QUAD Summit 2022 मोदीजी का जलवा 40 घंटे में 23 बैठकें, 4 दोस्तों के ‘लव इन टोक्यो’ से चीन को दहशत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय जापान में हैं। PM वहां 40 घंटे रुकने वाले हैं और ताबड़तोड़ 23 अलग-अलग बैठकें करेंगे। वह दुनिया के तीन बड़े नेताओं से मिलने वाले हैं।
सबसे महत्वपूर्ण 24 मई को वह क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। वही क्वाड, जिसके बारे में चीन खुद कहता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उस पर अंकुश लगाने के लिए बनाया गया है।
बैठक कल होनी है लेकिन चीन को इतनी मिर्ची लगी है कि 48 घंटे पहले ही अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति कहते हुए वह बोलने लगा कि इसका फेल होना तय है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि यह रणनीति एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ज्यादा चिंता पैदा कर रही है। वैसे, चीन की चिंता यूं ही नहीं है। वह छोटे-छोटे देशों के द्वीपों पर गाहे-बगाहे दावा जताता रहता है। जबकि अमेरिका, भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देश मुक्त और खुले क्षेत्र की बातें करते हैं। मोदी ऐसे समय में जापान की यात्रा पर पहुंचे हैं, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। क्वाड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस के साथ बैठकर चर्चा करेंगे। इन चार दोस्तों की टोक्यो में गुफ्तगू चीन को पच नहीं रही है।
मोदी जी का जलवा कायम रहा-
”हिन्दी” बोलते हुए प्यारे बच्चों के बीच हमारे पीएम
Landed in Tokyo. Will be taking part in various programmes during this visit including the Quad Summit, meeting fellow Quad leaders, interacting with Japanese business leaders and the vibrant Indian diaspora. pic.twitter.com/ngOs7EAKnU
— Narendra Modi (@narendramodi) May 22, 2022
Penned an op-ed on the vibrant relations between India and Japan. Ours is a partnership for peace, stability and prosperity. I trace the journey of our special friendship which completes 70 glorious years. @Yomiuri_Online https://t.co/nXx8y3qiQL
— Narendra Modi (@narendramodi) May 23, 2022
टोक्यो : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सोमवार को होटल New Otani में भारतीय प्रवासियों ने जोरदार स्वागत किया और ‘हर हर मोदी’, ‘मोदी मोदी’, ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए. दो दिवसीय टोक्यो यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखकर भारतीय मूल के लोग खुशी से झूम उठे और उन्होंने देश का झंडा लहराया. साथ ही लोगों के हाथ में पोस्टर भी थे, जिसमें लिखा गया था कि जो 370 मिटाए हैं, वो टोक्यो आए हैं.
इसके अलावा होटल में कई बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए मौजूद थे. प्रधानमंत्री ने वहां मौजूद बच्चों में से एक के साथ बातचीत की और उसे ऑटोग्राफ भी दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार की शाम दो-दिवसीय यात्रा पर जापान के लिए रवाना हुए थे. जहां वह 24 मई को क्वाड नेताओं के एक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे, जो प्रभावशाली समूह के सदस्य देशों के बीच सहयोग को और मजबूत बनाने तथा हिन्द-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित घटनाक्रम पर चर्चा करने पर केंद्रित है. प्रधानमंत्री सोमवार को कॉर्पोरेट जगत के कई प्रमुख दिग्गजों के साथ अलग-अलग बैठकें करेंगे, जिनमें एनईसी कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष नोबुहिरो एंडो, यूनीक्लो के अध्यक्ष तदाशी यानाई, सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के सलाहकार ओसामु सुजुकी और सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्पोरेशन बोर्ड के निदेशक मासायोशी सोन शामिल हैं.
#WATCH | Japan: Indian diaspora in Tokyo calls PM Modi "Bharat Ma Ka Sher" as they hail him with chants and placards.
PM Modi will be participating in Quad Leaders’ Summit as part of his 2-day tour starting today, May 23. pic.twitter.com/aIQ8gyE62V
— ANI (@ANI) May 23, 2022
Japan’s Indian community has made pioneering contributions in different fields. They have also remained connected with their roots in India. I thank the Indian diaspora in Japan for the warm welcome. pic.twitter.com/cfMCzM4XVf
— Narendra Modi (@narendramodi) May 23, 2022
Discussing innovation and economic linkages with a time tested and valued friend of India's…
PM @narendramodi met Advisor @suzukicojp, Mr. Osamu Suzuki. They talked about diverse opportunities in India, the strong India-Japan economic partnership and more. pic.twitter.com/v6Qac125g8
— PMO India (@PMOIndia) May 23, 2022
नाटो से क्यों जोड़ रहा चीन? मंशा समझिए
चीन ने कहा है कि एशिया-प्रशांत को किसी ब्लॉक, ‘नाटो या शीत युद्ध’ में तब्दील करने की कोशिश सफल नहीं होगी। दरअसल, क्वाड के सदस्य मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर बल देते हैं। बीजिंग क्वाड को ‘एशियाई नाटो’ कहकर निंदा करता है। उसे लग रहा है कि क्षेत्र में अब उसकी मनमर्जी नहीं चलेगी। दरअसल, NATO की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शांति बनाए रखने और यूरोप में सोवियत विस्तार के खतरे से निपटने के लिए की गई थी। पिछले दिनों जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो उसके पड़ोसी देशों में नाटो सेनाएं अलर्ट हो गई थीं, क्योंकि वे देश नाटो के सदस्य हैं। चीन को लग रहा है कि भविष्य में उसने किसी तरह की उकसावे वाली कार्रवाई की तो दुनिया के ताकतवर देश एकसाथ आ सकते हैं।
उधर, अमेरिका, भारत एवं दूसरे देश संसाधन संपन्न इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के चलते मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के पूरे हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि ताईवान, फिलिपींस, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम उसके कुछ- कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान भी बना लिए हैं। चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी विवाद है।