सजगता : कभी सुना है बदहाली का ऐसा भी विज्ञापन

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अपने हमेशा देखा और सुना होगा कि कोई भी कम्पनी पेपर, टीवी आदि में जो विज्ञापन देती है, वह अपनी कम्पनी की तरक्की और खुशहाली के लिए जोर-शोर से अपनी अच्छाई का प्रचार करते हुए देती है पर आज के कुछ अखबारों में टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन ने जो विज्ञापन दिया है वो इसके बिल्कुल उलट है। टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने अपने कारोबार की खस्ता हालत पर लोगों और सरकार का ध्यान खींचने के लिए यह विज्ञापन निकाला है। 

इस विज्ञापन के मुताबिक दावा किया गया है कि इन वजहों से टेक्सटाइल इंडस्ट्री का एक्सपोर्ट पुछले साल के मुकाबले (अप्रैल-जून) करीब 35% घटा है।

 

विज्ञापन का टाइटल है- Indian Spinning Industry Facing Biggest Crisis, Resulting in Huge Job Loses. मतलब भारत का बुनकर उद्योग एक बड़े संकट से गुजर रहा है और इसकी वजह से इस इंडस्ट्री भारी मात्रा में नौकरियां जा रही हैं।

 

. राज्य और केंद्र सरकार के टैक्स और कई तरह की लेवीज की वजह से भारत का ऊन महंगा हो जाता है जिससे ये ग्लोबल मार्केट में प्रतियोगिता नहीं कर पा रहा है।

. इंडस्ट्री को कर्ज ही महंगा मिल रहा है। 

.कच्चा माल भी भारत में महंगा है. इसकी वजह से भारतीय मिलों को प्रति किलो 20-25 रुपये का नुकसान हो रहा है। 

.बांग्लादेश, श्रीलंका और इंडोनेशिया से सस्ता इंपोर्ट भी इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा रहा है। 

 

इससे इंडस्ट्री की एक तिहाई क्षमता भी कम हुई है। मिलें इस हैसियत में नहीं रह गई हैं कि वो भारतीय कपास को खरीद सकें।साथ ही अब इंडस्ट्री में नौकरियां भी जाना शुरू हो गई हैं। 

बता दें कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री करीब 10 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती है. साथ ही ये इंडस्ट्री किसानों के उत्पाद जैसे कपास, जूट वगैरह भी खरीदती है. इंडस्ट्री इस पर सरकार का ध्यान खींचना चाहती है कि सरकार इस इंडस्ट्री की दिक्कतों को हल करने के बारे में सोचे। 

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि देश में स्लोडाउन भारी चिंता की बात है. सरकार को जल्द से जल्द बिजली और एनबीएफसी सेक्टर के संकट से निपटना होगा और प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए सुधार लागू करने होंगे।

वहीं सूरत कपड़ा उद्योग से जुड़े श्रमिकों का कहना है कि जीएसटी के कारण धंधा मंदा हो गया है ऊपर से बाढ़ आने पर माल जहां का तहां फंसा रह गया और बिक्री चौपट हो गई । जीएसटी के कारण अब जल्दी नौकरी मिलने मे मुश्किल हो रही है। भले ही श्रमिकों की नौकरी के लिए संकट खड़ा हुआ है, लेकिन अकाउन्ट का काम करने वालों के लिए चांदी हो गई है। अकाउिन्टंग का काम करने वाले मोहन ने बताया कि जीएसटी के बाद छोटे व्यापारी को भी अकाउन्ट मैन्टेन करना पड़ता है। हर महीने कई रिटर्न फाइल करने पड़ते हैं। इसलिए अब व्यापारियों ने अकाउन्टन्ट रखे हैं। जीएसटी के बाद हजारों की संख्या में अकाउंटेंट कपड़ा मार्केट में जुडे हैं।

Sach ki Dastak

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