क्या सच में सरकार शून्य हो गई है

सच की दस्तक न्यूज डेस्क राजस्थान
यह घटना कोई काल्पनिक नही ,यह एक ऐसी वीरांगनाओं की , ऐसे वीर राजपूतों की , ऐसे महापुरुषों की जन्मभूमि की घटना है। “राजाओं की भूमि ” कही जाने वाली एक ऐसी धरा की घटना है, जिसके नाम मात्र से ही सर गर्व से ऊंचा उठ जाता है। जी हां ….ये है राजस्थान की शर्मनाक घटना।
कहां गई सरकार ? कहां गया प्रशासन ?
अलवर की ‘निर्भया’ से राजस्थान शर्मसार, क्या सच में सरकार शून्य हो गई है?
अलवर में मंगलवार को एक नाबालिग मूक बधिर लड़की के साथ हैवानियत का सनसनीखेज मामला सामने आया। दिल्ली के ‘निर्भया कांड’ की तरह दरिंदों ने पीड़िता के साथ जानवरों सा सलूक किया गया ,और फिर उसको कचरे की तरह फेंक दिया गया।
ये कैसी भुखमरी है ये कैसी हवस है जो इंसानियत को हैवान बना रही है।
जिस मां की कोख से मर्द जन्म लेता है एक उसी मर्द ,एक उसी इंसान के द्वारा एक नाबालिग , बेबस , मूक बधिर लड़की को सरेआम नंगा कर बदसलूकी से कुचल दिया जाता है।और हम जान बूझकर अंधे होने का ढौंग करते है ,सब कुछ आंखों से देखने के बाद ,कानों से सुनने के बाद भी गूंगे बन जाते हैं ,आखिर क्यों ?
कल तक जुबान वालों के साथ ऐसे शर्मनाक हादसे होते देखे गए । और जब हादसे की शिकार हुई इस देश की बेटी की जुबान खुली तो उसे मार दिया जाता है। इसलिए आज दरिंदों ने बेजुबान मूक बधिर लड़की को अपनी हैवानियत का शिकार बना डाला।जो अब भी जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रही है। जयपुर में उसे बचाने में जुटे डॉक्टरों को ऑपरेशन करना पड़ा है। अरे! कम से कम ऐसा दुष्कर्म करने से पहले ये नही सोचा कि ये लड़की किसी की बेटी है , बहन है। एक बहन और एक बेटी की आबरू को ढंक नही सकते तो कम से कम उसे सरेआम नंगा करके उसके साथ जानवरों की तरह का दुर्व्यवहार तो मत करो।
शर्म आती है ऐसे पापी ,दरिंदे ,जानवरों की जमीं को अपने देश की वीरों की धरती कहते हुए।
और सरकार का क्या …. ये तो सिर्फ अपना उल्लू सीधा करती है, आम जनता की सहायता और संरक्षक के रूप में शपथ लेती हुई सरकार को ऐसे पापियों ,दरिंदों ,अत्याचारों की दुर्गंध नही आती क्या? अगर आती भी है तो नाक की संवेदी तंत्रिकाएं सक्रिय होते हुए भी निष्क्रिय मोड पर डाल दी जाती है। आंखों के आगे मोटा मोटा चश्मा होते हुए भी अंधे ,पीड़िता की जोर जोर से चीख सुनकर भी बहरेपन का ढौंग करना मूक बधिर सरकार से कम तो नहीं। अगर इसी तरह के गंभीर और शर्मनाक हादसे होते रहे तो एक दिन निश्चित ही अपने देश को बरबादी की कगार पर पहुंचने में देर नहीं लगेगी।सच की दस्तक मासिक पत्रिका