केंद्र सरकार का अंतरिम बजट निम्न और लोअर मिडिल इनकम ग्रुप्स के लिए खास सौगात लाया है, वहीं उच्च मध्य वर्ग और अमीरों के लिए इसमें ज्यादा कुछ नहीं है. वेतनभोगी और पेंशनर्स के लिए बजट 2019 के प्रस्तावों का सबसे बड़ा फायदा टैक्स का बोझ कम होना है. बजट प्रस्ताव में 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम पर टैक्स खत्म कर दिया गया है. इसके अलावा लोगों के खाली पड़े दूसरे घर के डीम्ड रेंट पर लगने वाले टैक्स को भी खत्म कर दिया गया है.


बजट 2019 में वेतनभोगी और पेंशनर्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाया गया है. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 40,000 रुपये है जिसे वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़ाकर 50,000 रुपये करने का प्रस्ताव है.स्टैंडर्ड डिडक्शन में की गई बढ़ोतरी से 5-10 लाख रुपये की इनकम वाले लोगों को सीधा 2080 रुपये की बचत होगी. 10 लाख से 50 लाख सालाना इनकम वाले लोगों को इस बढ़ोतरी के बाद 3,120 रुपये की बचत होगी, जबकि 50 लाख -1 करोड़ रुपये तक की इनकम वाले लोगों को 3,432 रुपये की बचत होगी. जिन लोगों की आमदनी 1 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी उन्हें सीधे 3,588 रुपये की बचत होगी. इस बचत में सेस और सरचार्ज को शामिल किया गया है.

बजट 2019 के प्रस्तावों का सबसे ज्यादा फायदा उन सभी लोगों को होगा जिनकी नेट टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक है. बजट प्रस्तावों के मुताबिक इस दायरे में आने वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं देना होगा . इस कैटिगरी में आने वाले लोग पहले न्यूनतम 13,000 रुपये टैक्स के रूप में दे रहे थे. ऐसे में इस कैटिगरी में आने वाले लोगों को सीधे 13,000 रुपये तक की बचत होगी. अर्न्स्ट एंड यंग में पीपल अडवायजरी सर्विसेज की टैक्स पार्टनर शालिनी जैन के मुताबिक , ‘यह बेनेफिट चुकाए जाने वाले पूरे टैक्स के रिबेट के रूप में उन लोगों के लिए है जिनकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक है. 

‘ अगर आपकी टैक्सेबल इनकम इस लेवल को पार करती है तो 5 फीसदी , 20 फीसदी और 30 फीसदी के रेग्युलर मौजूदा टैक्स स्लैब के हिसाब से आपको टैक्स देना होगा. साथ ही आपको सेस और सरचार्ज भी देना होगा. उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति साल में 6.5 लाख रुपये कमाता है और सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये निवेश करता है तो वह अपनी ग्रॉस इनकम से 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम कर सकता है और इनकम को घटाकर 5 लाख रुपये तक ला सकता है.

इसके अलावा जिन लोगों के पास 2 घर थे उन्हें पहले अपने सेकंड हाउस के डीम्ड रेंट पर इनकम टैक्सचुकाना होता था. भले ही दूसरा घर खाली क्यों न पड़ा हो. पहले घर को सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी माना जाता था और अगर व्यक्ति इसमें रह रहा है या यह खाली पड़ा हो तो भी इस पर कोई टैक्स नहीं देना होता था. सरकार का यह ऐलान दो घर/ फ्लैट के मालिकों के लिए बड़ी राहत लाया है और इससे लोग प्रॉपर्टीज में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं.

केंद्र सरकार ने बजट 2019 में 60 साल तक की उम्र वालों के लिए बैंक और पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट्स से आने वाली इनकम के लिए TDS लिमिट को बढ़ा दिया है. इसके अलावा रेंट देने वाले नॉन इंडीविजुअल्स के लिए TDS लिमिट को बढ़ाया गया है। 

 

Sach ki Dastak

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