सौंदर्य की खोज –
आखिर सौंदर्य क्या है? प्रत्येक व्यक्ति इसकी चाह में जीवन भर क्यों लगा रहता है?धन-दौलत और दुनिया के सभी भौतिक सुख होने के बाद भी इसकी चाह क्यों नही मिटती?
अगर गहराई से हम अपने व्यक्तिगत जीवन के बारें सोचें तो कभी न कभी हम सभी को ऐसे प्रश्नों का सामना अवश्य करना पड़ सकता है।
सामान्य जीवन में हम सौंदर्य का मतलब किसी चीज के सुंदर या खूबसूरत होने से लगातें है चाहे वो कोई वस्तु हो या इंसान।
सामान्यतः हम सुंदरता चीजों के बाहरी भेष-भूषा में खोजते रहतें हैं और सारा जीवन इसी खोज में निकाल देतें हैं।
एक जगह सुंदरता मिली नही कि दूसरी की तलाश में लग जातें है।यदि गलती से वैसी सुंदरता नही मिली जैसी हम चाहतें है तो हम चीजों को ही अपने हिसाब से सुंदर बनाने की चेष्टा करने लगतें है और अंत मे उस सौंदर्य से भी ऊब जातें है।
लेकिन हम ये कभी समझने की कोशिश नही करते कि आखिर हम जिस सौंदर्य को खोजने के लिए इतने व्याकुल होते हैं उसे पाने के बाद हम उससे ऊब क्यों जातें हैं।आखिर क्यों!हम चीजों की वास्तविक सुंदरता से वंचित रह जातें हैं?
असल में वास्तविक सौंदर्य सर्वत्र व्याप्त है बस उसे देखने के लिए हमे आपनी आँखें खोलनी हैं। बचपन की किलकारियों में,यौवन के रस व उमंग में,बुढापे के अनुभव में सौंदर्य के अलग अलग रूप दिखाई देतें हैं।
माँ के प्यार में ,बहन के दुलार में,दोस्त के उपहास में-सुंदरता के नित-नूतन नए आयाम प्रकट होतें है।
नभ की नीलिमा में,रात्रि की कालिमा में,सूरज की लालिमा में,चन्द्रमा की चांदनी में-सुंदरता छिटक रही है।ऋतुएं अपने अपने ढंग से सौंदर्य का श्रृंगार करती हैं।
फूलों के रंग और सुगंध,मुर्गे की बांग,चिड़ियों के गीत,हवाओं का संगीत-सभी में सौंदर्य की सृष्टि है।
फिर भी न जानें क्यों लोग इसे नही देख पातें?
ये बस रास्तों पर सौंदर्य की खोज में चलते हैं पर सोये से प्रतीत होतें हैं।ऐसा लगता है मानो आंतरिक असन्तुष्टि ने उन्हें जकड़ा हुआ है।
तभी तो वे जीवन के असीम व अनंत सौंदर्य की अनुभूति नही कर पा रहे अन्यथा जीवन में कितना संगीत है,किंतु तब भी मनुष्य कितना बाधिर है।जीवन में कितना सौंदर्य है,किन्तु मनुष्य कितना दृष्टिहीन है।
इसलिए हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है हमारे पास जो है जैसा है जितना है उसमें ही सौंदर्य की तलाश करनी चाहिए और हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करनी चाहिए।
क्योंकि हमारी-और अधिक की इच्छाओं का अंत होना थोड़ा मुश्किल है लेकिन असम्भव नही।जब तक हमारे हृदय में सन्तोष और आत्मसंयम नही आ जाता तब तक हम वास्तविक सौंदर्य से वंचित ही रहेंगे।
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– गौरव मौर्या
सामाजिक विचारक
जौनपुर,उत्तर प्रदेश