मोटीवेशनल स्पीच


सफलता का मतलब – स्वंय से दोस्ती और विश्वास –
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_____श्याम यादव
(यूथ राईटर एंड नेशनल मोटीवेटर)
दोस्तों! आज हर क्षेत्र में गला काट प्रतियोगिताएं अपनी जड़े जमा चुकीं हैं। एक तरफ छात्रों की रातदिन की कड़ी मेहनत और दूसरी तरफ़ पेपर लीक का जहर पीना वहीं दूसरी तरफ़ देश में हर महकमे में फैले भ्रष्टाचार व राजनैतिक गतिविधियों के माहौल ने समाज में वैमनस्यता पैदा कर दी है जिसके दंश से हर कोई पीड़ित है और उसके पास बस एक ही रास्ता है कि वह मेहनत करते जाये। पर कभी-कभी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण युवा भटक जाता है और निराशा से भर के पथभ्रष्ट हो जाता है तब जिम्मेदारी व जवाबदेही है हम जैसे मोटीवेटरों की वह अपने देश के युवाओं को अपने शीतल ज्ञान संदेशों से उनके मन को शांत कर सकें व सही दिशा दिखा सकें। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि समय तो सब के लिए 24 घंटे ही हैं पर कुछ लोग बुलंदियां हासिल कर लेते हैं और कुछ लोग निराशा के बादलों में गुम हो जाते हैं। गौरतलब हो कि वर्ल्ड बैंक एक सर्वे से पता चला है कि एक व्यक्ति की औसत आयु अगर 78 वर्ष मानकर आकलन किया जाये तो इसके अनुसार हमारे पास अपने लिए मात्र 9 वर्ष व 6 महीने ही होते है। उनके इस सर्वे के अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक औसतन 29 वर्ष सोने में, 3-4 वर्ष शिक्षा में, 10-12 वर्ष रोजगार में, 9-10 वर्ष मनोरंजन में, 15-18 वर्ष अन्य रोजमर्रा के कार्यों में खर्च हो जाते है। इस तरह हमारे पास अपने सपनों को पूरा करने व कुछ कर दिखाने के लिए मात्र 3500 दिन अथवा 84,000 घंटे ही होते है। जी हां हर सफल व्यक्ति के पास भी बस यही 84,000घंटे ही होते हैं पर वह लोग संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु समय की कीमत जानते हैं और हम समय की बर्बादी। वही दकियानूसी सोच के साथ कि भाग्य में होगा तो मिलेगा। आपको याद दिला दूं कि अमेरिका के पहले राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के हाथ की लकीरों को बचपन में महान हस्तरेखा विशेषज्ञ ‘कीरो’ ने देख कर जब कहा कि तुम्हारे हाथ में भाग्य रेखा ही नहीं तो यह सुनकर अब्राहम लिंकन ने पूछा भाग्य रेखा किस जगह होती है? तो कीरो ने इशारा किया। इतना सुनकर लिंकन ने वहीं पास में पड़े नुकीले पत्थर से अपने दोनों हथेलियों को चीर दिया और कहा मैं हूँ भाग्यवान। यह देख कीरो मुस्कुराया और बोला तुम असाधारण व्यक्तित्व हो। आप को पता है यह सच्ची कहानी हमें स्वयं से दोस्ती स्वंय पर यकीन करना सिखाती है। मेरे दोस्तों! आप खुद की शुरूआत खुद की दोस्ती से करें। खुद के लिए भी वक्त निकालें। आप आश्चर्यजनक बदलावों के साक्षी बनेगें। दोस्तों! महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आईस्टीन जब भी कोई काम किया करते थे तो उस काम मे खो जाते थे। उन्हे दूसरे किसी काम की होश नहीं रहती थी। एक बार वो अपनी प्रयोगशाला में किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, तो उनकी पत्नी उनके लिए खाना लेकर आयी। उनको काम मे खोया हुआ देखकर वो उनकी थाली पास में रखी मेज पर रख कर चली गयी। उन्होनें सोचा की जब भी काम से फुरसत मिलेगी, वो खाना खा लेंगे। साथ ही आईंसटीन के सहयोगी मित्र भी काम पर लगे थे। खाने की थाली देखकर उनकी भूख भड़क गयी और वो आईंसटीन को छोड़कर खाना खाने के लिए चले गए। उन्होने अपने खाने के साथ आईंस्टीन का खाना भी खा लिया। आईंस्टीन पूरी लगन के साथ अपने काम मे लगे थे। जब उन्होनें अपना काम निपटा लिया तो वो खाना खाने के लिए अपने मेज के पास गए तो उन्होनें देखा सभी बर्तन खाली है। उन्होने सोचा की शायद मैं खाना खा चुका हूँ और फिर पानी पीकर वापस अपने काम मे लग गए। उनके सभी सहयोगी उनके काम के प्रति यह निष्ठा देखकर दंग रह गए। इसी का नाम है ‘सच्ची लगन’। दोस्तों! गीता में भगवान कृष्ण कहते है है की उनकी माया को पार करना अत्यंत मुश्किल है। उनकी माया को पार करना या उत्तीर्ण होना हर जीव की लिए मुमकिन नहीं है। लेकिन मन मे लगन अगर सच्ची हो तो भगवान भी आपके पीछे खड़े हो जाते है और असंभव काम भी संभव हो जाता है। इस बात पर हमेशा पूरा भरोसा रखिए कि अगर आप आप अपने काम में डटे रहते हैं, तो आप ज़रूर कामयाब होंगे।दोस्तों! जिंदगी में मुसीबतें चाय के मग में जमी मलाई की तरह है,और कामयाब लोग वह हैं जिन्हें अपनी चाय बनाना भी खुद आता है और फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना भी बखूबी आता है। दोस्तों! हम आपको दिन में 70,000 से 90000 विचार आते है और हमारी सफलता एंव असफलता इसी विचारों के स्तर पर निर्भर करती हैं| वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादातर लोग 70% से 90% तक समय भूतकाल, भविष्यकाल एंव व्यर्थ की चिंता में लगा देते हैं | जबकि विवेकानंद जी ने कहा है कि सुबह से शाम तक काम करने पर इंसान उतना नहीं थकता जितना चिंता करने से पल भर मे थक जाता है। इसलिये कर्म करते रहो पर फल की चिंता में खुद को तनावग्रस्त न कर लो। क्योंकि तनाव चेहरे की मुस्कुराहटें चुरा लिया करता है। पढ़ाई ही तो करनी है। जॉब ही तो करना है तो खुशी-खुशी कीजिए।
आप ऊर्जावान रहेगें तो ज्यादा अच्छा कर पायेगें। आपको सफलता पानी है तो चिंता की सीमा ही न तोड़ दें क्योंकि चिंता आपके आसपास उड़ने वालों उन मच्छरों के समान है जिसे आप आस पास उड़ने से रोक तो नहीं सकते लेकिन उन्हें अपने मुंह और नाक में जाने से जरूर रोक सकते है। साथियों अाप भगवान का अंश हो सारा डर मन से निकाल कर आगें बढ़ो। जीवन से हारो मत उसे निखारो- खुद को सुधारने में एक कदम बढ़ाओ –
स्वंय से दोस्ती करें, प्रेम करें और विश्वास रखें।
सकारात्मक रहें क्योंकि जीवन का असली अनुभव हमेशा कड़वे अनुभवों से ही आता है।
स्वंय के प्रति ईमानदार रहें और सीख पहले लें फैसला बाद में।
जरूरतमंदों की मदद करें जिससे आपके अंदर शांति और करूणा जागेगी जो आपको विराट सोच का मालिक बनायेगी।
वर्तमान में जियें। अच्छा साहित्य पढ़ें। अच्छी सोच वालों से दोस्ती करें।
वह कार्य करें जिसमें आपकी रुचि हो।
जीवन में पैरासाइट(आश्रित) होना पाप समझें और खुद को साबित करने में जी जान से जुट जायें।
जीवन केवल खाने सोने के लिए नहीं मिला दोस्तों। कुछ समय समाजिक कार्यों को भी दें। कभी-कभी आप सोचते हैं कि बुरा आखिर! मेरे साथ ही क्यों होता? तो इतना जान लो कि परमात्मा ने किसी खास कार्य के लिए आप ही को चुना है जो कि सिर्फ़ आप ही कर सकते हैं। जरा सोचो! तराशा हीरे को जाता है कभी किसी को कंकड़ तराशते देखा है। मुझे लगता है आपके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गयी होगी बस यही मुस्कान अपने चेहरे पर सजा कर रखोगे। यकीन रखो कि आप जरूर सफल होगें और अपने परिवार व देश का नाम जरूर रोशन करेगें। अपनी कलम को विराम देते हुए आप सभी से यही कहूंगा कि मेरे नौजवान साथियों आप अपने अंदर की ताकत को पहचानो और कदम बढ़ाते चलो मंजिल की ओर किन्तु दोस्तों मंजिल ऐसी न हो जो सिर्फ आपका भला करके लाखों लोगों को नुकसान पहुंचाये बल्कि ऐसी हो जिससे किसी का नुकसान ना हो और कार्य उचित नीतियों पर हो फिर देखना आपके रास्ते में आने वाली बाधाएं स्वत: ही दूर होतीं चली जायेगीं किन्तु कहीं जोश में होश गंवाकर रूक मत जाना। मंजिल जब तक हो न हासिल बस चलते जाना।आप सभी का भविष्य उज्ज्वल हो। आप सभी को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।
जय हिंद जय भारत