किसानों के मुद्दे पर लोकसभा में फिर हुआ हंगामा

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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में बताया कि सड़क निर्माण का कार्य रिकॉर्ड 30 किलोमीटर प्रतिदिन पहुंच गया है। कृषि कानूनों के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच गडकरी ने प्रश्नकाल में कुछ सदस्यों के पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि भारतमाला परियोजना एक महत्वपूर्ण परियोजना है और यह देश का चेहरा बदल देगी।

गडकरी ने कहा कि ताजा आंकड़ों के अनुसार इस साल आठ जनवरी से 15 जनवरी के बीच 534 किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ है और औसतन 28.5 किलोमीटर सड़क प्रतिदिन बनाई गयी। उन्होंने कहा, ‘‘आज, मुझे जो सूचना प्राप्त हुई है, उसके अनुसार हमारा प्रतिदिन सड़क निर्माण 29.6 किलोमीटर या करीब-करीब 30 किलोमीटर हो रहा है। अभी तक 9,127 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा चुका है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा देश के इतिहास में हासिल किया गया यह सर्वोच्च रिकॉर्ड है।’’ गडकरी ने बताया कि भारतमाला परियोजना के तहत 30 हजार किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना है। अब तक 13,521 किलोमीटर सड़कों का काम आवंटित किया गया है, इसमें 4,070 किलोमीटर सड़क का काम पूरा हो गया है और 16,500 किलोमीटर सड़क की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रक्रिया में है। उन्होंने बताया कि 4,800 किलोमीटर सड़क की के लिए निविदा आमंत्रित की गई हैं। अब तक परियोजना पर एक लाख करोड़ रूपये खर्च हुए हैं।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले एक साल के भीतर ‘ट्रैक चाइल्ड’ पोर्टल के माध्यम से कुल 43,515 बच्चों के लापता होने की शिकायतें आईं। ईरानी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने इस पोर्टल के माध्यम से पिछले पांच साल के भीतर लापता बच्चों के बारे में आई सूचना साझा की। मंत्री के अनुसार, एक जनवरी, 2020 से 31 जनवरी, 2021 के बीच 43,515 बच्चों के लापता होने की जानकारी मिली और इनमें से 38,113 बच्चों का पता लगाया जा सका।

उन्होंने कहा कि 2019 में 49,279 बच्चों के लापता होने की जानकारी मिली थी जिनमें से 44,289 बच्चों का पता चल सका। एक अन्य सवाल के जवाब में महिला व बाल विकास मंत्री ने बताया कि ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ अभियान के लिए आवंटित कोष में से 46.98 प्रतिशत मीडिया अभियान पर खर्च किया गया। ईरानी ने पिछले तीन सालों के दौरान इस मद में हुए खर्च का ब्योरा देते हुए बताया कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के लिए 2017 से 2020 तक 680 करोड़ रुपये आवंटित किए गए जिनमें से 319.5 करोड़ रुपये मीडिया अभियान पर खर्च किये गये।

राज्यसभा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने विवादों में घिरे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर बल देते हुए इस समस्या का ‘‘स्वीकार्य हल’’ निकालने का सुझाव दिया और सरकार पर कटाक्ष किया कि ‘‘आत्ममुग्ध सरकारें, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण नहीं कर सकतीं।’’ हालांकि इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि इन तीनों कानूनों के माध्यम से देश के किसानों को आजादी मिल सकेगी। उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार से सवाल किया कि किसानों को आंदोलन करने की नौबत क्यों आयी?

साथ ही उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह किसानों के दर्द को समझे और उन्हें दूर करने की कोशिश करे। हालांकि भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे सुधारों का जिक्र किया था लेकिन अब उसके सुर बदल गए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद (एस) नेता एच डी देवेगौड़ा ने किसानों को राष्ट्र की रीढ़ बताते हुए कहा कि उनकी समस्याओं को सुना जाना चाहिए और एक स्वीकार्य समाधान निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान जो कुछ हुआ उसमें असामाजिक तत्वों की भूमिका थी जिसकी पूरे देश ने और सभी राजनीतिक दलों ने निंदा की। उन्होंने दोषियों को सजा देने की मांग की और कहा ‘‘लेकिन किसानों के मुद्दे को इस घटनाक्रम से पूरी तरह अलग रखा जाना चाहिए।’’

चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से जितने भी वादे किए गए, आज तक उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया, चाहे वह काले धन को वापस लाने का वादा हो या भ्रष्टाचार खत्म करने का या फिर दो करोड़ रोजगार सृजन का वादा हो। सिंह ने कहा कि संसद के पिछले सत्र में तीनों कृषि विधेयकों को मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा, ‘‘हमें कहा जाता है कि हमने अपने घोषणापत्र में इन कृषि सुधारों का वादा किया था। लेकिन सच यह है कि हमने इन विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग की थी।’’ भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि किसान देश के लिए रीढ़ की हड्डी और अन्नदाता हैं तथा वे अपना ही नहीं पूरे विश्व का पेट भरते हैं।

उन्होंने नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि तीनों कानून इसलिए लाए गए ताकि किसानों की प्रगति हो सके। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादीकरीब 70 साल पहले मिल गयी थी लेकिन किसानों को उनकी वास्तविक आजादी नहीं मिल पायी। भाजपा नेता ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसानों को आजादी मिल सकेगी और वे देशभर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ 11 बार संवाद हुआ है और सरकार ने 18 महीने कानून स्थगित करने की भी बात की है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। सिंधिया ने इस क्रम में कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि पार्टी ने 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधारों का वायदा किया था। इसके अलावा राकांपा नेता और तत्कालीन संप्रग सरकार में कृषि मंत्री शरद पवार ने 2010-11 में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को अनिवार्य बनाने संबंधी बात की थी।

सिंधिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जुबान बदलने की आदत बदलनी होगी… जो कहें, उस पर अडिग रहें।’’ केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार किसानों को एक लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी मुहैया कराएगी और यह रकम अपशिष्ट को ऊर्जा में तब्दील करने से हासिल होगी।

प्रधान ने कांग्रेस पर लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून नहीं लाने और अब इस मुद्दे को लेकर वर्तमान सरकार पर सवाल उठाने के लिए अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है। कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि इस आंदोलन का आज 72वां दिन है और बातचीत के 11 दौर बेनतीजा रहे।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले अध्यादेश और फिर आनन-फानन में कृषि विधेयकों को पारित किया गया। किसान मना करते रहे और आखिर में उन्होंने शांतिपूर्वक आंदोलन करने का रास्ता चुन लिया। दिल्ली की सीमाओं पर उनका आंदोलन जारी है। बेनतीजा बातचीत हुई। किसानों को सरकार की ओर से केवल अपमान मिला।’’ हुड्डा ने कहा, ‘‘26 जनवरी को लाल किले पर जो हुआ वह असहनीय है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई जरूर होनी चाहिए लेकिन कोई निर्दोष इसमें नहीं फंसना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसानों पर आरोप लग रहे हैं। लेकिन असलियत तो यह है कि धरनास्थल पर भी इन किसानों ने किसी को परेशान नहीं किया है। अब से पहले किसी भी आंदोलन में इतने किसानों की जान नहीं गई जितनी अभी गई है। लेकिन किसान विचलित नहीं हुए। फिर भी आरोप उन पर ही लगाए जा रहे हैं।’’

हुड्डा ने आरोप लगाया कि किसानों को बदनाम करने के लिए प्रचार तंत्र झोंक दिया गया है। उन्हें गद्दार कहा जा रहा है। ‘‘मैं पूछना चाहता हूं कि अगर सीमा पर आंदोलन करते बैठा किसान गद्दार है तो सीमा पर तैनात उसका बेटा क्या है? सीमाओं से इसी किसान का बेटा शहीद होकर तिरंगे में लिपटा आता है और इसी किसान का बेटा ओलंपिक में पदक जीतकर देश का नाम रोशन करता है। फिर किसानों पर आरोप कैसे लगाए जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज दिल्ली की सीमाओं पर किसानों और जवानों के बीच कीलें लगा दी गई हैं। लेकिन मैं कहूंगा कि देश का अन्नदाता कभी किसी का गुलाम नहीं बन सकता। कोई कील सच को दबा नहीं सकती।’’ उन्होंने सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने, किसानों पर दर्ज मुकदमे तत्काल वापस लेने और आत्ममंथन करने की मांग की।

उन्होंने कहा ‘‘आत्ममुग्ध सरकारें आत्मनिर्भर भारत का निर्माण नहीं कर सकतीं।’’ तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार पर हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ, उसके लिए सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने दावा किया कि तीनों कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान जा चुकी है। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने आंदोलन के दौरान कथित तौर पर जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान में डेरेक ओ ब्रायन की अगुवाई में कुछ पलों का मौन रखा।

राजद सदस्य मनोज झा ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर दलगत भावना से ऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण में 19 विपक्षी दलों के भाग नहीं लेने का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें शामिल नहीं होने का उन्हें भी दुख है लेकिन जब चीजें वास्तविकता से दूर हों तो उसमें कैसे भाग लिया जा सकता है।

चर्चा में भाग लेते हुए मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि देश में हुयी हरित क्रांति का लाभ पंजाब को विशेष रूप से मिला और वहां इससे किसानों में खुशहाली आयी। लेकिन पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी भारत का एक बड़ा हिस्सा उस क्रांति के लाभों से दूर रहा। दासगुप्ता ने कहा कि नए कानूनों से ऐसे किसानों को लाभ मिल सकेगा जो लाभ से वंचित रह गए हैं। माकपा के विकास रंजन ने कहा कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए और ‘‘मुझे नहीं लगता कि कानूनों को रद्द करने में कोई दिक्कत है।’’ आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि किसानों के आंदोलन के दौरान 100 से अधिक किसानों की जान जा चुकी है लेकिन उनकी परेशानी दूर करने के बजाय उन्हें आतंकवादी कहकर अपमानित किया जा रहा है। 

लोकसभा में बृहस्पतिवार को माध्यस्थम और सुलह संशोधन विधेयक 2021 पेश किया गया जिसमें संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने में उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने और भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की बात कही गई है। तीन नये कृषि कानूनों पर कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में माध्यस्थम और सुलह संशोधन विधेयक 2021 पेश किया। हालांकि बीजू जनता दल के बी महताब ने विधेयक पुरस्थापित किये जाने का विरोध किया। उन्होंने पूछा कि मंत्री बताएं कि विधेयक लाने की इतनी हड़बड़ी क्या है? इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विधेयक को पेश किये जाते समय इस संबंध में सदन के अधिकार पर प्रश्न उठाया जा सकता है, ना कि विधेयक के गुण-दोषों पर। उन्होंने कहा कि महताब ने विधेयक के गुण-दोषों की बात की है, जिस पर वह बाद में विस्तार से अपनी बात रखेंगे।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि संविदा या माध्यस्थम पंचाट सुनिश्चित करने में भ्रष्ट आचरणों के मुद्दे को पता लगाने के उद्देश्य से यह सुनिश्चित करने की जरूरत महसूस की गई थी कि सभी पक्षकार दलों को माध्यस्थम पंचाटों के प्रवर्तन पर शर्त रहित रोक का अवसर वहां मिले जहां अंतर्निहित माध्यस्थम समझौता या करार या माध्यस्थम पंचाट बनाना कपट या भ्रष्टाचार से प्रेरित है। इसमें कहा गया है कि प्रतिष्ठित मध्यस्थों को आकर्षित करके भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक माध्यस्थम केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिये अधिनियम की आठवीं अनुसूची को खत्म करना आवश्यक समझा गया। इसके अनुसार उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए माध्यस्थम और सुलह अधिनियम 1996 का और संशोधन करना आवश्यक हो गया। संसद सत्र में नहीं था और तत्काल उस अधिनियम में और संशोधन करना जरूरी हो गया था। ऐसे में राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 123 के खंड (1)के अधीन 4 नवंबर 2020 को माध्यस्थम और सुलह संशोधन अध्यादेश 2020 को लागू किया गया था।  

विदेशी जेलों में 7,139 भारतीय कैदी बंद: विदेश मंत्रालय 

सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि दूसरे देशों की जेलों में कुल 7,139 भारतीय कैदी बंद हैं और इनमें से कुछ विचाराधीन कैदी भी हैं। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सऊदी अरब की जेलों में सर्वाधिक 1,599 भारतीय कैदी हैं, संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में 898, नेपाल की जेलों में 886 भारतीय कैदी बंद हैं। मुरलीधरन ने बताया ‘‘विदेश मंत्रालय के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार, 31 दिसंबर 2020 की स्थिति के मुताबिक दूसरे देशों की जेलों में कुल 7,139 भारतीय कैदी बंद हैं और इनमें से कुछ विचाराधीन कैदी भी हैं।’’ उन्होंने बताया कि कुछ देशों में कड़े निजता कानून लागू हैं और इस वजह से स्थानीय प्रशासन तब तक कैदियों के बारे में जानकारी साझा नहीं करते जब तक संबंद्ध व्यक्ति ऐसे ब्यौरों के खुलासे के लिए सहमति न दे। उन्होंने कहा ‘‘यहां तक कि कई देश भी अपनी जेलों में बंद विदेशी नागिरकों के बारे में विस्तृत जानकारी आम तौर पर नहीं देते, भले ही वे सूचना साझा करते हैं।’’ उनके अनुसार, मलेशिया की जेलों में 548 भारतीय कैदी हैं वहीं कुवैत की जेलों में बंद भारतीय कैदियों की संख्या 536 है।

सरकार ने कहा कि उसने देश की संप्रभुता, सुरक्षा और लोक व्यवस्था के हित में वर्ष 2014 से अब तक लगभग 296 मोबाइल ऐप ब्लॉक किए गए हैं। केन्द्रीय मंत्री संजय धोत्रे ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी। इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री धोत्रे ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, आईटी अधिनियम 2000 की धारा 69 ए के प्रावधानों और इसके नियमों के तहत … भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा और लोक व्यवस्था के हित में, वर्ष 2014 से अब तक कुल 296 मोबाइल एप्लिकेशन सरकार द्वारा अवरुद्ध किए गए हैं। मंत्री ने आईटी कानून की धारा 69 ए के तहत इन ऐप को अवरुद्ध करने के लिए अनुरोध करने वाली एजेंसी- गृह मंत्रालय (एमएचए) -को एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कुछ चीनी मोबाइल ऐप के दुरुपयोग के बारे में कई रिपोर्टें प्राप्त हुई थीं।

उन्होंने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा और वर्तमान तनावपूर्ण सीमा स्थिति के मद्देनजर इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। धोत्रे ने कहा कि इन ऐप्स के उपयोग से भारत में बड़ी संख्या में लोगों द्वारा विशाल डेटा का संकलन किया जा सकता है, जिसका विश्लेषण, रूपरेखा तैयार करने के लिए ऐसे तत्वों द्वारा उपयोग किया जा सकता है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखते हैं और जो राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ साथ भारत की सुरक्षा के साथ-साथ सार्वजनिक व्यवस्था, आम जनता के हित के लिए हानिकारक हो सकते हैं। एक अलग उत्तर में, मंत्री ने कहा कि बढ़ते इंटरनेट उपयोगकर्ताओं, मोबाइल एप्लिकेशन और नई विकसित तकनीक के साथ, ऐसे ऐप और वेबसाइटों द्वारा व्यक्तिगत डेटा के संग्रह का कामकाज भी बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने पहले ही संसद में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को पेश किया है और यह मौजूदा समय में लोकसभा द्वारा गठित संयुक्त संसदीय समिति के विचाराधीन है। धोत्रे ने कहा कि इस विधेयक में भारतीय नागरिकों की निजता और हितों की रक्षा का प्रावधान है। व्हाट्स ऐप और फेसबुक सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 में परिभाषित मध्यस्थ हैं। 

Sach ki Dastak

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