तूफान की चाह है कि वह कोहराम यहीं मचायेगा तो हमें भी जिद्द है कि मकां यही बनायेगें। इस लाईन को चरितार्थ कर दिया है सच्चे विश्व रिकॉर्ड धारक महान व्यक्तित्व के धनी महान मोटीवेशनल स्पीकर युगदृष्टा दिनेश गुप्ता जी ने आईये! चलते हैं आदरणीय दिनेश गुप्ता जी की इस मानसिक अनूठी जीवन यात्रा पर-
आदरणीय दिनेश गुप्ता जी। जिनसे बात की है सच की दस्तक की न्यूज एडीटर एडिटर ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना ने। आईए जानते हैं दिनेश जी के बारे में जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में सकारात्मकता अपनाकर अपनी काबिलियत से दुनिया की महान प्रतिभाओं को एक ओएमजी वर्ल्ड रिकार्ड संस्था के माध्यम से एक महान मंच प्रदान किया। आदरणीय दिनेश जी का कहते हैं कि
Your Greatness is my business…!
आपके विश्वास में हीं आपका विश्व है।”ऐसा कहना है मुंबई के कल्याण शहर के रहने वाले प्रोफेसर डॉ. दिनेश गुप्ता का(Dr. Dinesh Gupta)। दिनेश गुप्ता जी एक गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर, प्रोफेसर, कवि, कहानीकार, मल्टीनेशनल स्पीकर, माइंडसेट ट्रेनर, एक सफल बिजनेसमैन और रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज कराने वाले एक महान इंसान है।
एक मध्यम परिवार से आने वाले दिनेश के पिता समोसे व चाय का एक कैंटीन चलाते थे। जब दिनेश दसवीं पास हुए तो उनके पिता ने उनसे कहा कि हमलोग बहुत गरीब है और गरीब लोग फैक्ट्री में मशीनों पर काम करते हैं इसलिए आईटीआई में दाखिला ले लो। उन्होंने आईटीआई में दाखिला तो ले लिया, लेकिन वहां जाकर उन्हें ऐसे बच्चे मिले जो कि बहुत कम प्रतिशत के साथ वहां आए थे। दिनेश की पढ़ाई में दिलचस्पी बहुत ज्यादा थी। मन ना होते हुए भी उन्हें वहां जाना पड़ा था। जबकि उनका सपना इंजीनियर बनने का था। आईटीआई करने के दौरान उनकी एक प्रोफेसर से मुलाकात हुई। उनकी बातों ने दिनेश की सोंच को पूरी तरह बदल दिया।
उन्होंने कहा “हम सब डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बन सकते, लेकिन अपने-अपने क्षेत्र के डॉक्टर या इंजीनियर जरूर बन सकते हैं। इसके बाद उन्हें जैसे एक मकसद सा मिल गया। जिसके बाद उन्होंने आईटीआई में और आगे जाने के रास्ते ढूंढने शुरू किए तत्पश्चात् उन्हें पता चला कि इसमें वे डिप्लोमा इंजीनियर का कोर्स कर सकते हैं।
उन्होंने 4 साल वाले डिप्लोमा कोर्स में नामांकन ले लिया। पहला साल तो मुश्किलों भरा रहा क्योंकि सारी पढ़ाई अंग्रेजी में थी और इन्हें अंग्रेजी में थोड़ी मशक्कत थी। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अंग्रेजी पर अपनी पकड़ बनाई और वहां से दो बार गोल्ड मेडल लेकर बाहर निकले। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से उन्होंने कभी भी अपनी पढ़ाई घर पर बैठकर नहीं की। अपने फीस के पैसे इकट्ठे करने हेतु वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी भी किया करते थे। उस 4 साल की पढ़ाई में 8 सेमेस्टर थे और इन 8 सेमेस्टर में इन्होंने आठ कंपनियां बदलीं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें अपने सेमेस्टर एग्जाम के लिए 15 दिन की छुट्टी चाहिए होती थी ताकि वे पढ़कर एग्जाम दे सकें। चूंकि कम्पनी की तरफ से 15 दिनों की छुट्टी स्वीकार नहीं होती थी जिसके कारण उन्हें कंपनी छोड़नी पड़ती थी। उस आईटीआई के दौरान उन्होंने नाइट कॉलेज से 11वीं और 12वीं की भी पढ़ाई की। उसके बाद कॉरस्पॉडेंस से बीए भी किया। जिससे उनकी हिंदी बहुत अच्छी हो गई।
इसके बाद उन्होंने 2006 में 25 साल की उम्र में एक किताब लिखी। जिसका नाम था “विजयी भव:”। उन्होंने उस किताब को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, प्रधानमंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और भी कई लोगों को भेजी। सभी ने इनकी बहुत सराहना भी की। जिसके बाद दिनेश का किताब लिखने का सिलसिला भी शुरू हो गया। साथ ही उन्होंने आईआईटी में जाने की कोशिश भी की और उसमें दाखिला भी ले लिया। आईआईटी बॉम्बे से पोस्ट ग्रेजुएट कर बाहर निकले और अपने प्रोग्रामिंग के जरिए रोबोटिक इंजीनियर बन गए जिसके बाद इन्हें 15 देशों में काम करने का मौका भी मिला।
अपनी काबिलियत से स्थापित किए कई कीर्तिमान
फिर 2011 में भारत वापस आए और लिम्का के लिए कोशिश किया। लेकिन यहां आने के बाद उनके कांसेप्ट 2011 से 2018 तक रिजेक्ट किए गए और उनसे कहा गया कि “आप हमारी केटेगरी की चीजें नहीं भेजते, आपसे यह काम नहीं हो सकता”। और लिम्का के अनुसार उन्हें 24 घंटे बैठकर सिर्फ प्रकृति के चित्र बनाने थे। दिनेश ने इस बात को चैलेंज की तरह लिया और इसे स्वीकारते हुए उन्होंने 2019 में चौबीस घंटों में 415 चित्र बनाकर दिए और उनका नाम “लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड” में दर्ज किया गया। इतना ही नहीं उन्होंने अलग-अलग कामों में 24 रेकॉर्ड बनाए हैं। जिनमें से एक रिकॉर्ड कविताओं के लिए भी है। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के श्रद्धांजलि में इन्होंने 12 घंटों में 207 कविताएं लिख डाली। जिसके नाम पर किताब भी आई- “अटल विश्वास”।
दिनेश गुप्ता जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। इन कामों के साथ-साथ उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। जिसमें एक घंटे की कक्षा में 45 मिनट तक सब्जेक्ट की पढ़ाई और 15 मिनट व्यवहारिक ज्ञान पर चर्चा होती थी। जिसके कारण उनकी कक्षा में बच्चे बढ़ने लगे। दूसरी कक्षा के बच्चे भी आकर उनकी कक्षा में बैठने लगे। वहां एक बहुत बड़ी बात यह हुई कि जहां 10 बच्चे भी सही से नहीं आते थे, वहां दिनेश जी के प्रयास से 110 बच्चे आने लगे। उन्हें हमेशा अलग-अलग कॉलेजों में, राज्यों में, देशों में लेक्चर के लिए जाना पड़ता था। जिसके कारण उन्हें कॉलेज में पढ़ाना छोड़ना पड़ा। दिनेश ने 10 सालों तक कई अलग-अलग म्यूजिक कंपनियों में भी काम किया है।
एक सफल बिजनेसमैन
उन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत 2006 में आनंद श्री आर्गेनाइजेशन से की थी। जहां लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है। सच की दस्तक से बात करते हुए दिनेश जी बताते हैं कि उन्हें प्रकृति का ख्याल रखना बहुत अच्छा लगता है। वे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का काम भी करते हैं। पहले तो वे रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए पैसे लेकर काम किया करते थे लेकिन अब वे बिना पैसे के ही यह काम करते हैं और साथ ही लोगों को इस काम को करने की सलाह भी देते हैं। इतना ही नहीं दिनेश अब रिकॉर्ड बनाने की कंपनी भी चलाते हैं। वे बताते हैं कि रिकॉर्ड बनाते-बनाते उन्हें खुद भी यह आइडिया हो गया कि इसका काम कैसे करते हैं। और फिर खुद की रिकॉर्ड बनाने की दो कंपनी शुरू कर दी। जिसमें पहली कंपनी शुरू हुई 2019 में। जिसका नाम है “ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड“। जो देश की चौथे नंबर की कंपनी बन गई है। और दूसरी कंपनी शुरू हुई 2020 में जिसका नाम है “अमेजिंग रिकॉर्ड प्राइवेट लिमिटेड“। जो सिर्फ भारतीयों के लिए है और इसकी शुरुआत आत्मनिर्भर भारत को साकार बनाने के लिए लिए की गई। दिनेश की “सफल की उड़ान” नाम की पत्रिका भी आती है। जिसमें सकारात्मक कहानियां रहती है। साथ ही उन्होंने “ओएमजी टॉक” भी शुरू किया है। जहां लोगों को एक प्लेटफॉर्म दिया जाता है कि वो अपनी बातों को सामने रखें।
लोगों को हमेशा करते हैं प्रोत्साहित
सच की दस्तक से बात करते हुए दिनेश गुप्ता(Dinesh Gupta) ने बताया कि उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल भी बना रखा है। जहां उनके कई वीडियो हैं। वे बताते हैं कि किसी भी काम को करने के लिए सबसे जरूरी है माइंड सेट होना। बिना माइंडसेट के हम कुछ नहीं कर सकते और साथ ही समय का सदुपयोग करना। दिनेश कहते हैं कि वे हर रोज 4 बजे अपने यूट्यूब चैनल पर लाइव आते हैं। अगर कभी वह घर से बाहर होते हैं और 4 बज जाए तो वह बाहर रहते हुए भी भीड़ से हटकर लाइव जरूर आते हैं। उनका कहना है कि “अगर हम समय की खेती अच्छे से करेंगे तो समय की फसल भी हमें बहुत अच्छी मिलेगी। दिनेश हमेशा सभी को ये कहते हैं कि “मौके का इंतजार करने से बेहतर है, मौका बनाना”। अगर आप सोच लें तो कुछ भी कर सकते हैं जरूरत है तो बस विश्वास की।
दिनेश एक समाज सेवक भी हैं। वे हर दिन किसी न किसी की मदद जरूर करते हैं। वे लोगों को उनकी तकलीफ या परेशानी से बाहर खींचने की कोशिश करते हैं और हर किसी को मोटिवेट करने के साथ ये समझाते हैं कि आपके अंदर की महानता को बाहर निकालना हीं मेरा काम है। दिनेश को अपने इन्हीं कामों के लिए 150 से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं। जहां हम युवा पीढ़ी एक से दो कामों से थक कर परेशान हो जाते हैं वहीं दिनेश इतने सारे कामों को साथ में संभालते हैं। दिनेश हम सभी को एक बहुत बड़ी सीख दे रहे कि हमें कभी रुकना नहीं चाहिए बस खुद पर विश्वास रखकर आगे बढ़ना चाहिए।
अपनी काबिलियत से सफलता का ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले दिनेश गुप्ता सभी के लिए एक प्रेरणा हैं।sach ki dastak दिनेश गुप्ता जी के कार्यों की खूब सराहना करता है।
सच की दस्तक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका वाराणसी उत्तर प्रदेश की तरफ़ से आपको गहरा सम्मान।