तीन तलाक पीड़िता व हिंदू परित्यक्त महिलाओं को 6000 रूपये सालाना देगी योगी सरकार

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सुखद योजना – 

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान लखनऊ में ट्रिपल तलाक (Triple Talaq) पीड़िताओं से मिले। इस दौरान उन्होंने पीड़िता महिलाओं के लिए कई बड़ी घोषणाएं कीं।

घोषणाएं

इनमें सबसे अहम ये है कि यूपी सरकार जल्द ही तीन तलाक पीड़िताओं को 6,000 रुपए सालाना अनुदान देने की योजना लाएगी।यही नहीं पढ़ी-लिखी पीड़ित महिलाओं के लिए नौकरी की भी व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि अमरोहा की नेटबॉल खिलाड़ी तीन तलाक पीड़िता सुमायला जावेद को सरकारी नौकरी दी जायेगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार तीन तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाओं और परित्यक्ता हिंदू महिलाओं के पुनर्वास के लिए 6000 हजार रुपये सालाना मदद देगी। इतना ही नहीं सरकार इन महिलाओं का केस भी निशुल्क लड़ने की व्यवस्था करेगी। एक पत्नी के रहते दूसरी शादी या दूसरी महिला के कारण पत्नी का उत्पीड़न करने वाले हिंदू पुरुषों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने पीड़ित महिलाओं को समुचित रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिलवाने की घोषणा भी की। कहा कि योग्यता के अनुसार सरकार उनका समायोजन भी करेगी। साथ ही तीन तलाक से प्रभावित अमरोहा की राष्ट्रीय स्तर की एथलीट सुमेला जावेद को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री बुधवार को राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में तीन तलाक पीड़ित महिलाओं से संवाद और प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के शिलान्यास एवं लोकार्पण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में बहुत ज्यादा बंदिशें हैं। इसलिए तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ने वाली इस समाज की बहनों का वह बहुत सम्मान करते हैं।

एक पत्नी के रहते दूसरी शादी करने वाले हिंदू पुरुषों पर भी होगी कार्रवाई-

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक के बाद दूसरी शादी करने वाले हिंदू पुरुषों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पांच बार तीन तलाक की कुप्रथा बंद करने का आदेश दिया लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने वोट बैंक के चलते कानून बनाकर इस आदेश को उलट दिया। 1985 का शाहबानो प्रकरण का उदाहरण सामने है।

उन्होंने कहा कि छद्म धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने वाली इन पार्टियों से पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने इस तरह के अमानवीय कानूनों को क्यों जारी रखा? सही बात तो यह है इस तरह के कानून आजादी के तत्काल बाद ही रद्द होने चाहिए थे। यह कानून 22 मुस्लिम देशों में बहुत पहले ही समाप्त हो चुका है। अब भी कुछ पार्टियां और नेता तीन तलाक के खिलाफ बने कानून पर सवाल उठा रहे हैं।

पीड़िताओं की मदद के लिए शीघ्र तैयार करें कार्य योजना-

मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से कहा कि वे तीन तलाक पीड़ित और परित्यक्ता महिलाओं की मदद के लिए शीघ्र ही अल्पसंख्यक कल्याण एवं समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार करें।

उन्होंने अवनीश अवस्थी को इसकी समीक्षा स्वयं करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, पांच मुस्लिम महिलाओं ने मुझे अपनी समस्या मंच पर सुनाई। प्रदेश का गृह विभाग उनके मुकदमों को निशुल्क लड़ने का तंत्र विकसित करे।

उन्होंने पीड़ित महिलाओं को आवास की सुविधा और बच्चों को पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा भी देने की घोषणा की। सीएम ने कहा कि जब तक समाज का कोई भी तबका कमजोर रहता है, पूरा समाज प्रगति नहीं कर सकता। इसलिए तीन तलाक और परित्यक्ता महिलाओं के लिए ठोस कार्य योजना तैयार की जाए।

अल्पसंख्यक महिलाओं को वक्फ संपत्ति में भी मिलेगा हक-

मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक महिलाओं को वक्फ संपत्ति में हक देने और इससे जोड़ने के लिए भी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा की सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ लड़ने वाली बहनों के सहयोग से मंडल स्तर पर भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
400 करोड़ रूपये की परियोजनाओं का लोकार्पण

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अल्पसंख्यकों के कल्याण हेतु 400 करोड़ रूपये की परियोजनाओं का लोकार्पण किया।

Sach ki Dastak

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