माता अन्नपूर्णा की अनोखी कहानी


विकास गोण की वाराणसी से रिपोर्ट
बाबा भोले की नगरी के रूप में विख्यात काशी दुनिया का सबसे पुराना एक मात्र ऐसा शहर है, जिसका 3500 वर्ष पुराना लिखित इतिहास मौजूद है। यहां गंगा के पश्चिमी घाट पर भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंग में से एक विश्वेश्वर लिंग पर काशी विश्वनाथ जी का मंदिर है। और इसी मंदिर के निकट दक्षिण दिशा में माँ अन्नपुर्णा देवी का मंदिर है जो भक्तों को अन्न धन प्रदान करने वाली माँ अन्नपूर्णा का दिव्य धाम है ! दीपावली से पहले पड़ने वाले धनतेरस के दिन माँ का अनमोल खजाना खोला जाता है और श्रधालुयों में इसकों साल में केवल एक दिन धनतेरस के दिन बाटा जाता है जिसके पीछे की मान्यता है की इस खजाने के पैसे को अगर अपने घर में रखा जाये तो कभी धन,सुख ,और समृधी में कमी नहीं होती !
माता अन्नपूर्णा ‘ समस्त संसार का भरण पोषण करने वाली हैं। यह ही मनुष्यों को सुख-सौभाग्य, नित्य आनन्द, ऐश्वर्य और आश्रित को अभय प्रदान करने वाली हैं। धन-धान्य से सम्पन्न भूमि माता का जीता जागता स्वरुप हैं देवी अन्नपूर्णा।श्रीअन्नपूर्णा को माता पार्वती का ही स्वरुप बताया गया है। देवी अन्नपूर्णा की पुरी काशी है. काशी की पारम्परिक नवगौरी-यात्रा में आठवीं भवानी गौरी तथा बाबा भोले की नगरी के रूप में विख्यात काशी दुनिया का सबसे पुराना एक मात्र ऐसा शहर है, जिसका 3500 वर्ष पुराना लिखित इतिहास मौजूद है। यहां गंगा के पश्चिमी घाट पर भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंग में से एक विश्वेश्वर लिंग पर काशी विश्वनाथ जी का मंदिर है। और इसी मंदिर के निकट दक्षिण दिशा में माँ अन्नपुर्णा देवी का मंदिर है जो भक्तों को अन्न धन प्रदान करने वाली माँ अन्नपूर्णा का दिव्य धाम है ! दीपावली से पहले पड़ने वाले धनतेरस के दिन माँ का अनमोल खजाना खोला जाता है और श्रधालुयों में इसकों साल में केवल एक दिन धनतेरस के दिन बाटा जाता है जिसके पीछे की मान्यता है की इस खजाने के पैसे को अगर अपने घर में रखा जाये तो कभी धन,सुख ,और समृधी में कमी नहीं होती !
माता अन्नपूर्णा ‘ समस्त संसार का भरण पोषण करने वाली हैं। यह ही मनुष्यों को सुख-सौभाग्य, नित्य आनन्द, ऐश्वर्य और आश्रित को अभय प्रदान करने वाली हैं। धन-धान्य से सम्पन्न भूमि माता का जीता जागता स्वरुप हैं देवी अन्नपूर्णा।श्रीअन्नपूर्णा नवदुर्गा-यात्रा में अष्टम् महागौरीका दर्शन-पूजन अन्नपूर्णा मंदिर में ही होता है।अन्नपूर्णा माता की विधि पूर्वक पूजा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। माता अन्नपूर्णा अत्यन्त दयालु व वरदायिनी हैं। इनकी उपासना से अनेक जन्मों से चली आ रही दरिद्रता का निवारण हो जाता है।पुराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान् शिव ज़ब काशी आये तो लोगों का पेट भरने के लिए उन्होंने माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी ! माँ ने भिक्षा के साथ साथ भगवान् शिव को यह वचन भी दिया की काशी में कभी भी कोई भूखा नही सोयेगा ! क्योकि यह नगरी महादेव को अतिप्रिय है इसलिए देवी अन्नपूर्णा भी हमेशा के लिए यहीं बस गयीं लेकिन माँ का दर्शन भक्तों को पुरे वर्ष में केवल चार दिनों के लिए ही मिलता है यह अदभुत संयोग धनतेरस से लेकर दिवाली तक ही होता है और इसी दी से माँ धन्वन्तरी के रूप में विख्यात होती हैं ..
त्रिलोक से न्यारी नगरी काशी में बाबा विस्वनाथ के साथ सारे देवी देवता विराजते है !माता भगवती यहा अन्नपूर्ण के रूप में विराजती है !माता की महिमा की कई कथाये पुराणों में वर्णित है ..कहा जाता की व्याश जी एक बार काशी आये और उन्हें यहा भूखा रहना पड़ा था तब वो क्रोधित होकर श्राप दिये की इस काशी में किसी को भी सुख नही मिलेगा लेकिन माँ अन्नपुर्णा ने व्याश जी को तुरंतबताया की ऐसा नही है आप का कोई पाप रहा होगा जिसकी वजह से ऐसा हुआ लेकिन काशी में रहने या आने वाला व्यक्ति अगर बाबा विस्वनाथ और माँ गंगा की आराधना करेगा तो उसे कभी भी अन्न धन की कमी नही होगी साथ में ही उसका वंश आगे चलेगा माँ अन्नपूर्ण का ये मंदिर माँ गंगा के पावन तट और द्वादश ज्योतिर्लिंगों मेंएक बाबा विस्वनाथ मंदिर के निकट स्थित है! माँ का ये मंदिर अति प्राचीन है .जहा माँ खुद स्वर्ण रूप में विराजती है !काशी में आने वाले हर किसी को अन्न माँ के ही आशीर्वाद से प्राप्त होता है …भगवान शंकर खुद माँ के दरबार में कतार बद्ध होकर आते है !माता अन्नपुर्णा के मंदिर में स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन धनतेरस के दिन से चार दिनों के लिये होता है ….माता का खजाना श्रधालुयों में इसी दिन बाटा जाता है मान्यताये है की माँ के खजाने से प्राप्त धन ,पुष्प को अपने घर के पूजा घर या अपने खजाने में रखा जाये तो उसमे परिवार में धन धान और यश की वृद्धि होती है !
माता अन्नपूर्णा जो कि सारे संसार की रस , धन-धान्य , अन्न , फल फूल तथा साग-सब्जी आदि की अधिष्ठात्री देवी है , वह आदिकाल से ही कृषि कर्म से भी जुड़ी हुई है!काशी में माँ के दर्शन से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है !