पांव पसारता फर्जीवाड़ा – ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

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पांव पसारता फर्जीवाड़ा 

 

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(सोसलमीडिया पर न करें पैसों का लेनदेन) 
 
-आकांक्षा सक्सेना, न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 
 
 
आज 21वीं सदी में हमारा चाल, चेहरा, चरित्र आज देश के समक्ष गम्भीर समस्या बन चुका है। हमारी बन चुकी किसी भी कीमत पर जल्द आगें जाने की मानसिकता में आचरण की पैदा हुई बुराइयों ने पूरे तंत्र और पूरी व्यवस्था को प्रदूषित कर दिया है। स्वहित और स्वयं की प्रशंसा में ही लोकहित है, यह सोच हमारे समाज में घर कर चुकी है। यह रोग मानव की वृत्ति को इस तरह जकड़ रहा है कि हर व्यक्ति लोकहित की बजाए स्वयं के हित लिए सब कुछ कर रहा है। आज इंसान की अंतरिक्ष को चीरती महत्वाकांक्षा ने सबकुछ बर्बाद कर दिया है।इसका एक त्रासद एवं भयावह उदाहरण है सर्टिफिकेट का ऑनलाइन गौरखधंधा । सच कहूं तो आज रूपया इतना नहीं गिरा जितना रूपये के लिए इंसान गिर गया। वैसे हर क्षेत्र में लगे लोगों ने ढलान की ओर अपना मुंह कर लिया है चाहे वह क्षेत्र चिकित्सा का हो या शिक्षा का, सिनेमा का हो या व्यापार का हो, बात पुस्तकों की हो या दवाइयों की, खाद्य सामग्री हो या अन्य जरूरत का सामान- मिलावट, नकली एवं गुणवत्ताहीन चीजों, फर्जी डिग्री डिप्लोमा के रूप में भ्रष्टाचार चारों ओर पसरा पड़ा है। बडा दुखद है कि कुछ तथाकथित खद को बुद्धिजीवी समझने वालों में राष्ट्रद्रोही स्वभाव हमारे लहू में रच चुका है। यही कारण है कि हमें कोई भी कार्य राष्ट्र के विरुद्ध नहीं लगता और न ही ऐसा कोई कार्य हमें विचलित करता है। जिस ब्रिटेन ने हमारे भारतवर्ष को इतने वर्षों गुलाम रखा उसी ब्रिटेन नाम  से तथाकथित बुद्धिजीवी सोसलमीडिया पर फेक अवार्ड व सम्मान सर्टिफिकेट लिये चले जा रहेे हैं और गर्व का अनुभव करते हैं ।
ऐसा लगता है जैसेे कि आज के लोगों का जमीर पूरी तरह मर चुका है और शरीर लोभ में पूरी तरह धंस चुका है।अभी कुछ दिन पहले मैनें न्यूज पढ़ी पूरे 52 करोड़ रुपए का जीएसटी फर्जीवाड़ा हुआ जिसमें एक अधिकारी को गिरफ्तार भी किया जा चुका है वहीं फर्जी टीआरपी मामला। फर्जी सरकारी किताबों व खिताबों का फर्जीवाड़ा, नकली करेंसी का गौरखधंधा, ट्वीटर पर फर्जी फोलोवर का फर्जीवाड़ा। स्पोर्ट्स पर सट्टे लगाने का अंतरराष्ट्रीय गौरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है। कितना दुखद है कि पूरा तंत्र कुम्भकर्ण निद्रा में सोया हुआ है। इस सबके इतर एक तरफ विश्व में कोरोना की मार और दूसरी तरफ़ फर्जी एनजीओ और फ़ाउंडेशन का चैरिटी के नाम पर  वैश्विक स्तर पर लोगों की भावनाओं से खेलकर वैश्विक वसूली का व्यापार खूब फलफूल रहा है वहीं उसमें कोरोना योद्धा सर्टिफिकेट बांटकर अपनी संस्थाओं का प्रचार-प्रसार करने की सोसलमीडिया पर बाढ़ आयी हुई है। यह सर्टिफिकेट उनको भी दिये गये जो घर में कैद रहे हैं और जिन्होंने किसी भी तरह किसी की मदद नहीं की इतना ही नहीं यह सर्टिफिकेट बड़ी कीमतों पर बेचे व खरीदे गये। यह तो बात हुई कोरोनायोद्धा सर्टिफिकेट इससे भी दो पग आगें की बात तो यह है वर्ल्ड रिकार्ड सर्टिफिकेट के नाम पर 10-40 हजार तक वसूले जा रहे हैं जो संस्थान रजिस्टर्ड भी नहीं वह भी वर्ल्ड रिकार्ड सर्टिफिकेट बेच रहे हैं और बड़ी संख्या में अपात्रों को वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर बनाने का फर्जीवाड़ा चरम पर है। बात सिर्फ़ यहीं खत्म नहीं होती हद तो यहां है कि सोसलमीडिया पर अपने एनजीओ व फाऊंडेशन के प्रचार-प्रसार करने वाली सोच का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि वह डॉक्टरेट उपाधि तक ऑनलाइन सोसलमीडिया पर बांट रहे हैं जबकि भारतीय संविधान इसकी मान्यता नहीं देता क्योंकि भारतीय कानून में स्पष्ट वर्णित है कि सिर्फ़ यूनीवर्सिटी ही किसी को रेगुलर व होनरी डॉक्टरेट देने के लिए स्वीकृत संस्था है। यह सब कानून होने के बावजूद भी सोसलमीडिया पर कुछ फर्जी एनजीओ और फ़ाउंडेशन अनपढ़ लोगों से छोटे 8साल के बच्चों से लेकर पढ़े-लिखे इंजीनियर, डॉक्टर, लेखक, पत्रकार, लीडर लोगों तक को बड़ी कीमत पर यह फर्जी डॉक्टरेट बांटने का गौरखधंधा धड़ल्ले से चला रहे हैं और कोई कुछ कहने वाला नहीं।
यह देखकर यहीं कहूंगी कि सोसलमीडिया पर फर्जी सर्टिफिकेट्स का चल रहा है गौरखधंधा और पढ़ा लिखा भी बन रहा अंधा। कृृपया सोसलमीडिया पर किसी को भी अपनी मेहनत की कमाई ट्रांसफर मत करो, यह फेसबुक पर मिलने वाली सब डॉक्टरेट पूरी तरह फर्जी है जिनसेे कभी आपको सरकारी व प्राईवेट नौकरी नहीं लगने  वाली यह सब मैं इस कोरोनाकाल में हर दिन देख रही हूँ कि भारत ही नहीं नेपाल, भूटान, फिलीपींस, ब्रिटेन, लंदन, ईराक, ईरान, अमेरिका, जापान, यूरोप हर कोई एक दूसरे को अपनी संस्था का डिजिटल सर्टिफिकेट देकर एम्बेसडर बनाने की होड़ मची हुई है। बात सिर्फ़ इन्हीं सर्टिफिकेट पर खत्म नहीं होती। चूंकि मुझे यह सर्टिफिकेट  स्वयं मिल रहे हैं जिसे देखकर मैं हैरान हो जाती हूँ और सोचतीं हूं कि कोई बात नहीं पीस ह्यूमैनिटी सर्टिफिकेट से तो विश्व प्रेम और लगाव बढ़ रहा है पर यह पीएचडी और डॉक्टरेट लोग किस कानून की तहत बांट रहे हैं। बता दें कि आज सोसलमीडिया पर फर्जी कम्पनियां, वर्ल्ड रिकार्ड , योगा, नेचरोपैथी यहां तक कि फर्जी नोबेल सम्मान और तो और  फर्जी मार्शल आर्ट्स की संस्थायें और उनके द्वारा जारी किये फर्जी वन डेन, सेविन डेन सर्टिफिकेट से लेकर फर्जी ब्लैक बेल्ट की खरीद फरोख्त का काम भारत में बड़ी संख्या में जारी है।
इससे पत्रकारिता भी अछूती नहीं है कई बिना आरएनआई के फर्जी समाााचारपत्र व यूट्यूब चैनल और कई पत्रकार संगठन जो मेम्बरसिप के नाम पर हजारों डकार रहे हैं और उन्हें यह भी डर नहीं  जिन पत्रकारों को वह लूट रहे हैं वह जाग गये तब इन सबकी दुकानों का क्या हाल होगा। कुुछ लोग भोजपुरी फिल्मों पर सट्टटा लगातेे पकड़े गए हैं और कुछ स्पोर्ट्स पर। हाल यह है कि अदालत में
मुफ्त में तारीख नहीं मिलती, वाहन का लाईसेंस बनवाने जाओ वहां भी रिश्वतखोर बैठे हैं, कानपुर और कोटा जैसे शहरों में कोचिंग की फीस की दलाली होती है। हर जगह भ्रष्टाचार पांव पसारता ही जा रहा है। और
 सच  तो  यह है कि इस फर्जीवाड़े की जड़ें कितनी गहरी हैं यह तो भारत की जांच ऐजेंसियों को पता है पर यह सच है कि फर्जी वीजा, फर्जी पासपोर्ट, फर्जी तरह से दुबई भेजकर किसी पढे लिखे इंजीनियर को बड़ी नौकरी दिलाने के झांसे में लेकर दूर देश भेज कर मजदूर बनाने की कहानी आज किसी से छुपी नहीं है।
मैं यह सब फर्जीवाड़े का पर्दाफाश सिर्फ़ इसलिये कर रही हूं कि यह सब चीजें किसी देश की सुरक्षा में किस तरह सेंधमारी कर सकती हैं। अभी ताजा ही मामला वैश्विक मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ था जिसका नाम है हनीट्रेप मामला जिसमें सोसलमीडिया पर एक देश के युवक से पाकिस्तान के टेरेरिस्ट महिलाओं ने मीठी बातों के जाल में उलझा कर उनसे देश की जरूरी जानकारियां हासिल कर लीं। यही सब आज विश्वशांति मानवता के नाम पर बनाये जा रहे कुछ फेसबुक ग्रुप्स में जिसमें पाकिस्तानी अधिक मात्रा में है जो दिन-रात यूनाइटेड नेशन के नाम पर फर्जी लोग लगाकर सर्टिफिकेट बनाकर धनउगाही कर रहे हैं और हद तो तब हो जाती है जब फेसबुक पर लोग खुद को कैलीफोर्निया के होने वाले मेयर एरिक एडम्स को अपना मित्र बताकर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एडवाइजरी बोर्ड के मेम्बर व डोनाल्ड ट्रंप के करीबी बताकर लोगों को ठग रहे हैं। यहां में बता दूं कि अमेरिका में चुनाव के समय अमेरिकी वेवसाईट पर डोनेशन देकर कोई भी अमेरिकी नागरिक एक्जीक्यूटिव मेम्बर बन जाता है पर इससे वह ट्रंप का करीबी नहीं हो जाता जैसे कि भारत में बीजेपी का मेम्बर बनाओ चुनावी अभियान होता है। और जो डोनाल्ड ट्रंप की फोटो लगा कलम यह कहकर बेचा जा रहा कि वह सिर्फ प्रैसीडेंटल एडवाइजरी बोर्ड मेम्बर को ही मिलता है तो यह बिल्कुल झूठ है। ट्रम्प शॉप नामक वेवसाईट से आप ट्रंप की फोटो लगा कुछ भी ऑडर कर सकते हैं और अमेरिका यूथ अवार्ड,स्टाइल अवार्ड आदि यह सब कोई भी अमेरिकी नागरिक वेवसाईट पीवाईपीस्टोर वेवसाईट, नेशनल फिटनेस फाऊंडेशन वेवसाईट, पीवाईएफपी सर्टिफिकेट वेवसाईट से ऑनलाइन खरीद सकते हैं, मैडल सहित।यहां मैं बता दूं कि यह व्हाइट हाउस का सम्मान बिल्कुल नहीं है।
अपितु कानून तो यह है कि यह है कि  किसी भी अमेरिकी दस्तावेज को कोई भी नागरिक किसी भी देश को बेच नहीं सकता है और अगर वह ऐसा कर रहा है तो अमेरिका में इसके लिये कठोर कानून हैं पर फिर भी कुछ लोग इन्हीं सर्टिफिकेट को फोटोशॉप करके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सिग्नेचर बनाकर लोगों को बेवकूफ़ बनाकर ठग रहे हैं। जब कोई फेसबुक पर उन्हें रोकता है तो वह व्यक्ति कोर्ट की धमकी देता है कि यूपी के लोग पैसा चाह रहे, कोर्ट कार्यवाही की दम चाहिये और खुद को कहता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प से उसकी सैंटिंग है, यह फेक फ्रॉड व्यक्ति फेसबुक पर व कॉल तक पर धमकाने से नही चूकते। खुद अपने लेपटॉप में हजारों ब्लैंक फर्जी सर्टिफिकेट वीडियो पर दिखाकर खुद को संदिग्ध स्थिति में रखे हुए हैं। जबकि लोगों को पता होना चाहिए कि किसी भी देश का राष्ट्रपति जब किसी भी व्यक्ति को सम्मानित करता है तो उसे राष्ट्रपति भवन से सूचना आती है और तब वह व्यक्ति राष्ट्रपति भवन में सम्मानित होता है। यह राष्ट्रपति के सम्मान फेसबुक भवन पर नही लिये दिये जाते।  जबकि कानून कहता है कि कोई अमेरिकी भारत में किसी अमेरिकी सर्टिफिकेट की नीलामी नहीं कर सकता पर यह सब हो रहा है।कुछ लोग भारत के मंत्रियों फर्जी लैटरपैड व फर्जी यूनीवर्सिटी की  फर्जी डिग्री तक सोसलमीडिया पर बेच रहे हैं। आज सोसलमीडिया पर फेक आईडी की हालत यह है कि मोहन दास करम चंद गांधी, नेहरू, नाथू राम गोडसे, रावण, मेघनाथ, मंथरा, बिल गेट्स, अम्बानी, तक के नाम की फर्जी आईडी बनाकर आखिर! षड्यंत्रकारी क्या साबित करना चाहते हैं?
आज सोसलमीडिया पर फर्जी साईट्स मंगल ग्रह चंद्रमा पर जमीन प्लॉट तक बेचकर लोगों को बेवकूफ़ बनाकर ठग हैं। आज पूरा देश फर्जीवाड़े के गिरफ्त में है। मैं सिर्फ इतना कहना कहना चाहती हूं कि सोसलमीडिया पर किसी भी अनजान व्यक्ति को एक भी पैसा ट्रांसफर मत करो और कोई भी सर्टिफिकेट बेच रहा हो तो बिल्कुल ना खरीदें वरना इसके जिम्मेदारी स्वंय आपकी होगी क्योंकि वह सर्टिफिकेट फर्जी हैं। जब आप कहीं जाकर खेले ही नहीं और कोई आपको सेवन डैन ब्लैक ब्लैट दे दे तो यह फर्जी ही है आप यूनीवर्सिटी में पढ़े नहीं और कोई आपको यूनीवर्सिटी की डिग्री दे दो तो यह अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारना है। इसलिये विवेक से काम लो। अपनी निजि जानकारियांं जैसे बैंक डिटेल, पासपोर्ट, आधार कार्ड आदि, सोसलमीडिया पर किसी भी व्यक्ति को देने से बचें।
अब चिंता  तो यह है कि कुछ देशद्रोही, पाकिस्तानी षड्यंत्रकारी अपने एम्बेसडर वाले सर्टिफिकेट में भारत लिखकर अन्य देशों के पढ़े लिखे काबिल लोगों को बेवकूफ़ बनाकर उनसे धनउगाही करके उनके आधारकार्ड लेकर शैक्षिक योग्यता सर्टिफिकेट लेकर उनकी जानकारियां लेकर सोफ्टवेयर के जरिये चीन को बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे होगें और यह विश्व विदित है कि चीन की विस्तारवादी नीति के चलते वह पूरी दुनिया की जासूसी करने में माहिर रहा है इसलिये चीन की कई ऐप्स पर भारत सहित अमेरिका व रूस तक ने बेन लगाया हुआ है। मैं यह सब बात इसलिए लिखने को मजबूर हुई हूं कि मैं देख रही हूँ कि मेरा भारतवर्ष गहरे फर्जीवाड़े की चपेट में आ रहा है। इसलिए मेरा आवाज़ उठाना जरूरी हो गया क्योंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है जिसे हल्के में लेना भविष्य के लिए बहुत भारी पड़ सकता है। इसलिए अब मेरा भारत सरकार से यह सवाल है कि यह ऑनलाइन फर्जी डॉक्टरेट और मंत्री, व अमेरिकी राष्ट्रपति सिग्नेचर वाले सर्टिफिकेट, व वर्ल्ड रिकार्ड सर्टिफिकेट आदि के पांव पसारते फर्जीवाड़ा  से फलफूल रहे घातक गौरखधंधे पर किस कानून के तहत बेन लगाया जा सकेगा और इसे रोकेगा कौन? उस दिन का मुझे और मुझ जैसे तमाम सत्यप्रेमियों व देशप्रेमियों को बेसब्री से इंतजार रहेगा।

Sach ki Dastak

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