5000 साल से बर्फ में था दफ्न, निकला तो नजर आया कुछ ऐसा…

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नई दिल्ली।

 


वह 5,000 साल इटली के आल्प्स पर्वतों की बर्फ में जमा रहा। इतनी ठंड में रहने के कारण वह शव प्राकृतिक ममी बन गया। ओएत्सी द आइसमैन के नाम से मशहूर ये ममी 22 साल पहले 19 सितंबर, 1991 के दिन दो जर्मन पर्यटकों को मिली। 

न्यूरेम्बर्ग के दो पर्यटक हेल्मुट और एरिका ऑस्ट्रियाई, इटैलियन सीमा पर आल्प्स पहाड़ियों की ओएत्स घाटी में घूम रहे थे कि 3,210 मीटर की उंचाई पर बर्फ में दबी यह ममी उन्हें मिली। अगले दिन इसे बाहर निकालने की कोशिश की गई लेकिन खराब मौसम के कारण यह नहीं हो सका।

22 सितंबर को आखिरकार इसके बाहर निकाले जाने की अनौपचारिक खबर आई। इसके बाद इसे इन्सब्रुक यूनिवर्सिटी ले जाया गया। जहां से पता चला कि वह पाषाण युग का है। जेनेटिक रिसर्च के बाद यूरोपीय अकादमी ऑफ बोल्जानो (यूरैक), जारलांड यूनिवर्सिटी, कील यूनिवर्सिटी और बाकी सहयोगियों ने जून 2013 में बताया कि उन्होंने ओएत्सी के मस्तिष्क के ऊतक के बहुत ही छोटे सैंपल से प्रोटीन निकाला और उसका विश्लेषण किया। उनके परीक्षण से उस थ्योरी की पुष्टि हुई कि इस व्यक्ति की मौत मस्तिष्क की चोट के कारण हुई थी।

वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि ओट्जी के आइसमैन ने मृत्यु से एक रात पहले जो भोजन किया था, वह संतुलित तो था, लेेकिन उसमें वसा का स्तर खतरनाक था। वैज्ञानिकों के मुताबिक आइसमैन का अस्तित्व करीब 5300 साल पहले था।

एक जमे हुए ग्लेशियर पर उसकी मौत हो गई।

जब तक उसकी खोज नहीं हुई, तब तक बर्फ में दबे होने के कारण उसका शरीर सुरक्षित रहा।

अब वैज्ञानिकों ने शोध में यह गुत्थी सुलझा दी है कि आइसमैन ने मरने से पहले क्या खाया था।

वसा का स्तर 10 फीसदी था अधिक-

 

वैज्ञानिकों ने बताया कि आइसमैन ने मरने से एक दिन पहले रात्रिभोजन में जंगली बकरी, लाल हिरण का मांस और इंकॉर्न या विषाक्त फर्न नामक एक प्राचीन अनाज खाया था। इस पूरे भोजन में वसा का स्तर करीब 50 फीसदी था।वसा का यह स्तर आधुनिक भोजन में शामिल औसत वसा के स्तर से करीब 10 फीसदी ज्यादा था।

कठोर वातावरण के लिए जरूरी है इतनी वसा-

इटली के बोल्जानो में यूरैक रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ममी स्टडीज के डॉ. फ्रेंक मैक्सनर का कहना है कि उस समय जितनी

ऊंचाई पर आइसमैन शिकार कर रहा था, उसे देखें तो आपको इतनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

इसका सबसे अच्छा तरीका वसा खाना ही है। इससे आपको कठोर वातावरण में जीवित रहने में मदद मिलती है।

ऐसा था हमारे पूर्वजों का आहार-

वर्तमान जीव विज्ञान में प्रकाशित अध्ययन में हमारे पूर्वजों के मैन्यू के बारे में बताया गया है।

इसमें आइसमैन के आहार का विश्लेषण किया गया है, लेकिन, विस्तार से नहीं।

नवीनतम जांच उसकी पेट सामग्री को देखकर की गई है। इससे पता चलता है कि आइसमैन बकरी, लाल हिरण का मांस,

जंगली जहरीले पत्ते, प्राचीन अनाज आदि का सेवन करते थे।

वैज्ञानिकों का कहना है कि हैरानी की बात यह है कि इस अंग को हाल ही में खोजा गया है।

डेयरी उत्पादों से नहीं बनी वसा-

इसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि उनके शरीर में वसा का खतरनाक स्तर डेयरी उत्पादों से नहीं आया है।

इसके पीछे अल्पाइन इबेक्स, यूरोपीय आल्प्स पहाडिय़ों में पाई जाने वाली जंगली बकरियों की प्रजातियां आदि थे।

ये आइसमैन इनका शिकार करके खाते थे।

डॉ. मैक्सनर ने बताया कि उनका आहार कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का संतुलित मिश्रण था।

वह खाना बहुत ही संतुलित था, जो उन्होंने अंतिम रात्रि में खाया था।

Sach ki Dastak

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