कैनाल का तटबंध टूटा, 100 बीघा खेत जलमग्न, 50 घरों में घुसा पानी, किसानों ने किया चक्का जाम

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सच की दस्तक डिजिटल न्यूज डेस्क चन्दौली 

उत्तर प्रदेश की पूर्वी सीमा पर स्थित धान का कटोरा कहा जाने वाला जनपद चंदौली के अलीनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत गोधना गांव में शनिवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब नरायनपुर पंप कैनाल की मुख्य नहर का तटबंध अचानक टूट गया। इससे आसपास के गांवों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस हादसे में करीब 100 बीघा खेत जलमग्न हो गए, वहीं 50 से अधिक घरों में पानी घुस गया, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

किसानों की मेहनत और सपनों पर पानी फिरने से गुस्साए ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुख्य सड़क पर चक्का जाम कर दिया। करीब दो घंटे तक सड़क पर आवागमन पूरी तरह ठप रहा। मौके पर पहुंचे अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद ही किसानों ने जाम हटाया।

प्रशासन की घोर लापरवाही उजागर

ग्रामीणों का आरोप है कि नहर के तटबंध की हालत काफी समय से खराब थी और इसकी मरम्मत की मांग बार-बार की गई थी, लेकिन सिंचाई विभाग ने इसे अनदेखा कर दिया। शुक्रवार रात विभागीय कर्मचारियों द्वारा नहर में जरूरत से ज्यादा पानी छोड़ा गया, जिससे नहर का जलस्तर सुबह तक खतरनाक रूप से बढ़ गया।

औद्योगिक क्षेत्र फेज-2 के पास नहर का पानी ओवरफ्लो होने लगा, और गोधना गांव के पास स्थित जर्जर तटबंध का हिस्सा टूट गया। तेज बहाव के चलते पानी खेतों और रिहायशी इलाकों में घुस गया। फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। लोगों के घरों में पानी भरने से रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो गई है।

किसानों की आंखों में आंसू, दिल में आक्रोश

पीड़ित किसान रामेश्वर यादव ने कहा, “हमने शुक्रवार रात ही अधिकारियों को फोन कर जलस्तर बढ़ने की जानकारी दी थी, लेकिन कोई नहीं आया। अब हमारी पूरी मेहनत बर्बाद हो गई। अगर मुआवजा नहीं मिला, तो हम सब आंदोलन करेंगे।”

महिला किसान कमला देवी ने रोते हुए बताया, “मेरे खेत में धान की तैयार फसल थी, जो पूरी डूब गई। अब घर कैसे चलेगा, बच्चों का खर्चा कहां से आएगा?”

 

विभाग की ताबड़तोड़ सफाई

इस पूरे प्रकरण पर अधिशासी अभियंता रवि मिश्रा ने सफाई देते हुए कहा कि, “तत्काल विभागीय टीम को मौके पर भेज दिया गया है। सभी पंप बंद कर दिए गए हैं ताकि जलस्तर नियंत्रित हो सके। मरम्मत कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है।”

हालांकि, ग्रामीण इस सफाई से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि जब पहले ही तटबंध की जर्जर स्थिति को लेकर सूचनाएं दी जा चुकी थीं, तब कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

सवालों के घेरे में प्रशासन
*क्या समय रहते तटबंध की मरम्मत नहीं करवाई जा सकती थी?

*किसानों की चेतावनी को क्यों अनदेखा किया गया?

*अब जिन किसानों की फसलें डूब गईं, उनका मुआवजा कौन देगा?

*क्या अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी?

इस हादसे ने जिले की सिंचाई व्यवस्था और प्रशासनिक संवेदनशीलता दोनों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यदि समय रहते चेतावनी पर अमल किया गया होता, तो आज सैकड़ों परिवारों को यह संकट नहीं झेलना पड़ता

 

 

 

 

Sach ki Dastak

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