काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 105 वर्ष पूरे, वैदिक रीति रिवाजों के साथ हुई पूजन अर्चना

सर्व विद्या की राजधानी काशी हिंदूविश्वविद्यालय आज वसंत पंचमी के मौके पर अपना 105वां स्थापना दिवस मना रहा है। भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय के द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 105 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय परिसर में धार्मिक अनुष्ठान के साथ स्थापना दिवस मनाया गया। 105वां स्थापना दिवस के अवसर पर बीएचयू के कुलपति ने स्थापना स्थल पर वैदिक रीति रिवाजों के साथ पूजन अर्चना की और ट्रामा सेंटर में स्थित नर्सेज फ्लैट और एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक का उद्घाटन कर स्थपना दिवस के आयोजन में हिस्सा लिया।
इस दौरान कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि इस विश्वविद्यालय से जुड़े सभी लोग गौरवान्वित अपने आपको महसूस करते हैं क्योंकि इस विश्वविद्यालय का इतिहास और इसकी स्थापना की कहानी पूरे विश्व में अलग है।
मदन मोहन मालवीय की इस बगिया को संवारने में उनका जितना सहयोग हो सकता है वह पूरा देंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें इस विश्वविद्यालय में आये 3 साल हो गए और वह अपने कार्य के दौरान हर दिन कुछ नया सीखते हैं।
उन्होंने अपने सभी प्रोफेसर और छात्रों से अपील की कि वह पंडित मदन मोहन मालवीय के दिखाए गए मार्गों पर चलें। बता दें कि इस बार कोविड-19 की वजह से विश्वविद्यालय में पहली बार वसंत पंचमी और विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस पर किसी प्रकार की झांकी ना निकालने का निर्देश दिया गया था जिससे छात्रों में नाराजगी भी देखी जा रही है।
कोरोना के कारण इस बार विश्वविद्यालय में हॉस्टल लेन से निकलने वाली आकर्षण झांकियों के कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। आयोजन के रद्द होने कारण छात्र छात्राओं में मायूषी भी है। झांकी के अलावा कैम्पस के हॉस्टल में सरस्वती प्रतिमा के स्थापना के कार्यक्रम को भी रद्द किया गया है।
बीएचयू के स्थापना दिवस पर स्थापना स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधन के दौरान बीएचयू वीसी राकेश भटनागर ने कहा कि विश्वविद्यालय से जुड़े लोग अपने आप को गौरवांवित महसूस करते हैं। क्योंकि इस विश्वविद्यालय की स्थापना और इसका इतिहास की दास्तान पूरे विश्व मे सबसे अलग है। महामना के इस बगिया को संवारने में हम लोग जितना सहयोग दे सकते उतना हमे देना चाहिए।