चंधासी की धूल व चन्दौली में सड़कों की स्थिति विकास के दावे की खोल रही पोल

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सच की दस्तक न्यूज डेस्क चन्दौली
जहां एक तरफ भारत सरकार द्वारा स्वच्छ वातावरण के लिए मुहिम चलाई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ चंधासी कोयला मंडी केंद्र सरकार की कार्यों को तार-तार कर रही है।जनपद की महत्वपूर्ण सड़के अपनी अंतिम सांसे गिन रही है।
चंधासी कोयला मंडी इस समय दुर्घटनाओं के लिए डेंजर जोन बनती जा रही है। इसकी मुख्य वजह चंधासी की धूल व प्रदूषित वातावरण है। लगभग हजारों ट्रक प्रतिदिन कोयले के कारोबार के लिए यहां पर आती हैं और यहां से जाती हैं। चारों तरफ चंधासी मंडी में दिन के समय धूल ही धूल दिखाई पड़ता है। रात होने पर पूरे आसमान पर एक अजब सा धूल की छाया दिखाई पड़ने लगती है जिसमें रेडियम जो ट्रैफिक व्यवस्था के लिए डिवाइडर पर लगाई होती है वह भी दिखाई नहीं पड़ती।
एक प्रकार से कहा जाए तो कह सकते हैं की विजिबिलिटी धूल के कारण बहुत ही कम हो जाती है और खड़ी वाहन में कोई ट्रक सीधी धक्का मार दे सकता है। क्योंकि आगे उन्हें दिखता तक नहीं है ।उसके बावजूद भी नगर पालिका परिषद व जिलाप्रशासन कोई सुध लेने वाला दिखाई नहीं पड़ता।
इस संबंध में पंडित दीन दयाल नगर निवासी
अभिषेक ने बताया कि चंधासी की धूल बिना होली के धूल भरी होली खेलने के लिए व्यक्ति मजबूर हो जाता है । यदि वो दो पहिया वाहन से है तो निश्चित तौर पर उनके उनके कपड़े तो धूल से सन जाएंगे ही ,इसके अलावा चंधासी की ट्रकों से निकलने वाले धुएं सांस संबंधी रोग भी पैदा कर रहे हैं। लेकिन इस शिकायत को सुनने वाला जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन का कोई अधिकारी तैयार नहीं है ।रात के समय जो रेडियम चमकनी चाहिए और पता लगना चाहिए कि यहां ब्रेकर है या डिवाइडर है लेकिन धूल के कारण हुए दिखाई नहीं पड़ता। जिससे दुर्घटना हो जाती है ।इसका शिकार मैं स्वयं हुआ हूं।
इस संबंध में व्यवसाय विनीत कुमार ने कहा कि चंधासी से करोड़ों का राजस्व प्रदेश सरकार को होता है ।बावजूद इसके, प्रदेश की सरकार चंधासी की विकास पर आंखें बंद कर देती है। आम इंसान चंधासी कोल मंडी की धूल से व ट्रकों से निकलने वाले धुएं से परेशान है ।उस के बाद सड़क की हालत भी बद से बदतर है ।धूल काफी ज्यादा होने से दुर्घटना होने की संभावना प्रबल रहती है ।इसे दूर करने की आवश्यकता है
इस संबंध में सुभाष नगर निवासी राजा उपाध्याय का कहना है कि मुगलसराय से लेकर पड़ाव तक जाने वाली सड़कें बद से बदतर हालात में हैंl
ऊपर से चंधासी की धूल दुर्घटना को दावत दे रही हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि सड़क के गड्ढे धूल के कारण दिखते नहीं है जो संकेत सूचक रेडियम होता है वह भी ओझल है ।जब धूल चारों तरफ छाया रहती है ।ऐसे में दुर्घटना हो रही है। जिला प्रशासन को सख्त से सख्त कदम उठाकर इसे ठीक करना चाहिए।
वास्तव में पंडित दीनदयाल नगर से चंधासी से होते हुए वाराणसी जनप्रतिनिधि से लेकर मंडल स्तर तक की आला अधिकारी कमिश्नर आईजी व अन्य बड़े अधिकारी का आना जाना होता है और सभी को इन दोनों से गुजरना पड़ता है। लेकिन अंतर आम नागरिक व उनमें यह होता है कि वे वातानुकूलित चार पहिया की वाहन से निकल जाते हैं। और आम व्यक्ति बिन मौसम होली के फूलों की होली खेलने के लिए मजबूर होता है। साथ ही सांस संबंधी बीमारियां भी उनको आगोश में लेने के लिए सदा तैयार रहती हैं। जिला प्रशासन यदि इस समस्या को जल्द नहीं देखेगा तो चंधासी के आस पास के गांव भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।वही सकलडीहा के विशुनपुरां गांव की निवासिनी मीना उपाध्याय का कहना है कि सकलडीहा से मुगलसराय को जाने वाली सड़के अपनी अंतिम सांस ले रही है लेकिन इसको देखने वाला नही है।वोट मांगने के लिए जनप्रतिनिधि घर घर जाते है लेकिन जीतने के बाद क्षेत्र का विकास भगवान भरोसे छोड़ देते है।जनता कोभी इन्हें सबक सिखाना चाहिए।

Sach ki Dastak

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