हिंदी दिवस : हिंदी को अपनाना होगा

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हिन्दी का अपनाना होगा
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हम भी हिन्दी तुम भी हिन्दी
हिन्दी अपनी पहचान है
हिन्दी भाषा हिन्दी अभिलाषा
हिन्दी से हिन्दुस्तान है
हिन्दी भाने लगी विश्व को
जहाँ देखो वहाँ हिन्दी है
जो अपनाता वो हो जाता
इसका, ऐसी प्यारी हिन्दी है
श्रेष्ठ व्याकरण करें निराकरण
पंत प्रसाद की श्वांस बनी
बनी महादेवी की कविता
दिनकर का उजास बनी
गद्य पद्य की बहु कलाएं
इंद्रधनुष के रंग बनी
रस-अलंकार को पाकर
कवि कविता का संग बनी
लिए विशाल कलेवर अपना
अन्य बोलियाँ अंग बनी
कहीं असि की प्रखर धार सी
कहीं ढ़पली संग चंग बनी
मेरी हिन्दी सबकी हिन्दी
ये मंत्र जपना होगा
सच मानो फिर धरा-गगन
हिन्दी का अपनाना होगा
             —————–
                 लेखक  – व्यग्र पाण्डे

Sach ki Dastak

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व्यग्र पाण्डे
5 years ago

आदरणीय नमस्कार !
उक्त कविता में ‘हिन्दी का अपना होगा ‘ ही सही था आप कविता पढ़ कर देखने का प्रयास करते जी ।
जो आपने बदलाब किया है ” हिन्दी को अपनाना होगा ” वो ठीक से नहीं जुड़ रहा है अगर मूल पंक्ति रहती तो ही ठीक रहती ।
आपका स्नेही
– व्यग्र पाण्डे

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