निर्भया केस : दोषियों ने खटखटाया अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा
- निर्भया के दोषियों को 20 मार्च को दी जाएगी फांसी
- वकील ए पी सिंह ने अंतरराष्ट्रीय अदालत को लिखा पत्र
निर्भया गैंगरेप के दोषी फांसी के खिलाफ अब अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) की शरण में पहुंचे हैं. दोषियों के वकील ए पी सिंह ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अदालत को पत्र लिखा है. पत्र में 20 मार्च की होने वाली फांसी पर रोक की मांग की गई है. साथ ही मांग की है कि निचली अदालत के सभी रिकॉर्ड अदालत अपने पास मंगाए ताकि वो अपना पक्ष अंतरराष्ट्रीय अदालत में रख सके. पत्र नीदरलैंड के दूतावास को दिया गया है जो ICJ को भेजा गया है.
निर्भया के चार दोषियों में से तीन अक्षय सिंह (31), पवन गुप्ता (25) और विनय शर्मा (26) आईसीजे की शरण में पहुंचे हैं. बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को 20 मार्च सुबह 5.30 बजे फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया है. दोषियों के खिलाफ यह चौथी बार डेथ वारंट जारी किया गया है.
इससे पहले निर्भया के दोषी कानूनी दांव-पेंच का सहारा लेकर तीन बार फांसी की तारीख टलवाने में सफल रहे थे. पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा ने डेथ वारंट जारी करते हुए कहा था कि दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी दी जाएगी.
निर्भया के दोषियों ने फांसी से बचने के लिए एक बार फिर नया पैंतरा खेला है। निर्भया के चार दोषियों में से तीन ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से गुहार लगाई है। फांसी की तारीख के नजदीक आने के साथ ही निर्भया के दोषियों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। मौत को पास आते देख एक के बाद एक नई-नई अर्जियां अलग-अलग जगह पर दाखिल कर ये सभी फांसी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। इस बार चार दोषियों में से तीन विनय, पवन और अक्षय ने इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि एनआरआई और उनसे संबंधित कुछ संस्थाएं इस केस पर लगातार नजर रखे हए थीं। इन संस्थाओं ने मांग की है कि उनको इस केस की कापी दी जाए, जिसको आइसीजे (इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस) के सामने रखा जाए ताकि डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि हम भारत की न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा रखते हैं लेकिन उन्होंने इसे आइसीजे जाने का फैसला लिया है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत जून 1945 में बनाया गया था। हालांकि ICJ ने अपना काम 1946 के अप्रैल से करना शुरू किया था। गौरतलब है कि यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) के शांति पैलेस में है।
दिल्ली कोर्ट के द्वारा जारी डेथ वारंट के मुताबिक इन सभी दोषियों को तिहाड़ जेल में 20 मार्च को फांसी होनी है। फांसी सुबह साढ़े पांच बजे दी जाएगी। इससे पहले भी दिल्ली की कोर्ट इनके मौत के लिए डेथ वारंट जारी कर चुकी है। लेकिन हर बार कानूनी दांव पेंच में फंसा कर ये दोषी अपनी डेथ वारंट को कैंसिल करवा रहे थे। कोर्ट ने इस बार चौथा वारंट जारी किया है जिसके मुताबिक 20 मार्च को फांसी होनी है।
निर्भया के चारों दोषियां ने इससे पहले राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार नहीं किया था। अब इसके बाद चारों दोषियों के परिजनों ने राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छा-मृत्यु दिए जाने की मांग की है।
क्या है मामला
2012 को 16 दिसंबर की वह काली रात दिल्ली में एक घिनौना काम हुआ था जिसने पूरे भारत को हिला कर रख दिया था। चलती बस में एक पैरामेडिकल छात्र के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ जिसमें चार दोषियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी की सजा सुनाई गई। इस मामले के बाद दिल्ली समेत पूरे देश भर के लगभग हर राज्यों में निर्भया के दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रदर्शन हुआ था।