काव्य दस्तक : बसंत है ऋतुराज

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भगवान ने इस ब्रह्मांड में

छः ऋतु हैं बनाये

बसंत,गर्मी,वर्षा, सर्दी, हेमंत और शिशिर

इक आये तो दूजी जाए

बसंत ऋतु सब ऋतुओं 

का सरताज कहाये

सृष्टि के हर जीव में नई 

ऊर्जा का संचार कराए

सरसों पर मानो सोना है खिलता

जौ और गेहूं पर बालियां लहराती

आमों पर जब बौर आ जाता

हर तरफ तितलियां मंडराती

फूल खिलते उपवन उपवन

खुश्बू चारों ओर फैलाये

कोयल जाकर डाली डाली

अपना मधुर राग सुनाए

पीले फूल खिले सरसों पर

सफेद बैंगनी है कचनार

धरा का आनंदित है कण कण

कुदरत का है चमत्कार

फूल फूल पर बैठा भंवरा

मस्ती में वह गुनगुनाए

उसकी गुंजन को सुनकर

मेरा मन भी चंचल हो जाये

डाली डाली पर छा रही

बसंत में यौवन की बहार

नवयौवना के चेहरे पर

जैसे आ रहा हो निखार

नई कोंपलें जब पेड़ों पर आएं

कुदरत ने जैसे श्रृंगार किया हो

ऐसा मनभावन दृश्य जैसे

शिशु ने नया जन्म लिया हो

माघ महीने के पांचवें दिन

इक जश्न मनाया जाता है

विष्णु और कामदेव की पूजा होती है

यही बसंत पंचमी त्योहार कहलाता है




___रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं

जिला बिलासपुर हि प्र

Sach ki Dastak

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