जल की अनदेखी से होगा जल प्रलय ✍️ आनंद नाथ गुप्ता, एडवोकेट

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अंतरराष्ट्रीय जल दिवस जल संरक्षण के अंतर्गत विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ।

‘एक विचित्र पहल’ सेवा समिति रजि. औरैया द्वारा आज दिनांक 22 मार्च 2022 दिन मंगलवार को प्रातः7 बजे अंतरराष्ट्रीय जल दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए समिति के संस्थापक आनन्द नाथ गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि जल सभी जीवों की मूल आवश्यकता है, जबकि जल संरक्षण आज हम लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, हमारा संपूर्ण जीवन पूर्णतया जल पर ही निर्भर है, इसलिए जल संरक्षण के संबंध में विचार मंथन व लोगों को जागरूक करना हम लोगों की नैतिक जिम्मेदारी हैं।

अंतरराष्ट्रीय जल दिवस मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1992 में अपने अधिवेशन में 22 मार्च को की थी, सर्वप्रथम वर्ष 1993 को पहली बार 22 मार्च के दिन समूचे विश्व में अंतरराष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण के अंतर्गत विचार गोष्ठी व जागरूकता फैलाने का कार्य प्रारंभ किया गया था। गौरतलब है कि जल की निरंतर बर्बादी के चलते निकट भविष्य में जल प्रलय की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता हैं।

विचार गोष्ठी में डॉ. मिथुन मिश्रा ने बताया कि जल बहुमूल्य मोती हैं, जल की प्रत्येक बूंद मोती जल के बिना जीवन अस्तित्व में नहीं रह सकता सभासद छैया त्रिपाठी ने बताया कि जल पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, जल सोने की तुलना में सबसे मूल्यवान पदार्थ है। होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डॉ. ओमवीर सिंह ने बताया कि पृथ्वी 70% जल से ढकी हुई है, लेकिन 97% पृथ्वी का जल खारा है 1.75% ताजा जल बर्फ के रूप में है, जबकि 0.75 प्रतिशत जल जमीन एवं 0.5 % सतह जल झीलों और नदियों में मौजूद हैं, जीवन जल से प्रारंभ होता हैं, जल ही जीवन है, इसे बर्बाद न करें, जल संदेश व संदेश वाहक हैं।

जल हमारी चेतना को दर्शाता है जीवन का जश्न मनाने के लिए जल से स्नेह करें।

जल मुख्य रूप से 80% वैश्विक जल संसाधन मानव गतिविधियों से प्रदूषित होते हैं, प्रदूषित जल सीधे शुद्ध जल के स्रोत के साथ मिल कर जल को तीव्रता से प्रदूषित करता है, पृथ्वी ग्रह व पृथ्वी पर मानव जीवन को बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से जल को बचाना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है।

शपथ –

अंतरराष्ट्रीय जल दिवस के अंतर्गत विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है, संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1992 में अपने “एजेंडा 21” में रियो डी जेनेरियो ने इसका प्रस्ताव दिया था, “जल है तो कल है” इसी संदेश के साथ समिति के सदस्यों ने स्वयं जल संरक्षण व लोगों को पानी का दुरुपयोग न करने हेतु जागरूक करने की शपथ भी ली।

यमुना तट पर स्थित राम झरोखा में आयोजित विचार गोष्ठी में प्रमुख रूप से बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी शेखर गुप्ता, तेज बहादुर वर्मा, राकेश गुप्ता, रानू पोरवाल, मनीष पुरवार (हीरू), व्यापारी नेता नीरज पोरवाल, रमेश प्रजापति (हेलमेट बाबा), आदित्य पोरवाल, कपिल गुप्ता, अर्पित गुप्ता, आनन्द गुप्ता (डाबर), अनिल पोरवाल, रज्जन बाल्मीकि आदि लोग मौजूद रहे।

Sach ki Dastak

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