Chandrayaan 2 पहुंचा इतिहास रचने के करीब
- चंद्रयान की लैंडिंग से पहले इसरो के वैज्ञानिकों में उत्सुकता का माहौल
- लैंडिंग से पहले इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा- अब मिशन पूरा हो जाए, बस।
- पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर बोले- चंद्रयान के लिए हम सभी बेहद आशान्वित
- लैंडर विक्रम अपने साथ रोवर प्रज्ञान को लेकर सात सितंबर की रात चांद पर उतरेगा
चंदा मामा दूर के से चंदा मामा पास के, को सफल बनाने हेतु शुरू किया गया भारत का 48 दिवसीय मिशन पूरा होने में अब 48 घंटे से भी कम समय बचा है। भारत का चंद्रयान-2 इतिहास रचने के बेहद करीब पहुंच चुका है। छह-सात सितंबर की रात करीब दो बजे चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर उतरकर इतिहास रच देगा। मिशन की तमाम बाधाओं को सफलतापूर्वक पार करने की वजह से Moon Mission (मून मिशन) के सफल होने की उम्मीदें काफी बढ़ चुकी हैं।
आइये- जानते हैं चंद्रयान-2 के अब तक के सफर में कौन-कौन से अहम पड़ाव आए हैं?
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं, ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। भारत में अंतरिक्ष विज्ञान के जनक कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर इसके लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। वहीं रोवर का नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ होता है ज्ञान। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर, सालभर चांद का चक्कर लगाते हुए प्रयोगों को अंजाम देगा। लैंडर और रोवर चांद की सतह पर कुल 14 दिन तक प्रयोग करेंगे।
चंद्रयान-2 ने अपने 48 दिन के सफर में से लगभग 46 दिन पूरे कर लिए हैं। इस दौरान चंद्रयान-2 ने मिशन की 15 बड़ी बाधाओं को सफलतापूर्व पार कर लिया है। अब चांद पर सफल लैडिंग इसकी अंतिम बाधा है। माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 पहले की सभी बाधाओं की तरह ही चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की अंतिम चरण भी आसानी से पूरा कर लेगा।
11 साल पहले चंद्रयान-1 के रूप में भारत ने चांद की ओर पहला मिशन भेजा था। यह एक ऑर्बिटर मिशन था, जिसने 10 महीने चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है। अब चंद्रयान-2 इसी उपलब्धि की आगे की कड़ियां जोड़ेगा और चांद के पानी व विभिन्न खनिजों की उपस्थिति के प्रमाण जुटाएगा।
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को राजस्थान के श्रीहरिकोटा स्थित विक्रम साराभाई स्पेस एंड रिसर्च संस्थान (इसरो) से दोपहर 2:43 बजे लॉच किया गया था। इसरो के बाहुबली रॉकेट ने प्रक्षेपण के ठीक 16 मिनट बाद ही यान को सुरक्षित तरीके से पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इसके बाद यान ने रॉकेट से अलग होकर चंद्रमा की तरफ अपना सफर शुरू कर दिया।
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धरती के इर्द-गिर्द : 1 से 23वें दिन तक
– चांद की ओर रवाना : 23वें दिन
– चांद के सफर पर : 23वें से 30वें दिन
– चांद की कक्षा में प्रवेश : 30वें दिन
– चांद के इर्द-गिर्द : 30वें से 42वें दिन
– लैंडर-ऑर्बिटर का अलगाव : 43वें दिन
– रफ्तार धीमी करने की प्रक्रिया : 44वें दिन
– नियंत्रित लैंडिंग की प्रक्रिया : 48वें दिन
– लैंडिंग : 48वें दिन (छह-सात सितंबर की रात करीब दो बजे)
16 साल पहले चांद पर पांच एकड़ का प्लॉट खरीदने वाले हैदराबाद के राजीव वी. बागडी को उम्मीद है कि चंद्रयान-2 अभियान की सफलता से उनका चांद पर घर बनाने का सपना साकार होगा। राजीव ने न्यूयार्क स्थित लूनर सोसाइटी इंटरनेशनल से 2003 में 140 डॉलर में चांद पर पांच एकड़ का प्लॉट खरीदा था। राजीव ने कहा, चंद्रयान-2 अभियान पूरी मानवता के लिए अच्छा है।
सात सितंबर की सुबह करीब दो बजे जैसे ही चांद की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर-रोवर कदम रखेंगे, भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही अपने यान चांद पर उतारे हैं। हालांकि, भारत अपने यान को चांद के उस हिस्से में उतराने वाला है; जहां आज तक कोई देश नहीं पहुंचा। चांद के हिस्से में हर वक्त अंधेरा रहता है। संभावना है कि यहां पानी, बर्फ और ऑक्सीजन मिल सकता है।
भारत ने अपने पहले मिशन चंद्रयान-1 में कई अहम खोज की थी। इस मिशन में भारत ने ही चांद पर बर्फ और पानी की मौजूदगी का खुलासा किया था। ये जानकारी पूरी दुनिया के लिए काफी अहम साबित हुई थी। अब भारत चांद के उस हिस्से में अपने यान को उतारने जा रहा है, जहां कई नए रहस्यों का खुलासा हो सकता है। इस वजह से भारत के इस मिशन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। चंद्रयान-2 की सफल लॉचिंग पर ही नासा ने इसरो को बधाई दी थी। नासा चंद्रयान-2 की पल-पल की गतिविधि पर नजर रखे हुए है।
अमेरिका ने जब चांद की सतह पर मानव भेजने का अभियान पूरा कर लिया था, उसके करीब महीने भर बाद 15 अगस्त, 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की गई थी। आज भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी मेधा से उस ऊंचाई को छू लिया है कि चंद्रयान-2 के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी अपना पेलोड भेजा है। जितने खर्च में हॉलीवुड की हालिया ब्लॉकबस्टर मूवी ‘अवेंजर्स : एंडगेम’ बनी थी, उससे तिहाई खर्च में इसरो ने चंद्र अभियान को अंजाम दिया है।
बता दें कि चंद्रयान का लैंडर विक्रम अपने साथ रोवर प्रज्ञान को लेकर सात सितंबर की रात 1.30 बजे से 2.30 बजे के बीच चांद पर उतरेगा। यदि इसमें सफलता मिलती है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा और चांद के अबतक अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।
लैंडर के उतरने के लगभग चार घंटे बाद इसके भीतर से रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर एक चंद्र दिन (धरती के 14 दिन के बराबर) तक वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। वहीं, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का है। इस दौरान वह लगातार चांद की परिक्रमा कर धरती पर बैठे इसरो के वैज्ञानिकों को पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) के बारे में जानकारी भेजता रहेगा।