भारत का होकर ही भारतीय संस्कृति को समझा जा सकता है – अभय कुमार
सच की दस्तक डिजिटल न्यूज डेस्क वाराणसी
भारत का होकर ही भारतीय संस्कृति को समझा जा सकता है l हिंदू शब्द मात्र एक धर्म सूचक शब्द ना हो करके समस्त भारतीयों का परिचय है l उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के अंतर्गत आयोजित हिंदू सम्मेलन में बृजएंक्लेव कॉलोनी के मुंशी प्रेमचंद पार्क में मुख्य वक्ता के रूप में अभय ने कहीं l पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख अभय कुमार ने बताया कि भारत में जब सभी सनातनी थे तब हिंदू शब्द का बहुत प्रचलन नहीं था ,बाद में अन्य संप्रदाय के भारत में बढ़ने के बाद हिन्दू शब्द परिचय के रूप में प्रयोग बढ़ा l एक मान्यता है कि सिंधु शब्द का उच्चारण हिंदू हुआ ,
परंतु वास्तव में सही तथ्य यह है कि भारत के विदेशी आक्रांताओं के आने के बाद स्वयं को अलग करने की दृष्टि से भारत के मूल निवासियों ने हिंदू शब्द के प्रयोग को बढ़ाया l यह प्राचीन धर्म है, इस्लाम की स्थापना 610 ईस्वी में होती है उसके पूर्व इस्लाम का नाम लेने वाला कोई नहीं था, इसी प्रकार 26 वर्ष की आयु में ईसा मसीह ने ईसाई धर्म प्रारंभ किया , उसके पूर्व ईसाई धर्म का कोई अस्तित्व नहीं था l
भारतीयों को हिंदू शब्द प्रयोग करने में जो संकोच उत्पन्न होता है उसका कारण है तो 2300 वर्षों तक आक्रमणकरियों से सतत संघर्ष करते रहना l इस बीच हिंदू धर्म को लेकर कई झूठ बोले गए और लंबे समय तक यदि कोई झूठ बोला जाता रहे तो वह भी कभी-कभी सच जैसा लगता है l भारत में जातियों का उल्लेख 1872 से लिखित रूप में प्राप्त होता है l इसी प्रकार भारत में छुआछूत का उल्लेख 712 ई से प्रारंभ होता है l 1947 में जो भारत स्वतंत्र हुआ तब भारत सरकार द्वारा सामान्य ,अनुसूचित जाति एवं जनजातीय के रूप में हिन्दुओं को बांटा गया l वर्ष 1990 में पिछड़ा वर्ग के रूप में हिंदू समुदाय में और अधिक विखंडन किया गया l मुख्य वक्ता ने हिंदू समाज की समस्याओं के निराकरण के लिए मुख्य अवसरों पर एक साथ भोजन और समाज की समस्याओं के लिए एक साथ बैठकर निराकरण करने को महत्वपूर्ण बताया l
इसके पूर्व प्रख्यात लेखिका विनीता द्वारा राष्ट्रभक्ति कविता प्रस्तुत की गई l कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे छात्र अधिष्ठाता आईआईटी बीएचयू राजेश ने कहा कि मनुष्य को उसके माता-पिता से संस्कार प्राप्त होता है और चेतना के विकास के साथ-साथ हम अपने परिवार समाज और राष्ट्र के साथ एकाकार होते हैं l हमें जो भी ज्ञान अपने पूर्वजों से मिला है उसे अपने जीवन में उतारना आवश्यक है हिंदू को आत्मबोध की पहचान आवश्यक है l
कार्यक्रम के प्रारंभ में मंचासीन अतिथियों के साथ श्री हनुमान ध्वज यात्रा समिति के संस्थापक रामबली एवं अगिया जोगिया वीर बाबा मंदिर के महंत रामदास ने भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर एवं दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया l कार्यक्रम का संचालन कृष्ण मोहन तिवारी ने किया l
कार्यक्रम में मुख्य रूप से कृष्णानंद , अभिषेक मणि, पार्षद मदन मोहन , अंकित , डा. अजय पान्डेय , दिवाकर व अन्य संघ केंद्र वरिष्ठ कार्यकर्ता गण व बड़ी संख्या में मातृशक्तियां उपस्थित रहीं l
