजस्त प्रतिभा सम्पन्न, तनवी आज़मी निभा रहीं है |
यह धारावाहिक समाज की सोच को सुन्दर और मानसिकता को उन्नत व स्वभाव को मधुर बनाने की कसौटी पर शत् प्रतिशत् खरा
उतेरेगा |

सवाल- वानी-रानी में अपने किरदार के बारें कुछ बतायें ?

जवाब – इसमें मैं मेरी हार्ड कोड इमेज को इकदम तोड़ता हुआ, सरल स्वभाव का, घर में बड़े भाई से दबा हुआ, बिजनेस में हारा हुआ व्यक्ति का किरदार निभा रहा हूँ |

सवाल – आज के दौर में सीरियल का क्या भविष्य है ?

जवाब- सीरियल का भविष्य पूरी तरह उज्वल है, बुलंदी पर है | यह मनोरंजन का उम्दा साधन है |आप घर के अंदर बैठे-बैठे, ही इंटरटेन होते हैं | उनकी जीवन यात्रा में खुद को जोड़ लेते हैं और बहुत कुछ जीवनोपयोगी अनुभव सीखते हैं जो हमें स्कूलों में नहीं सिखाये जाते | उनके पात्रों में खुद को पाते हैं |उनके दुख-सुख में स्वंय को एकीकार कर लेते हैं | आपको अगर किसी का इंतजार रहता है तो वो है ‘सीरियल’ | सीरियल आने वाले भविष्य में अपना अंदाज बदलेगें जो नवीन तकनीक, नवीन कॉन्सेप्ट लिये फुल थ्री डी इफेक्ट सहित ऐडवेंचर से भरे और समाज को जगाने वाले भी होगें | छोटे सीरियल चलेगें, बड़े सीरियल चलेगें, डिजिटल नेट पर चलेेगें लेकिन चलेगें |

सवाल – आपने टीवी सीरियल में अभिनय की शुरूवात कब से की ?

जवाब ? मैने टीवी सीरियल की शुरूवात आज से 15 साल पहले की थी | मैं 20 साल से थियेटर कर रहा हूँ, हालाँकि अब नही कर पाता हूँ | मैने ऑल ओवर इंडिया, ऑल ओवर वर्ल्ड काफी फैमस, प्रोफेशनल थियेटर किये हैं | मैने 100 से ज्यादा टीवी धारावाहिकों में काम किया | जिसमें दूरदर्शन पर;  तेरे शहर में, कभी सास कभी बहू, नन्ही सी कली मेरी लाडली, स्पेशल स्कॉड, कुछ झुकी सी पलकें, इंतजार और सही, बिग मैजिक पर नादानियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी फैमली इत्यादि काफी धारावाहिक किये हैं | इसी कड़ी में कुछ विज्ञापन भी किये हैं जिसमें कोल्ड ड्रिंक का आपको याद ही होगा कि ‘ये क्या हाल बना रखा है, कुछ लेते क्यों नही| रिन, मारूती, वीडियोकॉन, जिलेट, मैलॉडी, इस टाइप के दर्जनों विज्ञापन किये हैं |

सवाल – क्या आप बड़े पर्दे की हसरत रखते

 हैं ?

जवाब – बड़े पर्दे की हसरत बिल्कुल रखता हूँ | बड़े पर्दे पर मुझे मेरे मूड का रोल नही मिल
रहा | जो मुझे काम देते हैं उससे मैं संतुस्ट नही हूँ | उस तरह तो बड़े पर्दे पर मेरा अटेम्प फेल हो जायेगा| मेरा मत है कि अटेम्प वैसा हो जिससे इम्पेक्ट बढ़े | मैं वेल ट्रैंड़ ऐक्टर हूँ | मुझे ऐसा रोल चाहिये जो मुझे स्टॉम्प लगा दे कि यह है ‘ ‘एक्टर’ |
मैं भीड़ में भी ‘निशान’ छोड़ना चाहता हूँ ,
अपने किरदार में सच को देखना चाहता हूँ,
ज्यादाकुछ नही बस ‘अपनापन’ चाहता हूँ |

सवाल – आपने अभिनय का निर्णय कब लिया?

जवाब – अभिनय का शौक मुझे 7-8 साल की उम्र में ही लगा जब मैने टीवी पर जूनियर मेहमूद का गाना देखा था कि ऐसा बनूंगा मैं ऐक्टर यारों , रंग जमा के छोड़ूंगा | यह गाना मेरे दिल में ऐसा उतरा कि उसी वक्त ठान लिया था कि अब मैं एेक्टर ही बनूंगा |सच पूछो तो आज से 20 साल पहले उन दिनों पटना से बॉम्बे जाना, अभिनय की दुनियां में कदम रखना मेरे लिये एक ख्वॉब जैसा था | मैंने फैमली में किसी को नही बताया और चुपचाप थियेटर करता रहा | मैं कॉलेज भी जाता, एनसीसी भी करता, दुकान, फ्रैक्ट्री भी देखता | फिर, एक दिन चुपचाप तैयारी की और बॉम्बे चला आया | सच पूछो तो आज से 20 साल पहले उन दिनों पटना से बॉम्बे जाना, अभिनय की दुनियाँ में कदम रखना मेरे लिये एक ख्वॉब जैसा था |

सवाल – अभिनय के क्षेत्र में सबसे ज्यादा सहयोग किससे मिला ?

जवाब – अभिनय के क्षेत्र में सबसे बड़ा सहयोग मुझे मेरे आत्मविश्वास ने मुझे दिया और मेरे मरहूम डैडी जिनका नाम मो. याकूब था उन्होने मुझे ऐक्टिंग के लिये कभी मना नही किया |मेरी मम्मी जिनका नाम ज़रीना है| डैडी का सहयोग और मम्मी का दुआओं भरा हाथ हमेशा मेरे सिर पर रहा  | डैडी मुझे हर परिस्थिति में खर्च भेजा करते थे और मेरे साथ खड़े रहे | आज उनकी कमीं बहुत खलती है |

सवाल – क्या टीवी सीरियल से समाज में बदलाव सम्भव है ?

जवाब – टीवी सीरियल समाज में बदलाव का बहुत बड़ा कारण बन सकता है |अगर इसे मनोरंजन के हिसाब से समाज में बदलाव के लिहाज से दिखाया जाये | ईमानदारी से कहूँ तो आज हर चीज को बेहद भावुक और प्रचण्ड तरीके से परोसा जा रहा है | हर चीज को कमर्शियल बनाया जा रहा, अपने फायदे के लिये उसे सीमातोड़ तरीके से यूज किया जा रहा| बाकि, यही वो चीज है जिसका अगर ईमानदारी से सही इस्तेमाल हो तो समाज में बहुत कुछ सम्भव है | हर बदलाव सम्भव है |

सवाल –  अभिनय की दुनियाँ में आने वाले नये कलाकारों को क्या संदेश देना चाहेगें ?

जवाब – नये आने वाले कलाकारों को मैं यही कहना चाहूंगा कि पहले थियेटर करो और ऐक्टिंग में अपनी अलग पहिचान बनाना सीख लो | अगर आपको लगे कि आपके अंदर कुछ नया करने का जज्बा और जुनून है तो ही आओ | वरना आप स्वंय का नाम,पहिचान और घर की मेहनत का पैसा कुछ भी ज्यादा समय तक बनाये नही रख पाओगे | इस टीवी इंडस्ट्रीज में बहुत उतार-चढ़ाव हैं जो ग्लेमर आपको टीवी पर दिखता है वो सिर्फ आपको दिखाया जाता है | जो नही दिखाया जाता वो है ‘असलियत’ जो यहाँ आने पर ही मालूम पड़ती है | यहाँ सफलता के बाद भी अगर आप में परेशानियों से टकराने का मजबूत हौंसला हो तो,
 ‘स्वागत है आपका’ |

सवाल – आप स्वंय को एक लाईन में कैसे परिभाषित करेगें ?

जवाब – मैं ‘इकबाल आजाद’ अपनी फैमली का बहुत सम्मान करता हूँ और ज़िंदगी के हर लम्हें को उसकी ऐहमियत देते हुये जीता हूँ |
इकबाल जी आपने अपना कीमती समय हमारी मैग्जीन) को दिया इसके लिये आपका ससम्मान धन्यवाद | हम सभी से विनम्र प्रार्थना करते हैं कि आप लोग ‘वानी- रानी’ टीवी सीरियल जरूर देखें और जिंन्दगी जीने का नजरिया बदलें जो यह सीरियल की प्राथमिकता है |
साक्षात्कार निर्देशन :
आकांक्षा सक्सेना
न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक

Sach ki Dastak

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