विपक्ष पर PM मोदी तंज, महात्मा गांधी आपके लिए ट्रेलर हो सकते हैं पर हमारे लिये जिंदगी हैं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने के दौरान विपक्ष पर जमकर हमला किया। PM ने कहा कि राष्ट्रपति ने न्यू इंडिया का विजन अपने अभिभाषण में प्रस्तुत किया है। 21वीं सदी के तीसरे दशक का माननीय राष्ट्रपति का वक्तव्य हम सभी को दिशा व प्रेरणा देने वाला और देश के लोगों में विश्वास पैदा करने वाला है। इस दौरान विपक्ष पर तंज सकते हुए मोदी ने कहा कि आपके लिये (कांग्रेस) महात्मा गांधी जी ट्रेलर हो सकते हैं, हमारे लिये गांधीजी जिंदगी हैं।

PM ने कहा कि यहां एक स्वर ये उठा है कि सरकार को सारे कामों की जल्दी क्यों है? हम सारे काम एक साथ क्यों कर रहे हैं?

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता में लिखा है कि-

लीक पर वे चलें, जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं,

हमें तो जो हमारी यात्रा से बने, ऐसे अनिर्मित पथ ही प्यारे हैं। 

इस सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि लोगों ने सिर्फ एक सरकार बदली है, केवल ऐसा नहीं है, बल्कि सरोकार भी बदलने की अपेक्षा की है। इस देश की एक नई सोच के साथ काम करने की इच्छा और अपेक्षा के कारण हमें यहां आकर काम करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि यदि हम पिछले सरकार अनुसार चलते तो धारा 370 को 70 साल बाद भी निरस्त नहीं किया जाता। मुस्लिम महिलाएं ट्रिपल तालक के प्रकोप का सामना करना जारी रखती। प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर हम आपकी सोच के साथ चलते तो राम जन्मभूमि आज भी विवादों में रहती, करतारपुर साहिब कॉरिडोर कभी नहीं बन पाता और भारत-बांग्लादेश विवाद कभी नहीं सुलझता।

हमने जिस तेज गति से काम किया है, उसका परिणाम है कि देश की जनता ने इसे देखा और देखने के बाद, उसी तेज गति से आगे बढ़ने के लिए हमें फिर से सेवा का मौका दिया। अगर ये तेज गति न होती तो 37 करोड़ लोगों के बैंक अकाउंट इतनी जल्दी नहीं खुलते। अगर कांग्रेस के रास्ते हम चलते ,तो 50 साल बाद भी शत्रु संपत्ति कानून का इंतजार देश को करते रहना पड़ता। 35 साल बाद भी नेक्स्ट जनरेशन लड़ाकू विमान का इंतजार देश को करते रहना पड़ता। 28 साल बाद भी बेनामी संपत्ति कानून लागू नहीं हो पाता।

PM मोदी ने कहा कि कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि देश चुनौतियों से लोहा लेने के लिए हर पल कोशिश करता रहा है। कभी कभी चुनौतियों की तरफ न देखने की आदतें भी देश ने देखी है, चुनौतियों को चुनने का सामर्थ्य नहीं, ऐसे लोगों को भी देखा है। लेकिन आज दुनिया की भारत से जो अपेक्षा है, हम अगर चुनौतियों को चुनौती नहीं देते, अगर हम हिम्मत नहीं दिखाते और अगर हम सबको साथ लेकर चलने की गति नहीं दिखाते तो हमें लंबे अरसे तक समस्याओं से जूझना होता। नॉर्थ ईस्ट में पिछले 5 वर्ष में जो दिल्ली उन्हें दूर लगती थी, आज वही दिल्ली उनके दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई है। चाहे बिजली की बात हो, रेल की बात हो, हवाई अड्डे की बात हो, मोबाइल कनेक्टिविटी की बात हो, ये सब करने का हमने प्रयास किया है।

बोड़ो जनजाति की चर्चा में कहा कि ये कोई पहली बार नहीं हुआ। लेकिन पहले जो कुछ भी हुआ, राजनीति के तराजू से तौलकर किया, जो भी किया आधे-अधूरे मन से किया गया। पहले समझौते तो हुए, फोटो भी छप गई, लेकिन कागज पर किये समझौते से बोड़ो जनजाति के लोगों का भला नहीं हुआ। 

Sach ki Dastak

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