ज्ञानमार्ग सांख्य का मार्ग है तो कर्ममार्ग यथार्थ योगमार्ग- अखिलानन्द
सच की दस्तक डिजिटल न्यूज डेस्क चन्दौली
डीडीयू नगर। संस्कृति संजीवनी सेवा संस्थान के तत्वावधान मे बुधवार को दूसरे दिन की सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का रसपान भागवत् व मानस मर्मज्ञ अखिलानन्द के श्रीमुख से प्रारंभ हुयी। इस दौरान श्री पंचमुखी विश्वकर्मा मंदिर के प्रांगण मे ब्यासपीठ से दिवस कथा के दौरान उद्बोधन देते हुए श्रीमद् भागवत् व मानस मर्मज्ञ अखिलानन्द जी महाराज ने भक्त को भगवान से जुड़ने के लिए भक्ति मार्ग की व्याख्या की। उन्होने कहा कि भवसागर तैरने के लिए, प्रभु से युक्त होने के लिए दो मार्ग मुख्य है। एक है ज्ञान मार्ग तो दूसरा है कर्म मार्ग। ज्ञानमार्ग सांख्य का मार्ग है तो कर्ममार्ग यथार्थ योगमार्ग। ज्ञान मार्ग हो या कर्म मार्ग, दोनों में भक्ति की परम आवश्यकता है। भक्ति दोनों के साथ होनी चाहिये। ज्ञान के साथ-साथ अगर भक्ति नहीं होगी तो ज्ञान का अभिमान आयेगा। ज्ञान मुक्त करता है, मगर ज्ञान का अभिमान बाँधता है। पूर्ण वैराग्य के बिना ज्ञानमार्ग में सिद्धि नहीं मिलती। कर्ममार्ग राजपथ है। हर कोई उस पथ पर चलकर जा सकता है। कर्म में अगर भक्ति होगी तो कर्म पूजा बनेगा। बोलने में भक्ति होगी तो बोलना स्तुति बनेगा। देखने में भक्ति होगी तो दर्शन बनता है। चलने में भक्ति मिलने से चलना परिक्रमा बन जाता है। भोजन में भक्ति मिलने से भोजन यज्ञ बन जाता है। सोने में भक्ति मिलने से वह समाधि बन जाती है। तुम जो भी क्रिया करो उसमें भक्ति घुल जानी चाहिये। ज्ञान व वैराग्य के द्वारा भक्ति पुष्ट होती है ईश्वर प्राप्ति के तीन मार्ग हैं कर्म ज्ञान और भक्ति जिसमे भक्ति को श्रेष्ठ माना गया है। यजमान के रूप मे छोटे लाल जायसवाल,प्रिति जायसवाल एवं संजय अग्रवाल,मिलन अग्रवाल रहे। मौके पर संतोष शर्मा, कन्हैयालाल जायसवाल, मनोज श्रीवास्तव, यज्ञनारायण सिंह, दिनेश सिंह, अतुल दूबे, मनोज प्रकाश पाण्डेय, कमलेश तिवारी, विनोद तिवारी, विनिता अग्रहरी, रेखा अग्रवाल, अविनाश अग्रवाल, राजकुमार गुप्ता , पी एन सिंह, मिथलेश मिश्रा, विकास शर्मा, संतोष पाठक, गोपाल दूबे,श्रेयस श्रीवास्तव,भैयालाल पाठक, आलोक पाण्डेय, क्षाया पाण्डेय, पुष्पेन्द्र मिश्रा, कौशांबी पाठक, मिथलेश सिंह, गोपाल जी, शिवम तिवारी,संतोष पाठक, आलोक पांडेय,धन्नू चौबे, शिवम पाण्डेय,मीरा पाण्डेय,प्रमोद शर्मा, रवि जी सहित भारी संख्या में भक्तों ने कथा श्रवण किया।
