सावधान! 5000 लोगों से यूपी में हुई ठगी, कार्ड से पेमेंट करने वाले जरूर पढ़ें –
नई दिल्ली –
दिल्ली से सटे नोएडा के नामी ग्रेट इंडिया पैलेस(जीआइपी) मॉल स्थित बर्गर किंग रेस्तरां में भुगतान के दौरान एटीएम कार्ड क्लोन कर लेने के मामले में नए-नए राज सामने आ रहे हैं। नोएडा पुलिस की जांच में पता चला है कि अब तक तकरीबन 5000 से ज्यादा लोगों के कार्ड क्लोन कर लगभग 50 लाख रुपये खातों से निकाले जा चुके हैं।
पीड़ितों और रकम का आंकड़ा जांच आगे बढ़ने के साथ बढ़ भी सकता है। पुलिस अब पीड़ितों की डिटेल जुटाकर इस मामले के असली मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है। इस मामले में दो बैंकों के अधिकारियों ने पुलिस से संपर्क कर अनुमानित रकम की जानकारी दी है।
वहीं, जीआइपी मॉल की तीसरी मंजिल पर स्थित बर्गर किंग इंडिया फूड के सेल्स मैनेजर सुमित कुमार को पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया है। सुमित पर ग्राहकों के डेबिट कार्ड का डेटा चुराकर अपने दोस्त सॉफ्टवेयर इंजीनियर को बेचने का आरोप है। डेटा से कार्ड का क्लोन बनाकर रकम निकाल ली जाती थी। पुलिस के अनुसार, इस तरह 5000 से अधिक ग्राहकों के कार्ड क्लोन होने की आशंका है। मूल रूप से बुलंदशहर का रहने वाला आरोपित सुमित छह माह से बर्गर किंग में काम करता था। उसके पास से एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी बरामद हुई है। यह डिवाइस उसके दोस्त राहुल ने दी थी। करीब तीन माह से फर्जीवाड़ा चल रहा था। बैंक से शिकायत मिलने पर कंपनी के आरजीएम सइयद शौदान ने सेल्स मैनेजर पर केस दर्ज कराया था।
बर्गर किंग इंडिया का सेल्स मैनेजर जल्द अमीर बनने की चाहत में साइबर ठगों के गैंग में शामिल हो गया था। दिसंबर 2018 में मैनेजर सुमित कुमार की जीआइपी मॉल में ही साइबर ठग सॉफ्टवेयर इंजीनियर राहुल से मुलाकात हुई थी। उनके बीच में जल्द दोस्ती हो गई। राहुल ने डेबिट कार्ड का डेटा कॉपी करने के लिए हर महीने मोटी रकम देने का लालच दिया था।
मैनेजर सुमित भी घर की माली हालत और तीन बहनों की शादी धूमधाम से करने की लालच में आकर उसके साथ मिल गया। इसके बाद राहुल के दिए स्कीमर डिवाइस की मदद से रेस्त्रं में ग्राहकों के डेबिट कार्ड की डिटेल कॉपी कर उसे बेचने लगा। इस डिटेल को लेकर राहुल कंप्यूटर की मदद से कार्ड क्लोन कर रुपये निकाल लेता था। जांच अधिकारी एसआइ जेएस तोमर ने बताया कि आरोपित की बड़ी बहन की आठ मार्च को शादी है। शादी की तैयारियों की जिम्मेदारी उस पर ही थी। वह शादी धूमधाम से करना चाहता था।
शहर में कार्ड क्लोन कर खाते से रुपये निकालने की शिकायत लगातार बढ़ रही है।
पुलिस का कहना है कि डिजिटल खरीदारी के चलते इस तरह की शिकायतें बढ़ी हैं। लोग पेट्रोल पंप, दुकान और अन्य स्थानों पर डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिये धड़ल्ले से खरीदारी कर रहे हैं। इस दौरान लोगों को सचेत रहने की जरूरत है। जरा सी लापरवाही होने पर साइबर ठग उनके कार्ड की डिटेल प्राप्त कर क्लोन कर ले रहे हैं। शहर के विभिन्न कोतवाली प्रतिदिन कार्ड क्लोन से संबंधित 10 से 15 शिकायतें आ रही हैं। पुलिस ने लोगों को डेबिट या क्रेडिट कार्ड को संभल कर इस्तेमाल करने की अपील की है।
प्रवक्ता (बर्गर किंग इंडिया, मुम्बई) का कहना है कि जीआइपी मॉल, नोएडा में हमारे रेस्त्रं में कार्यरत कर्मचारी सुमित धोखाधड़ी के मामले में शामिल पाया गया है। इसकी शिकायत मिलने के तुरंत बाद हमने कार्रवाई करते हुए पुलिस से शिकायत की थी। फिलहाल, आरोपित पुलिस की हिरासत में है। कंपनी पुलिस अधिकारियों का सहयोग करने के लिए तैयार है। इस मामले में आने वाले विभिन्न मुद्दों को सुलझाने के लिए कंपनी प्रतिबद्ध है।
जीआइपी मॉल स्थित बर्गर किंग इंडिया फूड में सुमित रेस्त्रं में बिल लेने का काम करता था। इंस्पेक्टर उदय प्रताप ने बताया कि सुमित डेबिट या क्रेडिट कार्ड से बिल पेमेंट करने वाले ग्राहकों के कार्ड का डेटा इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिये कॉपी करने के बाद वह चुपके से पिन भी देखता था। पिन जानने के लिए वह सीसीटीवी फुटेज का भी सहारा लेता था। इसके बाद वह चुराया गया डेटा दोस्त राहुल को देता था। राहुल ही कार्ड का क्लोन बना रकम निकालता था। इंस्पेक्टर के अनुसार दिसंबर माह से यह फर्जीवाड़ा चल रहा था और अबतक पांच हजार से अधिक ग्राहकों के कार्ड क्लोन होने की संभावना है। आरोपित ने पूछताछ में बताया है कि ग्राहकों के कार्ड की कॉपी कर दोस्त को देने पर उसे हर माह 15 से 20 हजार रुपये मिलते थे।
एचडीएफसी बैंक के ईमेल के बाद बर्गर किंग ने शुरू की थी जांच-
एफआइआर के अनुसार एचडीएफसी बैंक की तरफ से 30 जनवरी को आए एक ईमेल से कंपनी को जानकारी मिली कि जीआइपी स्थित इस रेस्त्रं से कुछ संदिग्ध ट्रांजिक्शन एचडीएफसी के डेबिट व क्रेडिट कार्ड से दर्ज हुए हैं। इसके बाद बैंक के साथ मिलकर जांच हुई। जांच में पता लगा कि रेस्त्रं में कार्यरत कर्मचारी सुमित ग्राहकों के कार्ड के विवरण को प्राप्त करता था। वह एक अतिरिक्त मशीन में कार्ड को स्वाइप करता था जो बर्गर किंग की नहीं है, इससे शक होता है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने छानबीन की और फिर आरोपित सेल्स मैनेजर की गिरफ्तारी की गई है।
कार्ड फ्रॉर्ड करना यानि डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराने के कई मामले सामने आए हैं। इन मामलों में यूजर्स की डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी हैक कर उनका गलत इस्तेमाल किया गया है। इसकी कई वजहें हो सकती हैं।
1- फ्रॉड करना
एक्सपीरियन इंडिया के एमडी जयारमन के मुताबिक, डाटा स्कीमिंग डिवाइस में अगर यूजर अपना कार्ड स्वाइप करता है तो उनकी पूरी जानकारी कॉपी कर ली जाती है। ऐसे में आपको बेहद सतर्क रहने की जरुरत है।
2- मदद करने के बहाने पिन चुराना
अगर कभी आपका कार्ड मशीन में फंस जाए या फिर किसी टेक्नीकल प्रॉब्लम के चलते एटीएम से पैसे न निकल पाए, तो एटीएम में खड़े किसी भी व्यक्ति से मदद न लें। ऐसे लोग जो आपकी मदद के लिए आगे आते हैं वो आपके कार्ड का पिन चुरा सकते हैं।
3- डेबिट/क्रेडिट कार्ड का पिन
कई ऐसे मामले देखे गए हैं जब यूजर ने अपने कार्ड के ऊपर उसका पिन नंबर लिखा होता है, जिससे वो उसे भूल न जाए। ऐसे में अगर आप गलती से अपना कार्ड एटीएम में भूल जाते हैं तो आपकी कार्ड का गलत उपयोग हो सकता है।
4- ऑनलाइन भुगतान
आपको बता दें कि ऑनलाइन शॉपिंग या फिर बिल पेमेंट के दौरान जब यूजर अपने कार्ड का डाटा वेबसाइट पर डालता है तो उसे हैकर्स आसानी से हैक कर सकते हैं। ऐसे में ध्यान रहे कि कभी भी आप अपने कार्ड की जानकारी किसी भी साइट और अपने फोन में सेव न करें। इसके अलावा कोशिश करें कि पेमेंट सिर्फ विश्वसनीय साइट पर ही की जाए।
5- फॉर्मिंग
इसमें हैकर्स या फ्रॉड्स आपको किसी फेक वेबसाइट पर ले जाते हैं जो बिल्कुल वास्तिवक साइट की तरह ही दिखती है। अगर यूजर ऐसी किसी भी साइट के द्वारा पेमेंट कर देते हैं तो उनके डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी हैक हो सकती है।
6- पब्लिक वाइ-फाइ का प्रयोग करना
अगर आप पब्लिक वाइ-फाइ से अपने फोन को कनेक्ट करते हैं और उसी के जरिए ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, तो ध्यान रहे कि आप हैकर्स को अपनी जानकारी चुराने का कोई अवसर दे रहे हैं।
7- मालवेयर
यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो एटीएम के सिस्टम को खराब कर देता है और यूजर का डाटा चुरा लेता है।
8- यूजर के नंबर की डुप्लीकेट सिम
ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब हैकर्स फेक आईडी के साथ मोबाइल ऑपरेटर के पास जाते है और उनसे डुप्लीट सिम कार्ड जारी कराते हैं। जिससे ऑपरेटर पहली वाली सिम को डिएक्टीवेट कर देते हैं। ऐसा करने से ऑनलाइन लेन-देन के ओटीपी नए सिम पर आते हैं। ऐसे में ध्यान रहे कि कहीं भी आप अपने कार्ड की डिटेल्स सेव न करें। अगर आप ऐसा करते हैं तो ऑनलाइन भुगतान के लिए महज ओटीपी की ही जरुरत पड़ती है।
9- एप्स के जरिए
कई ऐसी एप्स होती हैं जिन्हें प्ले स्टोर से डाउनलोड न कर किसी थर्ड पार्टी से डाउनलोड किया जाता है। ऐसी एप्स आपकी निजी जानकारी चुरा सकती हैं। ऐसी एप्स के द्वारा ऑनलाइन पेमेंट न ही किया जाए तो बेहतर है।
10- नए कार्ड को चोरी करना
कई ऐसे हैकर्स भी होते हैं जो यूजर के पास नया कार्ड पहुंचने से पहले ही उनकी जानकारी लीक कर लेते हैं। ये जानकारी मेल द्वारा चुराई जाती है।
कृपया कार्ड पेयमेंट करते समय सावधान रहें ।