लड़की होना अभिशाप ✍️निधि भारती
लड़की होना अभिशाप
क्यों लड़की होना ,
क्या यह अभिशाप है ?
या कोई मुसीबत ?
यदि नहीं, तो
क्यों कोसते हैं सब इसे ?
क्यों चिढ़ाते हैं ?
और कहते हैं कि तुम लड़की हो ।
क्या उसकी कोई अभिलाषा नहीं ?
कोई महत्वाकांक्षा नहीं ?
क्या कोई व्यक्तित्व नहीं ?
क्या वह इंसान नहीं ?
क्यों समझते हैं,
पढ़ाना – लिखाना बेकार है ?
क्यों उनकी छोटी सी,
कामना दब जाती है ?
क्यों लड़कों को दी जाती है,
अहमियत ज्यादा ?
क्यों भूल जाते हैं लोग
कि बिना उनके जहां नहीं?
पूछती हैं ये लड़कियां ,
समाज से और पूरी दुनिया से ,
कब सुधरेंगे आपके विचार?
कब बदलेगा ये समाज ?
आज या फिर कभी नहीं ?
लेख रचना – निधि भारती