कश्मीर फाइल्स फिल्म के जेहादी आज भी ज़िन्दा
बिट्टा कराटे अलगाववादी नेता है, कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या और आतंकवाद से संबंधित आरोपों में जेल में डाला गया था. उसे सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत भी गिरफ्तार किया गया था. बिट्टा पर 19 से अधिक उग्रवाद से संबंधित मामले थे. 2008 में अमरनाथ विवाद के दौरान भी उसे गिरफ्तार किया गया था. बिट्टा मार्शल आर्ट में ट्रेंड था, इसलिए उसके नाम के आखिर में लोग कराटे लगाने लगे. बिट्टा कराटे ने करीब 16 साल सलाखों के पीछे बिताए, आखिर में 23 अक्टूबर, 2006 को टाडा अदालत ने उसे जमानत पर रिहा कर दिया.
सोशल मीडिया पर कई लोग आपबीती साझा कर रहे हैं। ये कहानियां लोगों को दहला रही हैं। ऐसी ही एक कहानी कश्मीर में पैदा हुए राजीव पंडित की। उन्होंने 1990 में हुई दर्दनाक घटना ट्विटर पर लोगों के साथ शेयर की है। राजीव ने ट्वीट्स में बताया है कि बचपन में उनके घरवालों के साथ खेलने वाला बिट्टा कराटे कैसे सनकी आतंकी बन गया। उन्होंने बताया है कि कैसे बिट्टा ने पहचानने में जरा सी चूक कर दी और उनके मामा की जगह किसी और को गोली मार दी थी। उन्होंने बताया कि ये वही मामा थे जिन्होंने बचपन में बिट्टा को स्कूल जाने के लिए पैसे भी दिए थे।
राजीव कश्मीरी ओवरसीज असोसिएशन के डायरेक्टर हैं। उन्होंने ट्वीट किया, फारूक अहमद डार साइकोपैथ आतंकी बनने से पहले सामान्य सा बच्चा था। उसे लोग बिट्टा कहकर बुलाते थे। वह श्रीनगर में मेरे परिवार के साथ क्रिकेट खेलता था। मेरे मामा ने उसे स्कूल जाने के लिए पैसे भी दिए थे। बिट्टा पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर (POK) से आतंक की ट्रेनिंग लेकर लौटा तो उसे मेरे मामा को मारने का ऑर्डर मिला। बिट्टा के एक और साथी JKLF आतंकी ने मेरे मामा को घर से काम के लिए निकलते देखा वह हब्बा कदल के पास से गुजर रहे थे। मेरे मामा को पीछे से करीब से शूट करने का प्लान था।
खबरी ने 16 फरवरी 1990 को मेरे मामा को 9:30 बजे घर से निकलते देखा। वह लेदर जैकेट पहने थे। बिट्टा को यह सूचना दी गई थी और उसकी पिस्टल तैयार थी। अचानक मेरे मामा को याद आया कि उनके बड़े भाई का जन्मदिन है तो वह पूजा में हिस्सा लेने के लिए वापस घर चले गए। खबरी यह नहीं देख पाया कि मेरे मामा वापस चले गए हैं। मेरे मामा के घर से कुछ ही दूरी पर 26 साल के एक कश्मीरी हिंदू अनिल भान अपनी नौकरी के लिए जा रहे थे। उनकी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली थी। बिट्टा कराटे ने लेदर जैकेट में कश्मीरी हिंदू को देखा। उसे लगा कि यह मेरे मामा हैं। उसने पीछे से फायर कर दिया। आप कभी भी उस मां चीखें नहीं भूल सकते जिसने खून के तालाब में अपने बेटे को देखकर चीखा हो।
बताया अब तक क्यों थे चुप…?
आतंकियों ने माना कि उन्होंने गलत इंसान को मार दिया है। अनिल की कुर्बानी की वजह से मेरे मामा आज भी जिंदा हैं। लेकिन न अनिल की मां, न मेरे मामा किसी को यह दर्द न झेलना पड़े। मैंने अब तक ये क्यों नहीं बताया? क्योंकि 30 साल से कश्मीरी हिंदुओं के बारे में यूएस, कांग्रेस और मीडिया में बोलने के बाद, मुझे नहीं लगता कि सुना गया। विवेक अग्निहोत्री का शुक्रिया।
बिट्टा कराटे का लव –
‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)’ के कारण फिर से चर्चा में आए 1990 के दशक के कश्मीरी पंडितों का हत्यारा और कभी खूंखार आतंकी रहे फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे (Farooq Ahmed Dar alias Bitta Karate) को लेकर एक बेहद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिट्टा ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा (KAS) की अधिकारी से निकाह (इस्लामिक वैवाहिक अनुबंध) किया था। प्रशासनिक अधिकारी का पद बेहद शक्तिशाली और संवेदनशील होता है।
इस अधिकारी का नाम है असाबा अर्जुमंद खान। दोनों की जान-पहचान 1990 के दशक में हुई थी, जब घाटी में आतंकवाद अपने चरम पर था और बिट्टा कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार में शामिल था। बिट्टा बिट्टा को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे भेज दिया गया। लगभग 16 साल जेल में रहने के बाद TADA कोर्ट ने उसे साल 2006 में जमानत पर रिहा कर था।
असाबा खान ने 1999 में कश्मीर विश्वविद्यालय से जनसंचार और पत्रकारिता में एमए किया। इसके बाद उन्हें कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में संपादक के रूप में नियुक्ति मिल गई। साल 2003 से 2007 तक इस पद पर रहीं। इसके बाद जर्मनी से ‘पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज’ का कोर्स भी किया। साल 2009 में खान ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) परीक्षा उत्तीर्ण की और सामान्य प्रशासनिक विभाग में तैनात हुईं।
दोनों ने साल 2011 में निकाह की घोषणा की थी और मार्च 2015 में निकाह किया था। तब असाबा ने कहा था, “उनसे (कराटे से) शादी करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मेरे नजदीकी लोगों को जब पता चला कि मैं एक अलगाववादी के साथ निकाह कर रही हूँ तो उन्होंने चिंता जाहिर की थी, लेकिन मैंने उन्हें समझा दिया कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।”
बिट्टा कराटे ने निकाह से पहले कहा था, “सरकारी सेवा में लगे सभी लोग आजादी के समर्थक हैं। आजादी मेरा पहला और आखिरी प्यार है और यह शादी उससे कोई समझौता नहीं करेगी।” उसने उदाहरण देते हुए कहा था, “मेरे दोस्त जावेद मीर (जेकेएलएफ आतंकी) की पत्नी एक सरकारी वकील है। इसी तरह, नईम खान (एक आतंकी) ने विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर से शादी की है।”
बिट्टा कराटे ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने उसे रिहा करने से पहले सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था। कराटे ने कहा था, “मुझे आंदोलन में शामिल होने का कोई पछतावा नहीं है। मैंने अपनी युवावस्था का एक प्रमुख कारण एक कारण के लिए जेल में बिताया और मुझे इस पर गर्व है। सुप्रीम कोर्ट ने मुझे उन सभी आरोपों से बरी कर दिया, जो दुनिया को दिखाने के लिए मेरे खिलाफ लगाए गए थे कि कश्मीरी लड़ाके अपराधी हैं।”
2008 में अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान उन्हें भी कराटे को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा साल 2019 में टेरर फंडिंग के मामले में भी NIA ने गिरफ्तार किया था। यह भी कहा जाता है कि कश्मीर के पुलिस अधिकारी इम्तियाज हुसैन ने बिट्टा कराटे को आतंकवाद से दूर रहने के लिए उसकी पत्नी असाबा से संपर्क किया था।
जेकेएलएफ प्रमुख और आतंकी यासीन मलिक की पत्नी मुशाल भी एक कलाकार हैं, जो अपनी नग्न पेंटिंग के लिए जानी जाती हैं। मुशाल पाकिस्तान के एक प्रतिष्ठित परिवार से आती हैं। मुशाल के पिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और माँ पाकिस्तान मुस्लिम लीग की नेता थीं।