भारत ने ‘बहादुर’ को कहा अलविदा, आज आखिरी बार छुआ आसमान
- भारतीय वायुसेना से रिटायर हुआ मिग 27
- साल 1985 में वायुसेना में हुआ था शामिल
- चार हजार किलोग्राम तक के हथियार ले जाने में था सक्षम
- 1700 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से भर सकता था उड़ान
- कारगिल युद्ध में सक्रिय योगदान को देखते हुए नाम मिला ‘बहादुर”
- पाकिस्तान डर कर इसे ‘चुड़ैल’ के नाम से पुकारता था
भारतीय सेना का MIG 27 लड़ाकू विमान का सफर अब खत्म हो गया है, MIG 27 को सन 1985 में भारतीय सेना में शामिल किया था, MIG 27 4000 किलोग्राम तक के हथियार ले जाने में सक्षम था, साथ ही वह 1700 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ़्तार से उड़ान भर सकता था। MIG 27 का कारगिल युद्ध में भी अहम योगदान रहा है, जिस कारण MIG 27 का नाम “बहादुर” रखा गया था। पाकिस्तान ने MIG 27 से डर के मारे उसका नाम “चुड़ैल” रखा था।
भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किए गए ‘घातक’ लड़ाकू विमान मिग-27 की आखिरी स्क्वाड्रन को शुक्रवार को औपचारिक रूप से विदा कर दिया गया। जोधपुर एयरबेस पर हुए विदाई समारोह के बाद इस स्क्वाड्रन के सात विमान हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा बन गए।
जोधपुर एयरबेस में इस विमान की दो स्क्वाड्रन थी, जिसमें से एक को इस साल की शुरुआत में डिकमीशन कर दिया गया था। आखिरी को आज औपचारिक रूप से विदा कर दिया गया। इन विमानों को 2016 में ही विदाई देने की तैयारी थी लेकिन वायुसेना में विमानों के घटते स्क्वाड्रन को देखते हुए इसमें तीन साल विलंब हुआ।