मुख्यमंत्री बनना फिर भी सरल है पर पूरे प्रदेश की गरीब बहनों का भाई बनकर उनका विवाह सम्पन्न कराना यह सचमुच अद्भुत है। 

सचमुच कुछ योजनाएं ऐसी होतीं हैं जिनकी आत्मा में विश्व नापने की अद्भुद शक्ति समाहित होती है हम बात कर रहे है, हमारे उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस महानतम सोच की जिसने उन्हें यूपी की हर बेटी का बड़ा भाई बना दिया, जी हाँ इस विराट सोच की उपज इस योजना का नाम है ‘सामूहिक विवाह योजना’। सुनने में साधारण भले ही लगे आपको पर जब इसकी गहराई में जाओ तो पता चलता है कि यह योजना बेटियों के जीवन से जुड़ी है, उनकी श्वासों से जुड़ती है, मैं तो साफ कहती हूँ इस योजना को भारत के सभी सभी राज्यों में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में क्रियान्वित होना चाहिए। 

आपको बता दें कि हमारे आपके दैनिक जीवन में जौंक की तरह खून चूसती सामाजिक परम्पराओं के नाम पर धन मांगने जैसी क्रूर प्रथा ‘दहेज’ ऊपर से बड़ी दावतें जिनमें बड़े पैमाने पर बर्बाद होता भोजन। से गरीबों और अमीरों में भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना एक रचनात्मक और समानता की भूमिका का निर्माण कर रही है, जिसका व्यापक स्तर पर स्वागत और अनुकरण किया जाना चाहिए। और मा. मुख्यमंत्री जी की इस महान सोच को भी इस प्रेरक योजना को अपनाकार क्रियान्वयन करना चाहिए। जिससे समाज में सुख, शांति समृद्धि, समानता, प्रेम और सौहार्द का सुन्दर माहौल बना रहे जिससे समाज इन रूढ़ियों से उबर कर विकास के पथ पर अग्रसर हो सके।

हम बात कर रहे हैं योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा समाज को नई दिशा देने के लिए दुखी पीड़ित गरीब हिन्दू एवं मुस्लिम बेटियों के राज्यभर में सामूहिक विवाह का भव्य आयोजन करके समाज-सुधार का एक अनुकरणीय कार्य किया है व सामाजिक ‘गरीब का घर बसाओ क्रांति’ का शंखनाद किया है। देखने वाली बात तो यह है कि एक ही महा पंडाल में मंत्रोच्चारण के साथ जहां हिन्दू जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया जाता है वहीं उसी पंडाल में मुस्लिम रीति-रिवाजों से निकाह भी कराए जाते हैं। जबकि कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ एक कट्टर हिंदू चेहरा हैं पर सोचने वालों को यह सामूहिक विवाह योजना के जरिये योगी आदित्यनाथ का जवाब है कि मानवता सबसे बड़ी चीज है जो कि गरीब बेटियों का घर बसाने के शुभ कार्य से सीचीं जा रही है। 

इस योजना से पूरे उत्तर प्रदेश में 21 हजार गरीब बेटियों के घर बसाये जा चुके हैं। आज के दौर में जब शादियों पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं,जिसमें लोग सम्पन्नता के एक स्तर तक पहुंचते ही दिखावा करने लगते हैं और वहीं से शुरू होता है प्रदर्शन का भयावह हलालल या कहें कि चीन की दीवार से भी बड़ी हो जाती है अमीर और गरीब की शादी के बीच की दीवार। यही सब चीजें अतिभाव और हीन-भाव पैदा करते हैं जिनका परिणाम होता है दहेज़ के कारण गरीब की बेटी जलायी जाये या दफ़ना दी जाये या उसे कोर्ट के चक्कर काटने पड़ जायें पर कहां से लाये वह पांच लाख की कार और दस लाख रूपया? इन सब को दरकिनार करते हुए योगी सरकार ने इस दिशा में पहल करके न केवल समाज को नया जीवन-दर्शन दिया है बल्कि राजनीति को भी एक नया धरातल, दर्शन एवं दिशा दी है। बहुत से नेता भाषण तो देते हैं कि बेटियों की चिंता करेगें पर चुनाव जीतने के बाद वो स्वंय की चिंता करने लगते हैं। सच तो यह है जब तक उपदेश देने वाले स्वयं व्यवहार में नहीं लायेंगे। सुधार के नाम पर जब तक लोग अपनी नेतागिरी, अपना वर्चस्व व जनाधार बनाने में लगे रहेंगे तब तक लक्ष्य की सफलता संदिग्ध ही रहेगी। यदि जमीनी स्तर पर सुधार के लिये सरकार आगे आती है तब ही बड़े परिवर्तन सामने आते हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सामूहिक विवाह योजना की शुरूआत करके एक बड़ी समाज-सुधारक एवं जनकल्याण की योजना को आकार दिया, यह योजना ऐसे गरीब परिवारों के लिए है जो अपनी बेटियों की शादी का खर्च नहीं उठा सकते। उन परिवारों की लड़कियों का विवाह सामूहिक विवाह के रूप में किया जाता है। यह योजना एक अच्छी पहल है ताकि गरीब परिवार अपनी बेटियों को बोझ नहीं समझें। इस योजना का लाभ गरीब, विधवा तथा तलाकशुदा महिलाएं भी उठा रही हैं। योगी आदित्यनाथ यद्यपि गुरु गोरखनाथ पीठाधीश्वर महंत हैं,बचपन से ही समाज-सुधारक रहे हैं, जिस तरीके से उन्होंने गरीब बहनों का भाई बन उनके विवाह की जिम्मेदारी ली है सचमुच बहुत सराहनीय है इस योजना को पूरे देश में बड़े स्तर पर लागू होना चाहिए। इससे गर्भ में बेटियां सुरक्षित तो रहेगीं क्योंकि दहेज़ के डर से बड़े पैमाने पर भ्रूण हत्याएं होती थी और बेटियों का रेसियो गिरता जा रहा था। जिसपर अब लगाम लग चुकी है। गौरतलब है कि योगी सरकार ने एक वर्ष में सामूहिक विवाह के लिए 250 करोड़ का बजट प्रावधान किया था। इस योजना से समाज में सर्वधर्म और सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा। दहेज के कलंक से मुक्ति मिलती है और विवाह उत्सव में अनावश्यक खर्च पर रोक लगती है। 

यह योजना हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध सभी धर्मों सभी समाज के उत्थान के लिए उपयोगी है बता दें कि मुस्लिम बहने तीन तलाक कानूनी रूप से खत्म होने के बाद भी तीन तलाक के मामले सामने आ रहे हैं।इसके कारण यही हैं कि संयुक्त परिवारों के घटते प्रभाव व आधुनिकीकरण के कारण ऐसे मामले बढ़े हैं। सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन के लिए शादियों को पवित्र बंधन का संस्कार बनाया जाए, न कि वैभव के प्रदर्शन का। आज सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था बदलाव चाहती है और बदलाव का प्रयास निरंतर चलता है। चलता रहेगा। यह भी नियति है, यह भी प्रकृति है और प्रकृति भी स्त्रीतत्व है। 

अंत में यही कहूंगी कि सरकार की कोई भी योजना हो वह जब तक वास्तविक पात्रों तक नहीं पहुंचती तब तक वह अपने मुकाम को हासिल नहीं होती, सरकार को पूरा ध्यान देना चाहिए कि सामूहिक विवाह में जो साम्रगी बांटी जा रही है,उसकी सत्यता और प्रामाणिकता जांच के दायरे में आकर कहीं सरकार की किरकिरी तो नहीं करा देगी। यह सब चीजों के प्रति सरकार को बहुत ही सजग रहने की आवश्यकता है। तभी सरकार की जो विराट सोच है सामूहिक विवाह को लेकर वह ठीक तरह से फलीभूत हो सकेगी। 

धन्यवाद 🙏💐

-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना,न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 

Sach ki Dastak

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