मेरे खाते में 6.80 लाख रुपये मात्र, पैसे में नही खरीद सकते मुझे – जस्टिस गोगोई
नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों पर कहा कि ये किसी जूनियर असिसटेंट का षडयंत्र नहीं हो सकता, बल्कि ये इससे कहीं गहरी साजिश है। ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायपालिका और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सीट को निष्क्रिय करने की कोशिश की जा रही है।
चीफ जस्टिस ने आगे कहा, ’20 साल की निश्छल नौकरी के बाद, यह अविश्वसनीय है। मेरे बैंक अकाउंट में 6,80,000 रुपए हैं। ये मेरी कुल संपत्ति है। जब मैंने जज के रूप में काम करना शुरू किया था, तब बहुत उम्मीदें थीं। अब रिटायरमेंट के करीब मेरे पास हैं, तो 6 लाख रुपए।’
‘स्पष्ट है कि वे लोग मुझे पैसे से नहीं खरीद सकते, इसलिए मेरे खिलाफ ये साजिश रची गई।’
बता दें कि चीफ जस्टिस गोगोई के ऊपर सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। इस मामले की शनिवार को सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की बेंच ने विशेष सुनवाई की। बेंच ने कहा कि सीजेआई के खिलाफ आरोपों पर अन्य जजों की एक बेंच सुनवाई करेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने शुक्रवार को 22 न्यायाधीशों के घरों पर इस संबंध में एक शिकायत भेजी थी। मीडिया में इसकी रिपोर्ट आने के बाद शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में विशेष बेंच में मामले की सुनवाई हुई।
सीजेआई के कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “न्यायपालिका की स्वतंत्रता के ऊपर यह बहुत गंभीर खतरा है। जो आरोप लगाए गए हैं उनसे काफी आहत हूं।”
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह सीजेआई कोर्ट में रहेंगे और बिना किसी भय के अपने न्यायिक कार्यों का निर्वाहन करेंगे। उन्होंने कहा, “मैंने आज कोर्ट में बैठने का यह असामान्य और असाधारण कदम उठाया है क्योंकि चीजें बहुत दूर चली गई हैं। न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता है।”
सीजेआई ने इन आरोपों के जवाब में यह भी कहा कि यह आने वाले कुछ सप्ताह में होने वाले अहम मामलों की सुनवाई से रोकने का प्रयास है। उन्होंने कहा, “मैं अगले सप्ताह महत्वपूर्ण केसों की सुनवाई करने वाला हूं और यह उन मामलों की सुनवाई रोकने की कोशिश है। मैं इस कुर्सी पर बैठूंगा और निडरता से न्यायपालिका से जुड़े कर्त्तव्य पूरे करता रहूंगा।”
गोगोई ने यह भी कहा कि कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा एक महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए अपुष्ट आरोपों को प्रकाशित किया गया। उस महिला की पृष्ठभूमि आपराधिक है। इस आपराधिक पृष्ठभूमि के चलते वह 4 दिनों तक जेल में भी रही है। इतना ही नहीं पुलिस भी उस महिला के व्यवहार के संबंध में उसे चेतावनी दे चुकी है।
वहीं, सीजेआई की अगुवाई वाली विशेष पीठ ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मीडिया को संयम बरतने के लिए कहा। शनिवार सुबह सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से यौन शोषण के आरोपों के संबंध कहा था, जिसके बाद यह बेंच गठित की गई। इस बेंच में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल रहे।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल संजीव सुधाकर कालगावंकर ने कहा यह स्वीकार किया कि एक महिला द्वारा भेजी गई शिकायत कई मौजूदा जजों को मिली है। हालांकि उन्होंने कहा कि उस महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप दुर्भावनापूर्ण और बेबुुनियाद हैं। उन्होंने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि यह दुर्भावनापूर्ण आरोप हैं।”
वहीं, अपने शिकायत में पूर्व महिला कर्मचारी ने कथितरूप से यौन शोषण की दो घटनाओं का जिक्र किया है। यह घटनाएं गोगोई के सीजेआई बनने के कुछ दिनों बाद अक्टूबर 2018 की बताई जा रही हैं।