Ayodhya Verdict Live: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को दी, मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट
- मुस्लिमों को दूसरी जगह देने का आदेश
- आस्था और विश्वास के आधार पर तय नहीं होगा टाइटल
- जमीन विवाद का फैसला कानूनी आधार पर होगा
- अयोध्या राम की जन्मभूमि, इस पर कोई विवाद नहीं है
- मीर बाकी ने बनाया था बाबरी मस्जिद
- मुस्लिम विवादित भूमि पर मालिकाना हक का दावा साबित नहीं कर पाया
- अयोध्या में प्रभु राम का जन्म हुआ था
- मुस्लिमों को दूसरी जगह देने का आदेश
- आस्था और विश्वास के आधार पर तय नहीं होगा टाइटल
- जमीन विवाद का फैसला कानूनी आधार पर होगा
- अयोध्या राम की जन्मभूमि, इस पर कोई विवाद नहीं है
- मीर बाकी ने बनाया था बाबरी मस्जिद
- मुस्लिम विवादित भूमि पर मालिकाना हक का दावा साबित नहीं कर पाया
- अयोध्या में प्रभु राम का जन्म हुआ था
फैसले की कॉपी पर जजों ने किए दस्तखत-
कोर्ट रूम में फैसले की कॉपी लाई गई, जिसके बाद फैसले की कॉपी पर सभी जजों ने दस्तखत किए।
- सीजेआई ने फैसला पढ़ना शुरू किया
- अयोध्या विवाद पर बहुमत से फैसला
- शिया बोर्ड की याचिका खारिज, सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- फैसला सुनाने में 30 मिनट लूंगा
- निर्मोही अखाड़े की याचिका भी खारिज
- एएसआई की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में मजबूत सबूत माना
- सुन्नी वक्फ का ईदगाह वाला दावा भी खारिज
- बाबरी मस्जिद खाली भूमि पर नहीं बनी
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अखाड़े का दावा लिमिटेशन से बाहर है।
- अयोध्या पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई फैसला पढ़ रहे हैं. इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि 1949 में मूर्तियां रखी गईं।
- अयोध्या पर फैसला आने वाला है, जिससे पहले कोर्ट रूम खचाखच भरा है. सभी पक्षकार भी कोर्ट में मौजूद हैं।
- एएसआई की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में मजबूत सबूत माना
- सुन्नी वक्फ का ईदगाह वाला दावा भी खारिज
- बाबरी मस्जिद खाली भूमि पर नहीं बनी थी
- खुदाई में जो मिला वो इस्लामिक ढांचा नहीं।
- खाली जमीन पर बाबरी मस्जिद नहीं बनी।
- एएसआई की रिपोर्ट में गुंबद के नीचे मंदिर।
- मंदिर गिराकर मस्जिद बनाने का जिक्र नहीं।
- आस्था और विश्वास के आधार पर तय नहीं होगा टाइटल
आइये जानते हैं कि आयोध्यापुरी का इतिहास –
कोसल प्रदेश की राजधानी थी अवध-
ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार अयोध्या कोसल प्रदेश की राजधानी थी। कालांतर में इस कोसल प्रदेश के दो हिस्से हो गए। उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल। इन दोनों प्रदेशों को सरयू नदी विभक्त करती थी।
रामायण ग्रंथ के मुताबिक में अयोध्या का उल्लेख कोशल प्रदेश की राजधानी के रूप में किया गया था। हालांकि पुराणों में इस नगर के बारे में कोई खास विवरण नहीं मिलता। साक्ष्यों के मुताबिक राम के जन्म के वक्त यह नबर अवध नाम से जाना जाता है। मौजूदा समय में यह अयोध्या से नाम जाना जाता है।
रामायण ग्रंथ के मुताबिक में अयोध्या का उल्लेख कोशल प्रदेश की राजधानी के रूप में किया गया था। हालांकि पुराणों में इस नगर के बारे में कोई खास विवरण नहीं मिलता। साक्ष्यों के मुताबिक राम के जन्म के वक्त यह नबर अवध नाम से जाना जाता है। मौजूदा समय में यह अयोध्या से नाम जाना जाता है।
अयोध्या हिंदुओं का प्राचीन और पवित्रस्थल है। रामायण के मुताबिक अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। मनु का जिक्र पौरााणीक साक्ष्यों में उपलब्ध है। हिंदुओं के तीर्थस्थलों में अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची अवंतिका और द्वारका शामिल है। ऐसी मान्यता है कि हिंदुओं के इष्ट श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। श्री राम जी के पिता राजा दशरथ का यहां साम्राज्य था।
बौद्ध साहित्य में भी अवध प्रांत का जिक्र है। इसके मुताबिक बौद्ध काल में अयोध्या के साथ-साथ साकेत का भी जिक्र मिलता है। साक्ष्य बताते है कि अयोध्या के निकट साकेत नामक एक नई बस्ती बसाई गई। बौद्ध साहित्य में साकेत और अयोध्या का नाम साथ-साथ मिलता है।
इसके कारण कई इतिहासकार और विद्वान साकेत और अयोध्या को एक ही मानते हैं । कालीदास ने भी अपने रघुवंश में दोनों नगरों को एक ही माना है। जैन साहित्य में में भी इसका जिक्र है। वहीं वाल्मीकि रामायण में अयोध्या को कोशल की राजधानी बताया गया है। इसके बाद संस्कृत ग्रंथों में साकेत से मिला दिया गया।
15वीं सदी में मुगल साम्राट बाबर की भारत पर नजर थी। सोने की चीडि़या कहे जाने वाला भारत उसको हर पल बेचैन करता था। 1526 में वह भारत कूच पर निकला। 1528 तक उसके साम्राज्य का विस्तार अवध तक हो चुका था। हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि बाबर को सेनापति मीर बाकी ने कराया था। कालांतर में यह मस्जिद बाबरी मस्जिद के नाम से जानी जाती है।
मीर बाकी मुगल बादशाह बाबर का एक प्रमुख कमांडर था और मूल रूप से ताशकंद (मौजूदा समय में उज्बेकिस्तान का एक शहर) का निवासी था। माना जाता था कि बाबर ने उसे अवध प्रदेश का शासक यानि गवर्नर बनाया था। बाबरनामा में मीर बाकी को बाकी ताशकंदी के नाम से भी बुलाया गया है। इसके अलावा उसे बाकी शाघावाल, बाकी बेग और बाकी मिंगबाशी नामों से भी जाना गया। लेकिन बाबरनामा में उसे मीर नाम से नहीं पुकारा गया है।