न्याय पीठ को अर्दब में लेने पर आमादा हैं मुखौटाधारी

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चन्दौली-कसूर बस इतना रहा कि क्रेता ने भरोसा कर लिया उनके ब्यवहार पर,नकदी तो दिया ही गवाही भी करा लिया उन्हीं से,अब जब वह लोग पूरी तरह से क्रेता को अपने जाल में फंसा लिए तो सब कुछ से इनकार करते हुए खुद को ही बेबस और लाचार साबित करने पर जोर ही नहीं लगा रहे बल्कि प्रभवशाली लोगों की मदद से क्रेता को मुकदमे में फंसाने और पुलिस को अर्दब में लेने का उपक्रम भी रचने लगे हैंlयह घटना जनपद के धानापुर में तब घटी जब कस्बा निवासी गुलाब चंद गुप्ता व उसका भाई श्यामसुंदर गुप्ता अपनी माँ लाली देबी के साथ मिलकर अपनी जमीन क्षेत्रफल लगभग 23 डिसमिल पड़ोसी गांव अमादपुर निवासी अशोक मिश्र से तय रकम नकद लेकर उनकी माँ के नाम 20मई सन 2019 को बैनामा कर दिया,बैनामे में गुलाब खुद गवाह भी बन गया,अब तक तो सब कुछ हंसी खुशी बीता किन्तु असल खेल तब शुरू हुआ जब क्रेती का पुत्र सम्बन्धित विभाग में खारिज दाखिल कराने गयाlमालूम हुआ कि विक्रेती लाली के हिस्से तो लगभग सात डिसमिल ही जमीन बचनी है शेष जमीन तो ग्राम सभा के हक में पहले ही सन्दर्भित की जा चुकी है,जिसकी जानकारी विभाग द्वारा लाली व उसके पुत्रों को भी दीजा चुकी हैlइस जानकारी के बाद खुद को ठगा हुआ पाकर जब अशोक विक्रेति लाली व उसके पुत्रों से मिलकर अपना रुपया वापस मांगे तो यह लोग अपनी गलती स्वीकार कर पैसा वापस करने के बजाय नाना विधि से धमकी देते हुए जमीन और रुपया दोनों भूल जाने की चेतावनी देने लगे,इसके बाद लाली और उसके लड़के ने खुद द्वारा किये गए इस फरेब से अपने को बचाने हेतु कृत बैनामे को रद्द करने वास्ते सम्बन्धित न्यायालय में क्रेता के विरुद्ध वाद दाखिल कर दिएl जब अशोक बैनामे के एवज में दिया गया अपना रुपया वापस पाने का प्रयास शुरू किए तो विक्रेति के लड़कों ने धमकाने का काम शुरू कर दिया,अंततः थक हार कर क्रेता पुलिस से न्याय की फरियाद कर आपबीती सुनाया,घटना की पड़ताल कर जब पुलिस विक्रेती व उसके दोनों लड़कों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कर विवेचन की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी तो भी विक्रेती व उसके लोगों द्वारा क्रेता को रुपया वापस करने की बजाय अब पुलिस को ही विभिन्न तरीके से प्रभावित करने का खेल शुरू कर दिया गया हैं,अगर ईमानदारी से पूरे प्रकरण की जांच की जाय तो यह तय है कि इस समूचे खेल में विक्रेती महज एक मोहरा है इसके पीछे लगे कई मुखौटा धारियों का मुखौटा उतरने से नही बच पायेगाlआज यही लोग पर्दे के पीछे से अपने मोहरे को बचाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मीडिया व स्वयं सेवी संगठनों का सहारा लेने में भी नहीं हिचक रहे हैlजबकि रुपया और जमीन दोनों से फिलवक्त महरूम अशोक को अब तो न्याय के लिए न्यायालय और पुलिस के आला अधिकारियों का ही सहारा हैl

20 मई 2019 को तय रकम नकद अशोक से खुद प्राप्त कर दो गवाहों की मौजूदगी में धन प्राप्ति की रशीद बनवाकर उसपर अपना अंगूठा लगाकर अपने हिस्से की जमीन लाली देबी पत्नी शोभा साव निवासी धानापुर चन्दौली रजिस्टार कार्यालय में जाकर बैनामा करती है,साथ मे अपने बड़े लड़के गुलाब चन्द्र की गवाही भी कराती है,जबकि चकबन्दी अभिलेख में बैनामा तिथि के वक्त विक्रेति मात्र सात डिसमिल भूमि की ही स्वामिनी बताई गई,इसकी जानकारी भी विक्रेति सहित उसके पुत्रों को बैनामा पूर्व हो ही नहीं चुकी थी बल्कि यह लोग बजरिये अधिवक्ता इस बाबत सम्बन्धित न्यायालय में पक्षकार भी हो चुके थे,बावजूद इसके इस असल तथ्य को छुपाकर गैर जरूरी लाभ लेने की गरज से बैनामा 23.25 डिसमिल का कियेlअसलियत खुलने के बाद जब अशोक द्वारा विक्रेति से अपने रुपये की मांग की गई तो वह आग बबूला ही नहीं हुई बल्कि उसके दोनों पुत्र व इस खेल के पीछे छिपे मठाधीश आक्रोषित हो उठेlअब यह लोग अशोक को बर्बाद करने की धमकी ही नही दे रहे है बल्कि साशन प्रसाशन को भी अपने प्रभाव के बल पर अर्दब में लेने का प्रयास कर रहे हैंl अब तो यह सुनियोजित षणयन्त्रकारी जमात अपने मोहरे लाली को बचाने हेतु चुनिंदा मीडिया कर्मियों और दुकानदारी चलाने वाले संगठनों को भी अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करने पर आमादा हो चुके है

जब अशोक का पैसा और जमीन दोनों ही विक्रेती लाली व उसके लोगों द्वारा हड़प लिया गया और बार बार मांगने पर भी रुपया तो नहीं मिला किन्तु सामाजिक अपमान और शारीरिक मानसिक तथा आर्थिक उत्पीड़न जरूर शुरू कर दिया गया,अंततः थक हारकर जब अशोक द्वारा विक्रेति व उसके पुत्रों गुलाब व श्यामसुंदर के विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा पंजीकृत कराया गया तो अब यह लोग अपने प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करते हुए पुलिस के आला अधिकारियों को गुमराह ही नहीं कर रहे है बल्कि दर्ज मुकदमे की पेशबंदी में वादी के विरुद्ध भी मुकदमा पंजीकृत करने का बहुबिधि दबाव बना रहे हैं ताकि दर्ज मुकदमे की निष्पक्ष विवेचना को भी प्रभावित किया जा सकेlजबकि इस बाबत विक्रेती द्वारा न्यायालय में बैनामा मन्सूखी भी दाखिल की जा चुकी है किंतु उसे इतने पर भी कहाँ भरोसा ,वह और उसके लोग तो मानो कसम खा चुके है अशोक के धन और धरम को हजम कर जाने की

Sach ki Dastak

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