भोपाल सूत्र – मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा किसी भी समय हो सकती है, किसी भी वक्त चुनाव आयोग चुनावी डुगडुगी बजा सकता है। ऐसे में बीजेपी के अभेद गढ़ बन चुके विधानसभा क्षेत्रों में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस की चुनाव समिति दिल्ली में चार दिन तक मंथन करेगी। म. प्र की 70 सीटों पर विचार किया जाएगा। इन सीटों में कुछ ऐसी हैं जिन्हें कांग्रेस 1990 से हारती चली आ रही है। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री शामिल होंगे। बता दें कि कांग्रेस इस बैठक में उन सीटों पर सबसे पहले विचार करेगी जो वह दो दशकों से हार रही है। खंडवा में कांग्रेस को आखिरी बार जीत 1985 में मिली थी। बुंदेलखंड के सागर,मलेहरा, महाराजपुर रहली, दमोह, । विंध्य की रेगांव, रामपुर बघेलान, सिरमौर, त्योंधर, देवतालाब। ग्वालियर-चंबल की अंबाह, मेहगांव, शिवपुरी,शमशाबाद, सीहोर, सारंगपुर, आष्टा, देवास, हरसूद, खंडवा, बुरहानपुर,अशोकनगर, पोहरी। गोविंदपुरा, सोहागपुर, विदिशा, इंदौर-2, इंदौर-4 पर कांग्रेस को जीत की लंबे समय से आस है।स्क्रीनिंग कमेटी के इस दौर की बैठक में भोपाल जिले के उत्तर विधानसभा को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर विचार किया जाएगा। भोपाल उत्तर पर स्क्रीनिंग कमेटी के पहले दौर में चर्चा हो चुकी है। यहां से आरिफ अकील को फिर से पार्टी अपना उम्मीदवार बनाएगी। वर्ष 2008 से भोपाल में बनी हुजूर नरेला और मध्य सीट कांग्रेस नहीं जीत पा रही है। वहीं दक्षिण पश्चिम 2003 से लगातार हार रही है। गोविंदपुरा 1972 से पार्टी हार रही है। भोपाल की एक सीट छोड़कर सभी सीटों पर आने का कारण खोजने के साथ ही दावेदारों को लेकर भी इस बैठक में विचार किया जाएगा।इस बैठक का क्या असर होगा यह तो समय की बंद मुठ्ठी में कैद है ।