हिंदू धर्म में भी भू-समाधि की परंपरा, प्रयागराज और उन्नाव में शवों के दफनाने पर राजनीति गलत है – बोले संत ‘स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती”

वाराणसी: प्रयागराज और उन्नाव में धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ कोरोना काल मे शवो को दफनाने के मुद्दे पर विपक्ष लगातार हमलावर है, और इसे केंद्र और राज्य सरकार की विफलता बताया जा रहा है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी प्रयागराज की तस्वीरों के माध्यम से सरकार पर धार्मिक मान्यताओं से अंत्येष्टि न करा पाने के लिए लगातार योगी सरकार को घेरा। लेकिन ऐसा नही है, कि हिंदुओं को दफनाने की ये तस्वीर कोई नई नही है, और इस बात की तस्दीक करती है। धर्म और मोक्ष की नगरी के लहरतारा स्थित ये कब्रिस्तान देखिये

कोरोना के दूसरी लहर में केंद्र और राज्य सरकार शवो को दफनाने को लेकर सबसे ज्यादा घिरती नज़र आई। लेकिन ये तस्वीरे इस बात की तस्दीक करती हैं कि हिन्दू समुदाय के कई पंथो में भू-समाधि की परम्परा रही है। इस मुद्दे पर जब हमने धर्माचार्य और अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद से जब इस बाबत बात की तो उन्होंने बताया कि अलग अलग स्थान पर अंत्येष्टि कई प्रकार से की जाती है। भू समाधि, जल समाधि, अग्नि समाधि कई जगहों पर बर्फ में दफनाने की भी प्रथा है हिन्दू धर्म मे भी बौद्ध धर्म अपनाने वाले महायान पन्थ और कबीर पंथियों के बीच भू-समाधि लिए जाने की परंपरा है साथ ही हिन्दू समाज के आर्थिक रूप से विपन्न शुद्र वर्ण के लोग जो बौद्ध या कबीरपंथ को मानते हैं उनके बीच अपने परिजनों को भू-समाधि कराये जाने की परम्परा रही इस पर व्यर्थ में ही राजनीति हो रही है।

कोरोना की दूसरी लहर में मौतों के आंकड़ो और मृतको के अंतिम संस्कार में आ रही परेशानियों पर विपक्ष लगातार हमलावर है। लेकिन हिन्दू द्वारा शवो को दफनाने के मामले में एक बात तय है कि शवो को दफनाने की प्रक्रिया हिन्दू धर्म के अलग अलग पंथो में अपनाई जाती रही है।

धर्माचार्य और अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती

Sach ki Dastak

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x