

कवर स्टोरी –
-आकांक्षा सक्सेना, न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक
भाषण का प्रभाव पाक बेनक़ाब
सुषमा स्वराज की लताड़ से लड़खड़ाया पाक –
वेदों और पुराणों में सच ही लिखा है कि नारी जब काली बनती है तो उसके क्रोध से इंसान क्या स्वर्ग के देवता भी कांप उठते हैं। इसी बात का यथार्थ उदाहरण हमें भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र के अपने जोरदार भाषण में साफ दिखा जिसमें उन्होंने पाक को आड़े हाथों लिया और जमकर लताड़ा जिसे सुनकर पाक लड़खड़ाया हुआ है। गौरतलब हो कि यह दूसरा मौका है जब सुषमा स्वराज ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना भाषण अपनी मात्र भाषा हिंदी में दिया। उन्होंने मानवता को सर्वोच्च स्थान देते हुए अपने संबोधन की शुरुआत इंडोनेशिया में आए भूकंप में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देकर की।
उन्होंने कहा, “भारत आतंकवाद का दंश दशकों से झेल रहा है।हमें पड़ोसी देश से ही आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान न केवल आतंकवाद को बढ़ा रहा है बल्कि वो इसे करके नकारता भी है।वो ओसामा बिन लादेन को छुपाए रहा। सारा सच आ जाने के बाद भी उसके चेहरे पर न झेंप न सिकन। 9/11 का मास्टरमाइंड तो मारा गया, लेकिन 26/11 का मांस्टरमाइंड हाफ़िज सईद बेखौफ पाकिस्तान में चुनाव लड़ रहा है। भारत ने पाकिस्तान से कई बार बात करने की कोशिश की। मैंने ख़ुद इस्लामाबाद जाकर बातचीत की शुरुआत की लेकिन आदतन तत्काल ही पठानकोट में हमारे एयरबेस पर हमला कर दिया।” इतना ही नहीं, ”पाकिस्तान ने नए प्रधानमंत्री ने न्यूयॉर्क में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाक़ात की बात कही, लेकिन इसके ठीक बाद उन्होंने हमारे सुरक्षा बलों का सिर कलम कर दिया और हमारे सैनिकों के साथ बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं।”
भारतीय विदेश मंत्री ने आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा, ”हम उस बुराई से कैसे लड़ेंगे जिसकी संयुक्त राष्ट्र अब तक परिभाषा तय नहीं कर पाया है। पाकिस्तान आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी कहता है।जो हम पर हमला करता है पाकिस्तान में उसको बहादुर कहकर सम्मानित किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र पहले आतंकवाद को पारिभाषित करे।” उन्होंने यह भी कहा, ”संयुक्त राष्ट्र की गरिमा और उपयोगिता वक़्त के साथ कम हो रही है. संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता है। आज सुरक्षा परिषद दूसरे विश्व युद्ध के पांच विजेताओं तक ही सीमित है। मेरी अपील है कि सुरक्षा परिषद में सुधार किया जाए।
सुषमा स्वराज ने भारत का पक्ष रखते हुए यूएन महासभा में कहा, ”भारत वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में भरोसा करता है। हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं। संयुक्त राष्ट्र को भी परिवार की तर्ज पर चलाया जाना चाहिए। परिवार सुलह से चलता है कलह से नहीं। परिवार प्रेम से चलता है व्यापार से नहीं। परिवार मोह से चलता है लोभ से नहीं। भारत नहीं चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र के मंच से केवल कुछ देशों के हितों के लिए ही निर्णय लिए जाए। इस मंच को हमें वैसा बनाना चाहिए जो अविकसित देशों की पीड़ा को समझे।”
सुषमा स्वराज ने आतंकवाद के साथ ही जलवायु परिवर्तन का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ”जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती हैं। इससे सबसे ज़्यादा अविकसित और विकासशील देश जूझ रहे हैं। विकसित देशों को इस मामले में अविकसित और विकासशील देशों को मदद करनी चाहिए। भारत पर्यावरण को लेकर प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने कहा, ”वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने टिकाऊ विकास के लिए लक्ष्य रखा था।भारत 2030 के संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास के एजेंडे को लेकर प्रतिबद्ध है। भारत में वित्तीय समावेशी योजना के तहत जन धन योजना चलाई जा रही है। हम ग़रीबों को उनके बैंक खाते में सीधी मदद डाल रहे हैं।”
सुषमा ने कहा, ”प्रधानमंत्री मोदी ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की है जिसके तहत 50 करोड़ बीमार जरूरतमंद लोगों की अवस्था में 5 लाख रुपए तक की राशि दी जाएगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की गई है। मुद्रा योजना के तहत 14 करोड़ 9 लाख लोगों को क़र्ज़ दिया गया है।पिछली बार मैंने इसी मंच से उज्ज्वला योजना का ज़िक्र किया था और आज भी यह योजना जारी है।” भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, ”2022 में भारत के आज़ाद हुए 75 साल हो जाएंगे। 2022 तक हमने स्वस्थ्य भारत, स्वच्छ भारत और संपन्न भारत का संकल्प लिया है। सुषमा स्वराज का कहना बिल्कुल साफ था कि उनकी सरकार में आज तक निम्न लिखित प्रभावशाली योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हुआ है –
1. नीति आयोग – 1 जनवरी 2015
2. ह्रदय योजना -21 जनवरी 2015
3. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं -22 जनवरी 2015
4. सुकन्या समृद्धि योजना -22 जनवरी 2015
5. मुद्रा बैंक योजना -8 अप्रैल 2015
6. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना -9 मई 2015
7. अटल पेंशन योजना -9 मई 2015
8. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना -9 मई 2015
9. उस्ताद योजना (USTAD) -14 मई 2015
10. प्रधानमंत्री आवास योजना -25 जून 2015
11. अमरुत योजना(AMRUT) -25 जून 2015
12. स्मार्ट सिटी योजना -25 जून 2015
13. डिजिटल इंडिया मिशन -1 जुलाई 2015
14. स्किल इंडिया मिशन -15 जुलाई 2015
15. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना -25 जुलाई 2015
16. नई मंजिल -8 अगस्त 2015
17. सहज योजना -30 अगस्त 2015
18. स्वावलंबन स्वास्थ्य योजना – 21 सितंबर 2015
19. मेक इन इंडिया -25 सितंबर 2015
20. इमप्रिण्ट इंडिया योजना – 5 नवंबर 2015
21. स्वर्ण मौद्रीकरण योजना -5 नवंबर 2015
22. उदय योजना (UDAY) -5 नवंबर 2015
23. वन रैंक वन पेंशन योजना 7 नवंबर 2015
24. ज्ञान योजना -30 नवंबर 2015
25. किलकारी योजना -25 दिसंबर 2015
26. नगामि गंगे, अभियान का पहला चरण आरंभ -5जनवरी 2016
27. स्टार्ट अप इंडिया -16 जनवरी 2016
28. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना -18 फरवरी 2016
29. सेतु भारतम परियोजना -4 मार्च 2016
30. स्टैंड अप इंडिया योजना – 5 अप्रैल 2016
31. ग्रामोदय से भारत उदय अभियान 14अप्रैल 2016
32. प्रधानमंत्री अज्वला योजना 1 मई 2016
33. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 31 मई 2016
34. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना -1 जून 2016
35. नगामी गंगे कार्यक्रम -7 जुलाई 2016
36. गैस फॉर इंडिया -6 सितंबर 2016
37. उड़ान योजना -21 अक्टूबर 2016
38. सौर सुजला योजना -1 नवंबर 2016
39. प्रधानमंत्री युवा योजना 9 नवंबर 2016
40. भीम एप – 30 दिसंबर 2016
41. भारतनेट परियोजना फेज – 2 -19 जुलाई 2017
42. प्रधानमंत्री वय वंदना योजना -21 जुलाई 2017
43. आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना -21 अगस्त 2017
44. प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना- सौभाग्य -25 सितंबर 2017
45. साथी अभियान -24 अक्टूबर 2017
46. दीनदयाल स्पर्श योजना- 3 नवंबर 2017
क्या इस तरह की कोई प्रभावशाली योजना पाकिस्तान में सोची जा सकती है। तो इसका जवाब होगा नहीं। क्योंकि पाक जिस डाली पर बैठा है हर पल उसी को काटे जा रहा है। वह सभ्य भव्य विकासशील, रोजगारयुक्त आतंकमुक्त देश की कल्पना तक नहीं करता। वह तो डर में जीता और डर ही को पालता पोसता आ रहा है। उसका एक ही मकसद है सबको डराओ सबको परेशान करो। पता नही क्यों नही सोचता कि वहां भी युवा है तुम उन्हें क्या देकर जाओगे सिवाय नफरत के।
सुषमा स्वराज ने ज़ोर देकर कहा कि आतंकवाद को फिर से पारिभाषित करने की ज़रूरत है। इससे पहले भी भारत इस मंच से आतंकवाद को पारिभाषित करने की मांग कर चुका है। मैं पाकिस्तानियों से कहना चाहूंगी कि जो पैसे आतंकवाद पर खर्च करते हो उसे लोगों की तरक्की पर करो। ऐसा करना दुनिया और पाकिस्तान दोनों के हक़ में होगा। भारत हमेशा से आतंकवाद के ख़िलाफ़ रहा है लेकिन दुनिया के कई देश अपना निजी हित देख आतंकवाद पर बोलते हैं। हमें आतंकवाद की परिभाषा तय करनी होगी।अब हमें अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद के खांचे से बाहर निकलना होगा। आतंक, आतंक है और वह केवल बुरा ही होता है और अगर सुरक्षा परिषद में ही आतंकवादियों की लिस्ट पर मतभेद उभरकर सामने आएगा तो आतंकवाद के ख़िलाफ़ हमारी प्रतिबद्धता किस हद तक रहेगी? भारत जलवायु परिवर्तन के संकट को लेकर पेरिस समझौते के साथ है। हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने वीर शहीदों को याद करते हुए कड़े लहजे में पाक को जम कर लताड़ा और बड़े ही बेबाकी से पूरे भारत की पीड़ा को अपने लफ्जों से बयां करते हुए कहा कि हम ग़रीबी से लड़ रहे हैं और हमारा पड़ोसी पाकिस्तान हमसे लड़ने में लगा है। जो देश हैवानियत की सारी हदें पार कर सैकड़ों बेगुनाहों की निर्मम हत्या कर देता है वो हमें इंसानियत का पाठ पढ़ाता है।हम दोनों देशों के अस्तित्व में आए 70 साल हो गए हैं। कभी पाकिस्तान ने सोचा कि भारत की पहचान दुनिया में आईटी ताक़त के रूप में बनी और वो दहशतगर्द देश के रूप में जाना जाता है। हमारे देश में अब तक जो भी सरकारें आईं सबने विकास का काम किया उत्थान का काम किया । हमने आईआईटी, एम्स और आईआईएम खोले, लेकिन पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन को खड़ा किया। जोकि बेहद शर्मनाक है। हम हत्यारों को महिमामंडित करने वाले देश के साथ बातचीत कैसे कर सकते हैं? सुषमा ने कहा कि पाक से बातचीत रोके जाने का कारण पाक का दुर्व्यवहार है।
सुषमा स्वराज के सकारात्मक जोशीले जोरदार भाषण से वहां बैठे सभी लोग संतुष्ट दिखाई दिए और पूरी दुनिया में उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा का दौर शुरू हो गया। जिसकी पहल प्रधानमंत्री मोदी से हुई के साथ विपक्ष के भी कई नेताओं ने भाषण की तारीफ करते हुए लिखा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में अविश्वसनीय भाषण दिया है। उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत का गर्व बढ़ाया है। वहीं विपक्षी नेता कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि भारत की सकारात्मक और रचनात्मक छवि बनाने के बजाए संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भाषण बीजेपी के वोटरों के लिए था। समझ नहीं आता कि जब आतंकवाद जैसे गम्भीर विषय पर हमारी विदेश मंत्री कड़ा रूख इख्तियार करके अपनी बात रखतीं है तो विपक्ष को उसमें भी राजनीति ढूंढ़ने की जरूरत क्यों पड़ जाती है।
सच है कि आज राजनीति का स्तर बहुत गिर गया है। आज जब भारतीय सेना के जवानों की निर्ममता से गले काट कर उनके शव के साथ बर्बरता करके पाक अट्टाहास कर रहा है। जहां उसे मिलकर करारा जवाब देने की जरूरत है अफसोस! हम राजनीति में निजिस्वार्थ पूर्ति कर रहे हैं। आज जहां सेना को मजबूत करने में राफेल समझोता होता है उसमें भी राजनीति बेहद शर्मनाक बात है। गौरतलब हो कि भारतीय सेना के सर्जीकल स्ट्राइक के खौफ से आज भी पाक सख्ते में है। जिसकी पुष्टि इस बात से हो जाती है कि वह भारतीय सेना कि ‘कोल्ड स्टार्ट’ रणनीति से सहमा हुआ है। जिसपर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाक़ान अब्बासी का कहना है कि उनका देश पाक भारतीय सेना की ‘कोल्ड स्टार्ट’ रणनीति से दो- दो हाथ करने के लिए छोटी रेंज के परमाणु हथियार बना रहा है। उन्होंने यह भी कहा, ”जहां तक टेक्टिकल परमाणु हथियारों की बात है, तो हमने ऐसे कोई हथियार अभी फ़ील्ड नहीं किए है।हमने शॉर्ट रेंज परमाणु हथियार विकसित किए हैं ताकि भारत की ‘कोल्ड स्टार्ट’ रणनीति का सामना किया जा सके।”
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक इंटरव्यू में चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत ने जब इस साल की शुरुआत में कार्यभार संभाला था तो सार्वजनिक तौर पर इस मिलिट्री डॉक्टरिन के वजूद में होने की बात कही थी। लेकिन ये डॉक्टरिन आख़िर है क्या? तौ इसका जवाब है, कोल्ड स्टार्ट का मतलब यानि ‘हॉट वॉर’ से बचने के लिए अपनाई जाने वाली सुव्यवस्थित मजबूत रणनीति। इस डॉक्टरिन का लक्ष्य टकराव की स्थिति में भारत के पारंपरिक सुरक्षा बलों को सीमित हमले करने की स्थिति में लाना है ताकि पाकिस्तान की तरफ़ से परमाणु प्रतिक्रिया को भी रोका जा सके। पर इसके बावज़ूद भी पाक बहुत तेजी से इसका तोड़ ढूढ़ने और आधुनिक हथियार बनाने में अपने देश के युवाओं को एक खतरनाक हथियार की तरह यूज करने में भविष्य में स्वंय की बर्बादी करने पर आमादा है और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की लताड़ से लड़खड़ाया हुआ बेतुके बयानबाजी करने में लगा है। अब समय ही बताएगा कि पाक दुनिया से अलग-थलग होकर जीना चाहता है या अपने बुजदिली से भरपूर कुकृत्यों के कारण भयंकर परिणाम भुगतने को तैयार रहना चाहता है।