कानपुर : राम-जानकी मंदिर की नीव पर बिरयानी रेस्टोरेंट, मिटा दिया मंदिर का वजूद
ज्ञानवापी विवाद के बीच शहर के रामजानकी मंदिर का वजूद मिटाए जाने के राजफाश ने जिला प्रशासन को सकते में ला दिया है। मंदिर परिसर और भवन का वजूद मिटाए जाने का पता शहर में शत्रु सम्पत्तियों की तलाश के दौरान हुआ है।
एसडीएम द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि अस्सी के दशक में जहां मंदिर हुआ करता था, पूजा पाठ होती थी, वहां अब नामचीन नानवेज रेस्टोरेंट है। मंदिर का कुछ हिस्सा ही बचा है वह भी जीर्ण शीर्ण हालत में है। मंदिर के बचे हिस्से को भी अंदर ही अंदर तोड़कर रेस्टोरेंट की रसोई के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। मौजूदा हालात से साफ है कि मंदिर की एक-एक ईंट निकालकर वहां रेस्टोरेंट की नींव रखी गई जो बाबा बिरयानी के नाम से देशभर में मशहूर है।
Kanpur's Ram Jaanki temple converted into Baba Biryani non-veg restaurant by Muslims. Ram Janki Trust property first gifted by a Pakistani Aabid Rehman to one Mukhtar Baba's mother who by will gave it to her son. Temple and 18 hindu shops disappeared, Biryani restaurant came up. pic.twitter.com/0BfwaPv2gY
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) May 20, 2022
बेकनगंज के डा. बेरी चौराहा स्थित भवन संख्या 99/14ए में रामजानकी मंदिर ट्रस्ट की जमीन जहां भगवान श्रीराम का मंदिर था। हालांकि इस संपत्ति को पाक नागरिक आबिद रहमान का बताया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक मुख्तार बाबा ने संपत्ति का हिबानामा आबिद रहमान से अपनी मां के नाम पर कराया। उसके बाद वसीयत कराकर खुद संपत्ति की खरीद फरोख्त शुरू कर दी, जबकि मंदिर ट्रस्ट के आगे हिंदुओं की 18 दुकानें थीं जिसे एक-एक कर तोड़ दिया गया और यहां की 400 वर्गगज जमीन पर आलीशान बिरयानी रेस्टोरेंट बन गया।
प्रशासन को नहीं सूझ रहा जवाब
रामजानकी मंदिर ट्रस्ट की जमीन को लेकर एक सवाल जो बार-बार उठ रहा है उसका जवाब प्रशासन भी नहीं दे पा रहा है। यदि यह संपत्ति रामजानकी ट्रस्ट की है तो फिर शत्रु की कैसे हो सकती है। क्योंकि रामजानकी ट्रस्ट का संचालन हिंदू समाज के हाथों में होगा। इसलिए मुस्लिम व्यक्ति इसे कैसे बेच और खरीद सकता है। चूंकि रामजानकी मंदिर की बात एसडीएम की रिपोर्ट में है इसलिए अब यक्ष प्रश्न खड़ा है कि मंदिर कहां गया?
अधिकारियों के मुताबिक मुख्तार बाबा ने यह संपत्ति पाक नागरिक आबिद रहमान से ली थी इसीलिए इसे शत्रु संपत्ति के रूप में चिंहित किया गया है। प्रशासन ने 15 मई को नोटिस चस्पा किया था। चूंकि दस दिनों का समय दिया गया है लिहाजा 24 मई तक शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक को जवाब देना होगा अन्यथा यह संपत्ति शत्रु संपत्ति घोषित कर दी जाएगी।
रेस्टोरेंट चलाने वाले व्यक्ति का दावा है कि उसने यह संपत्ति आबिद रहमान से खरीदी थी। रिपोर्ट के अनुसार आबिद रहमान 1962 में पाकिस्तान चला गया था, जहाँ उसका परिवार पहले से ही रह रहा था। 1982 में उसने यह संपत्ति मंदिर परिसर में साइकिल मरम्मत की दुकान चलाने वाले मुख्तार बाबा को बेच दी।
मुख्तार के बेटे महमूद उमर का दावा है कि उसके पास इससे संबंधित सभी आवश्यक कागजात मौजूद हैं और वह जल्द ही प्रशासन के नोटिस का जवाब देगा। यह भी बताया जा रहा है कि रेस्टोरेंट बनाने के लिए मंदिर ट्रस्ट के आगे हिंदुओं की जो 18 दुकानें थीं उसे भी एक-एक कर तोड़ दिया गया।
ईटीवी भारत ने शत्रु संपत्ति प्रभारी व एसीएम-सात दीपक पाल के हवाले से बताया है कि उनके पास इस जमीन को लेकर पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में शिकायत आई थी। एसडीएम की जाँच में पता चला कि इशहाक बाबा नाम का व्यक्ति इस मंदिर का केयरटेकर था। बाद में उसका बेटा मुख्तार बाबा यहीं साइकिल मरम्मत और पंक्चर बनाने का काम करने लगा।
शत्रु संपत्ति संरक्षक कार्यालय के मुख्य पर्यवेक्षक और सलाहकार कर्नल संजय साहा ने कहा कि इस मामले में लोगों को नोटिस भेजा गया है। उन्हें जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। कर्नल संजय साहा ने बताया, “हमने उन्हें पाँच विशिष्ट सवालों के साथ नोटिस भेजा है और उनके जवाबों का हमें इंतजार हैं। हालाँकि, अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।”
मिली जानकारी के अनुसार पिछले साल शत्रु संपत्ति संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के बाद इस मामले में जाँच शुरू की गई थी। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जो जमीन राम-जानकी मंदिर ट्रस्ट के नाम से दर्ज है, जहाँ कभी मंदिर था, उसे कोई मुस्लिम व्यक्ति कैसे बेच या खरीद सकता है?
शत्रु संपत्ति अधिनियम
शत्रु संपत्ति अधिनियम (Enemy Property Act), 1968 पाकिस्तान से 1965 में हुए युद्ध के बाद पारित हुआ था। इस अधिनियम के अनुसार, जो लोग 1947 के विभाजन या 1965 में और 1971 में लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहाँ की नागरिकता ले ली, उनकी सारी अचल संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दी गई और भारत सरकार ने उसे जब्त कर लिया। यह अधिनियम शत्रु की संपत्ति की देखभाल का अधिकार संपत्ति के लीगल वारिस या लीगल प्रतिनिधि को देता है।
इस कानून में संशोधन के बाद शत्रु संपत्ति अधिनियम, 2017 आया। इसने शत्रु संपत्ति की परिभाषा बदल दी है। इसके मुताबिक, अब वे लोग भी शत्रु हैं, जो भले ही भारत के नागरिक हो, लेकिन उन्हें विरासत में ऐसी संपत्ति मिली है जो कि किसी पाकिस्तानी नागरिक के नाम है। इस संशोधन ने ऐसी सम्पतियों का मालिकाना हक भी भारत सरकार को दे दिया है।
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