सुविचार –


तारीफ की चाहत तो... नाकामों की फ़ितरत होती है... काबिल के तो .... दुश्मन भी क़ायल होते हैं... मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना, पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूँ..
तारीफ की चाहत तो... नाकामों की फ़ितरत होती है... काबिल के तो .... दुश्मन भी क़ायल होते हैं... मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना, पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूँ..