कोरोना के समय बाजार के मायाजाल से बचें-

0

कोरोना वायरस से पैदा हुई महामारी यानी कोविड-19 का प्रकोप किस दवा से ख़त्म होगा? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए दुनिया भर के शोधकर्ता मेहनत कर रहे हैं.

अभी तक एक ही बात साफ़ है कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत है उन पर कोविड-19 का हमला घातक नहीं होता. अब बाज़ार इसी बात को भुनाने में लग गया है. प्रतिरोधक क्षमता इम्यूनिटी बढ़ाने के अनेक उपाय मीडिया, सोशल मीडिया पर सुझाए जा रहे हैं. टीवी पर बराबर इम्यूनिटी बोल बोल के प्रोडक्ट बेचे जा रहे हैं।

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. हर महामारी के समय में ऐसी बातें होती रहती हैं. 1918 में जब स्पेनिश फ्लू फैला था तब भी इसी तरह की बातें हुई थीं और आज 2021 में भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है. हालांकि इन सौ वर्षों में मेडिकल साइंस के लिहाज़ से इंसान ने काफ़ी तरक़्क़ी कर ली है.

हाल में इन दिनों एक अफ़वाह सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल है कि कीवी फल खाते रहो. बहुत से लोग तो प्रो-बायोटिक्स लेने की सलाह भी दे रहे हैं. कोई कह रहा है कि ग्रीन-टी और लाल मिर्च से कोविड-19 के कमज़ोर किया जा सकता है.

रिसर्च कहती है कि सुपर फ़ूड बाज़ार का फैलाया हुआ एक मिथक जाल है. साइंस की रिसर्च में इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिलता कि इनसे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

अमरीका की येल यूनिवर्सिटी की इम्युनोलॉजिस्ट अकीको इवासाकी का कहना है कि प्रतिरोधक क्षमता के तीन हिस्से होते हैं-त्वचा, श्वसन मार्ग और म्यूकस झिल्ली. ये तीनों हमारे शरीर में किसी भी संक्रमण रोकने में मददगार हैं. अगर कोई वायरस इन तीनों अवरोधकों को तोड़कर शरीर में घुस जाता है, तो फिर अंदर की कोशिकाएं तेज़ी से सतर्कता बढ़ाती हैं और वायरस से लड़ना शुरू कर देती हैं.

अगर इतने भर से भी काम नहीं चलता है तो फिर एडॉप्टिव इम्यून सिस्टम अपना काम शुरू करता है. इसमें कोशिकाएं, प्रोटीन सेल और एंटीबॉडी शामिल हैं. शरीर के अंदर ये रोग प्रतिरोधक क्षमता उभरने में कुछ दिन या हफ़्ता भर लग सकता है. एडॉप्टिव इम्यून सिस्टम कुछ ख़ास तरह के विषाणुओं से ही लड़ सकता है.

हल्की खांसी, नज़ला, बुख़ार, सिरदर्द के लक्षण किसी वायरस की वजह से नहीं होते हैं. बल्कि ये हमारे शरीर की उस प्रतिरोधक क्षमता का हिस्सा होते हैं जो हमें जन्म से मिलती है. बलग़म के ज़रिए बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद मिलती है. बुखार, शरीर में वायरस के पनपने से रोकने का माहौल बनाता है. ऐसे में अगर किसी के कहने पर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीज़ों का सेवन कर भी लिया जाए, तो उसका असल में कोई फ़ायदा होने नहीं वाला है.

अक्सर लोग मल्टी विटामिन के सप्लीमेंट इस उम्मीद में लेते रहते हैं कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी. रिसर्च कहती हैं कि जो लोग पूरी तरह सेहतमंद हैं उन्हें इसकी ज़रूरत ही नहीं.

अतिरिक्त सप्लीमेंट लेने की आदत का शिकार सिर्फ़ आम इंसान नहीं हैं. पढ़े-लिखे लोग भी इस जाल में फंस जाते हैं. मिसाल के लिए दो बार नोबेल अवॉर्ड विजेता लाइनस पॉलिंग ज़ुकाम से लड़ने के लिए हर रोज़ 18,000 मिलीग्राम विटामिन सी लेने लगे. ये मात्रा शरीर की ज़रूरत से 300 गुना ज़्यादा थी. विटामिन-सी, नज़ला ज़ुकाम से लड़ने में बहुत थोड़ी ही मदद कर पता है.

इसे लेकर बाज़ार का बिछाया हुआ मायाजाल ज़्यादा है. जानकारों का कहना है कि विकसित देशों में जो लोग संतुलित आहार लेते हैं, उन्हें अपने खाने से ही शरीर की ज़रूरत के मुताबिक़ विटामिन-सी मिल जाता है. वहीं विटामिन-सी का ज़्यादा सेवन गुर्दे में पथरी की वजह बन सकता है.

जानकारों के अनुसार जब तक शरीर में किसी विटामिन की कमी ना हो, तब तक किसी भी तरह का सप्लीमेंट हानिकारक हो सकता है. सिर्फ विटामिन-डी का सप्लीमेंट ही फ़ायदेमंद साबित हो सकता है.

अकीका इवासाकी के मुताबिक़ बहुत सी स्टडी में पाया गया है कि विटामिन-डी की कमी से सांस संबंधी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है. इसकी कमी से ऑटो इम्युन वाली बीमारियां भी हो सकती हैं.

अलग से सप्लीमेंट लेने की ज़रूरत नहीं

शरीर में व्हाइट सेल्स से विषैले ऑक्सीजन पदार्थ निकलते हैं, जो दुधारी तलवार की तरह काम करते हैं. एक तरफ़ तो ये शरीर में किसी बैक्टीरिया या वायरस को बढ़ने से रोकते हैं, तो दूसरी ओर स्वस्थ कोशिकाओं को ख़त्म करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर करते हैं. इसीलिए सभी कोशिकाओं को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए एंटी ऑक्सिडेंट की ज़रूरत होती है. हमें ये एंटी ऑक्सिडेंट काफ़ी मात्रा में फलों, सब्ज़ियों से मिल जाते हैं. इसके लिए अलग से सप्लीमेंट लेने की ज़रूरत नहीं है

कुछ बैक्टीरिया ऐसे होते हैं जो शरीर के दोस्त होते हैं. हमारी सेहत के लिए उनकी बहुत ज़रूरत होती है. कई बार शरीर में इन बैक्टीरिया की कमी हो जाती है. इसीलिए बाज़ार से प्रोबायोटिक्स के सप्लीमेंट लेने पड़ते हैं. संकट के इस दौर में कुछ वेबसाइट पर दावा किया जा रहा है कि प्रोबायोटिक्स कोविड-19 से लड़ने में मददगार है. ऐसे तमाम दावे झूठ हैं. इस दावे पर अभी तक कोई भी रिसर्च पक्के सबूत पेश नहीं कर पाई है.

कोरोना मरीज का खानपान कैसा हो? 

हर दिन 2 हजार कैलोरी का पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए

डायटीशियन कमेटी ने कोरोना संक्रमित मरीजों को हर दिन 2 हजार कैलोरी का पौष्टिक आहार देने की सलाह दी हैं। इसके अलावा डायबटिक मरीज को ब्रेड बिलकुल मना की हैं। इसके अलावा कोरोना संक्रमित मरीज को चावल, दही, केला और खट्टे फल और कच्चा सलाद नहीं ब‍िलकुल मना किया गया हैं क्योंकि इससे उन्हें खांसी और आने का खतरा होता है।

कोरोना मरीज के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दूध में हल्‍दी मिलाकर देना चाहिए। फल में हर दिन एक सेब दे सकते हैं हां कटे फल मरीज को न देने की सलाह दी गई हैं क्यों इससे संक्रमण बढ़ने का जोखिम है। पर जिन मरीजों को रखा गया हैं उनकी कोविड 19 क रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें चावल, दही व केला दिया जा सकता है। कोरोना संक्रमित मरीजों को मांसाहारी भोजन बिलकुल भी नहीं देने की कमेटी ने राय दी हैं।

डायबटीज कमेटी के निर्देशों के अनुसार खाने में खड़े गरम मसाले का प्रयोग किया जाना चाहिए। कोरोना पॉजिटिव मरीज को कार्बोहाइड्रेट के लिए आलू, फाइबर के लिए प्रोटीन के लिए पनीर, अरहर की दाल, सोयाबीन दी जानी चाहिए। भोजन फाइबर युक्त होना चाहिए। इसमें गाजर की सब्जी, राजमा और चने की दाल दी जानी चाहिए। मरीज का ब्रेक फास्ट 800-900 कैलोरी का हैवी होनी चाहिए। सुबह के नाश्ते में जिन मरीजों को डायबिटीज नहीं है। उन्हें ब्रेड मक्खन, दलिया, उपमा और पोहा दिया जाना चाहिए। उबला अंडा भी दिया जा सकता है। साथ में एक कप दूध भी हो। उसके बाद सेब और केला दिया जा सकता है। शाम की चाय के साथ लईया और बिस्कुट भी दें।

साफ़ पानी और स्वच्छ भोजन सामाग्री
  • स्वच्छ जल का इस्तेमाल करें और अगर ये उपलब्ध न हो तो इसे सुरक्षित इस्तेमाल के लायक साफ़ करें.
  • ताज़ा और पौष्टिक खाद्य सामाग्री का इस्तेमाल करें.
  • ऐसा भोजन चुनें जिसकी सुरक्षित प्रोसेसिंग की गई हो जैसे पाश्चुराइज़्ड दूध
  • फल और सब्ज़ियां ज़रूर धोएं, ख़ासकर तब जब आप उन्हें कच्चा ही खा रहे हों.

अब सवाल ये है कि आख़िर कोविड-19 से बचा कैसे जाए. इसके लिए फ़िलहाल तो यही ज़रूरी है कि जितना हो सके सोशल डिस्टेंसिंग और साफ़ सफ़ाई का ध्यान रखिए. संतुलित आहार लीजिए भारतीय मौसमी फल लीजिए . नियम से व्यायाम कीजिए. किसी वेलनेस एक्सपर्ट के बहकावे में आकर ख़ुद ही अपने डॉक्टर मत बनिए. परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लीजिए.

Sach ki Dastak

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x