महँगाई की मार और खर्चे हजार- जनता की राय

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सखी! सैयां तोह खूब ही कमात है
मँहंगाई डायन खाए जात है,
हर महीने उछले पेट्रोल
डीजल का उछला है रोले
शक्कर बाई के काहे बोल? 
आज के इस दौर में महंगाई की मार से हर व्यक्ति हर शहर हर घर के खर्चे को लेकर लोग परेशान हैं खास तौर से घरेलू महिलाओं को घर के खर्चे के लिए आई जो प्रत्येक माह प्राप्त होता है उस आए से खर्चे को पूरा करने के लिए जी तोर मस्कट करना पड़ता है फिर भी कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ कभी रह ही जाता है कमाई कम और खर्चे अधिक इस विषय पर आज एक कुछ महिलाओं से विषय पर चर्चा करने जा रही हूं।
हमारे साथ कुछ महिलाएं जुड़ी हैं जिसके नाम है श्रीमती कल्पना गुप्ता श्रीमती अनीता केसरवानी श्रीमती दीक्षा गुप्ता और अन्य प्रत्येक खाद पदार्थों एवं घरेलू उपयोग की वस्तुओं की बस्ती कीमतों से लोग बहुत ही चिंतित हैं। कल्पना जी कहती हैं की महंगाई की इस स्थिति में कैसे अपने आप को हर क्षेत्र में पूरी तरह संतुष्ट रहूं खर्चे जो इतना महंगाई एक बेलगाम है।
इस विषय पर कमाई कम खर्चे अधिक अपने विचार रखने वाली महिलाएं शहर सभी शिक्षित ही हैं घरेलू भी हैं कल्पना जी कहती हैं कि कमाई तो घर के खर्चे के अनुपात में होता है नहीं है एलपीजी घरेलू गैस की बढ़ती हुई कीमत कैसे पूरा करूंगी यह एक बहुत जरूरी घर की जरूरत है प्रत्येक 10 दिनों में कीमतें बढ़ती जा रही है कौन सी ऐसी घरेलू वस्तुएं हैं जिनका दाम ना आसमान छू रहा हो।
इसी महंगाई की मार से परेशान अनीता जी ने कहा सरसों तेल वनस्पतियां के दाम धीरे-धीरे कितना अधिक बढ़ती जा रही है कि समझ नहीं आता  है देसी घी और मक्खन की तरफ तो खरीदना ही मुश्किल हो गया है। आगे अनीता जी ने कहा की पति प्राइवेट जॉब करते हैं बच्चे अभी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं उनकी प्रत्येक प्रकार शिक्षा के लिए किताब कॉपी एवं ट्यूशन फी भी रखनी है जी से बड़े है कि उनका भार उठाना भी कम आय मैं संभव नहीं होता है खाद पदार्थों में दाल दलहन वनस्पति सभी चीजें बहुत महंगी हो गई है महंगाई की मार और आय कम बहुत दिक्कत तो से जो तोड़कर घर चलाना पड़ता है इस जोड़-तोड़ कर खर्चे कम पैसों में चलाते-चलाते तनाव बना रहता है।
मैं अनुलाम्बा  दास यह कहना चाहती हूं कि दवाइयों के दामों में बहुत बढ़ोतरी हुई कुछ ऐसे बीमारियों के दवाइयां जो डायबिटीज ब्लड प्रेशर आदि की जो प्रतिदिन मरीज को लेना आवश्यक है इसके दाम साधारण घरों में खरीदना मुश्किल हो रहा है आप भी समझ सकते हैं कि महंगाई के लिए जिम्मेदार आखिर कौन हैं सच कहूं तो महंगाई देश में महामारी की तरह आई है प्रत्येक वस्तुओं की कीमतें दोगुनी हो गई है आज अगर आप 1000 से 15 रुपए का सामान लेने जाते हैं तो भी पूरा नहीं पड़ेगा जैसे किराने का सामान साग सब्जियां फल दूध बगैरा परिवार में बच्चे बुजुर्ग एवं युवा अधिक परिश्रम कर रहे सदस्य भी हैं अतः मांस मछली अंडा सूखे मेवे कुछ पौष्टिक अन्य आहार जो अति आवश्यक रहने कम आय में कैसे पूरा किया जा सकता है।
महंगाई से हम टूटते जा रहे हैं। दीक्षा ने कहा कि मैं अपनी बात रखती हूं की मेरी इच्छा थी मैं एक कार खरीदो लेकिन मेरे बच्चों को को स्कूल लाने पहुंचाने की बहुत दिक्कत है। लेकिन पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से मैं यह विचार छोड़ दी हूं इसमें लगातार प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। बच्चों को और हमें भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है महंगाई के दौर में कम आय के कारण हद से भी नहीं रोक पाती हूं बचत तो दूर की बात है।
कमाई इतनी ही नहीं है कि छोले चने राजमा मूंगफली प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ की खरीदारी करो यह भी इतने महंगे हैं कि बच्चों को अंडे मांस मछली इत्यादि की भी सेवन नहीं करा पाती यहां तक पहुंचते-पहुंचते कमर ही टूट जाती है। विवाह योग बेटियों के लिए सोच पाना बहुत कठिन है आमंत्रण कार्डों की कीमतें हमारे लिए बहुत महंगे हैं सौन्दर्य प्रसाधन श्रृंगार की वस्तुएं अब पहुंच से बहुत दूर हो रहे हैं। क्योंकि कमाई अठन्नी खर्चा रुपैया हुई न भागती हुई ना दौड़ती हुई जिंदगी बस महंगाई की और कम कमाई के बीच झूमती हूं मैं और हम घरेलू महिलाएं…!

Sach ki Dastak

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