उत्तराखंड में ईवीएम नहीं बैलेट पेपर से होंगे चुनाव –

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निकाय चुनाव 2018: उत्तराखंड में ईवीएम नहीं बैलेट पेपर से होंगे चुनाव, सामने आई एक नहीं कई वजह  – 


नगर निकाय के इस बार के चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से किनाराकशी की एक नहीं, बल्कि कई वजह रही है। बडे़ पैमाने पर निकायों के सीमा विस्तार, चुनाव की जल्दबाजी, वीवीपेट्स के इस्तेमाल पर जोर जैसी कई वजहों के चलते आयोग को इस विकल्प से बचने में ही भलाई नजर आई।

राज्य निर्वाचन आयोग के पास अपनी ईवीएम की संख्या 1790 है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम से राज्य निर्वाचन आयोग का लेना-देना नहीं है। राज्य निर्वाचन आयोग ने कुछ महीनों पहले सरकार से नई ईवीएम की खरीद के लिए सात करोड़ का बजट मांगा था।

हालांकि यह बजट अब भी नहीं मिल पाया है। इन स्थितियों के बीच, जिस तरह जल्दबाजी में नगर निकाय के चुनाव कराए जा रहे हैं, उससे भी आयोग ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर सहज नहीं रहा।

हाल ही में ईवीएम के साथ वीवीपेट्स जोड़ने पर जिस तरह जोर दिया गया है, उसमें कम समय में ज्यादा बंदोबस्त की चुनौती आयोग के सामने थी। बडे़ पैमाने पर हुए निकायों के सीमा विस्तार के कारण भी राज्य निर्वाचन आयोग ईवीएम से किनारा करता हुआ नजर आया है। 

दरअसल, देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी समेत तमाम निकायों में बडे़ पैमाने पर सीमा विस्तार हुआ है। देहरादून नगर निगम का ही उदाहरण लें, जहां 2013 में सिर्फ 60 वार्ड थे, वहां अब 100 वार्ड हो गए हैं।

72 गांवों को नगर निगम में शामिल करने के बाद इसका दायरा बहुत फैल गया है। आयोग सूत्रों के अनुसार मौजूदा स्थिति में बहुत ही कम निकायों में ईवीएम से चुनाव कराए जा सकते थे। पिछली बार दून, हरिद्वार, रुड़की और हल्द्वानी में ईवीएम से चुनाव कराए गए थे।

  ” हमारे पास बहुत कम ईवीएम हैं। कई ईवीएम खराब भी पड़ी हैं। हमने हरियाणा से भी ईवीएम लेने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाए। इतने कम समय में ईवीएम पर चुनाव कराने में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए ही सभी जगह बैलेट से चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है।” 
      -चंद्रशेखर भट्ट, राज्य निर्वाचन आयुक्त

 

Sach ki Dastak

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