झारखंड : विधायकों को याद आयी साईकिल

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विधायक अंबा प्रसाद की साईकिल याद होगी आपको। झारखंड का राजनीतिक मिजाज राज्‍यसभा चुनाव के आते ही तल्‍ख हो गया है। कांग्रेसी जहां एक दूसरे को बेनकाब करने में लगे हैं, वहीं बड़े नेता का दम भरने वाले फुरकान की चुस्‍ती प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के दांव से फुर्र हो गई है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष पर लगातार बाधित हो रही सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलने से बजट सत्र में सत्‍ता पक्ष और विपक्ष की तल्‍खी थोड़ी कम हुई है।

समय के साथ कई विधायकों ने साइकिल की सवारी शुरू कर दी। सेहत की साइकिल पर एक-दो नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक विधायक चढ़ चुके हैं। हाथ छाप से लेकर कमल छाप तक। न रंग हरा हुआ और न ही भगवा। अब आप भी पूछिएगा कि साइकिल किसकी है। सो, भाई हमने भी पता लगा ही लिया। साइकिल कांग्रेसी है और अभी-अभी पार्टी में आई है। दूसरी पार्टी तो ऐसे छोड़कर आई कि उसका नाम लेनेवाला कोई रहा ही नहीं। हालांकि विधानसभा का प्यार उस पार्टी का नाम मिटाने के लिए तैयार नहीं है। नियमों का अड़चन भी है। खैर, साइकिल का दलगत राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और यही कारण है कि जिस साइकिल पर पहली सवारी अंबा ने की उसपर सभी दलों के विधायक दिख चुके हैं। 

गजब सीन, साथ हुए बागी 3

बागी तीन फिल्म नहीं हम तीन बागियों की बात कर रहे हैं। विधानसभा के बॉक्स ऑफिस पर इन्होंने ऐसी धूम मचाई के पिछली सरकार औंधे मुंह गिरी। ये तीन बागी थे राजग के और तीनों ने जीत दर्ज कर ली। राजग के पुराने साथी आजसू के साथ-साथ विधायक सरयू राय, अमित यादव तीनों ने बगावत की थी और अब तीनों भाजपा के लिए जरूरी भी हो गए। ऐसे में तीनों बागी का साथ मिलने से भाजपा के लिए पूरा सीन ही पलट गया है। उम्मीदवार की जीत की पूरी गारंटी हो गई है। हालांकि जब तक आंकड़े गिन न लिए जाएं तब तक जीत हार पर कुछ कहना भी गलत है। लेकिन, पुराने बागियों की मुलाकात से साफ हो गया है कि कांग्रेस अपने मंसूबे में कामयाब नहीं होगी। पार्टी को राज्यसभा चुनाव में जीतने के लिए इस बार कोई जादू ही करना होगा। 

चंदा मिलेगा तो गिफ्ट बंटेगा

झारखंड में राज्यसभा चुनाव को लेकर गिफ्ट बंटने की परिपाटी रही है। कभी-कभी तो गिफ्ट बांटनेवाले पकड़े भी गए लेकिन परिपाटी खत्म न हुई। खत्म हो जाए तो फिर परिपाटी ही क्या। लेकिन, इस बार उम्मीदवार ही ऐसे आ गए हैं कि कुछ मिलने की उम्मीद ही नहीं दिख रही। जो सबसे बड़े हैं उनसे आशीर्वाद भी मिल जाए तो बड़ी बात होगी और जो दूसरे नंबर पर हैं उनसे मांगेगा कौन। वे खुद सबसे मांग-मांग कर अपनी जीत तय करने में लगे हैं। पुरानी अदावत और झगड़े भी भूल गए हैं। अब बात रही तीसरे की। उनकी ओर से कुछ लोगों ने जान-पहचान वालों से गुजारिश भी की है कि चुनाव में कम से कम एक-एक घड़ी देना तो बनता ही है। इस गुजारिश को सुना सभी ने लेकिन किसी ने हामी नहीं भरी। अब हारे हुए पर बाजी कौन लगाता है सभी जानते हैं। 

पहले शानदार, अब सलाहकार

भाई कांग्रेसी तो चुप बैठ ही नहीं सकते और पावर मिल जाए तो ताकत भी देखते जाइए। ऐसे ही एक कांग्रेसी की ताकत को पूरे प्रदेश के लोगों ने देखा है। जबसे उन्हें मंत्रालय में जगह मिली है, दिन-रात ट््वीट पर ट्वीट, काम पर काम। पब्लिक से उनके शानदार परफार्मेंस पर आशीर्वाद रूपी इनाम भी मिल रहा है लेकिन उनके ज्ञान का भंडार अब छलकने लगा है। सो, अपने विभाग के साथ-साथ मुख्यमंत्री को भी सलाह देने लगे। तमाम विषयों पर कभी चि_ी लिखते हैं तो कभी ट्वीट करके सरकार को सलाह दे देते हैं। पार्टी पदाधिकारियों को भी नहीं छोड़ते और विभाग में अधिकारियों को भी नहीं। अब शिकायत करनेवाले तो चारों ओर होते ही हैं सो उनके खिलाफ भी लोग लग गए हैं। सलाह सभी को पचती भी नहीं ना। अब देखने की बात होगी कि मिस्टर शानदार की सलाह कैसे ली जाती है। 

राज्यसभा चुनाव के लिए पीएल पुनिया बने पर्यवेक्षक

झारखंड में राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य पीएल पुनिया को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने विभिन्न प्रदेशों में राज्यसभा चुनाव को लेकर पर्यवेक्षक मनोनीत किया है, जिसके तहत झारखंड में भी पीएल पुनिया को पर्यवेक्षक मनोनीत किया है। एक दो -दिनों के अंदर पीएल पुनिया झारखंड दौरे पर आ सकते हैैं। पुनिया गठबंधन के दोनों उम्मीदवारों की विजय सुनिश्चित कराने के लिए रांची में  विधायकों से रायशुमारी करेंगे और भावी रणनीति तय करेंगे।

Sach ki Dastak

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