ज़िंदगी का ग्राफ वक्री, बेमुरव्वत, सम नहीं,

किन्तु जज़्बों की तरंगें हैं किसी से कम नहीं।

बचपना आकर पुन: जिन्दा है अंतिम वक्त पर,
है खुशी जो भी मिली करतार कोई ग़म नहीं।

पाँच गोचर ने हमें अब लूटकर तनहा किया,
दूरदर्शी ना रहे फिर भी ये आँखें नम नहीं ।

मानते हैं ये इमारत अब नहीं होगी जवां,
याद की जागीर को यूँ मेटने का दम नहीं।

उम्र के इस हाशिये पर दो मिले ग्यारह अवध,
बीच में ही हार जायें वो सिकन्दर हम नहीं।

 

अवधेश कुमार ‘अवध’
awadhesh.gvil@gmail.com
ग्राम व पोस्ट – मैढ़ी (धरौली रोड)
जिला – चन्दौली
उत्तर प्रदेश – 232104

Sach ki Dastak

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