अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आज: भारत में हैं 1365 भाषाएं, लेकिन हिंदी को मातृभाषा का दर्जा नहीं –
विश्व में भाषाई व सांस्कृतिक विविधता व बहुभाषिता को बढ़ावा देने और विभिन्न मातृभाषाओं के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से हर साल 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस साल उन्नीसवें मातृभाषा दिवस की थीम है, विकास, शांति और संधि में देशज भाषाओं के मायने। एक नजर डालते हैं इससे जुड़े कई आयामों पर…
भाषा के लिए शहादत-
21 फरवरी 1952 को ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की भाषायी नीति का कड़ा विरोध जताते हुए अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। पाकिस्तान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी लेकिन लगातार विरोध के बाद सरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा। भाषायी आंदोलन में शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने पहली बार 1999 में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
दुनिया में अगले 40 साल में चार हजार से अधिक भाषाओं के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है।
भारत विविध संस्कृति और भाषा का देश रहा है। साल 1961 की जनगणना के अनुसार भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में फिलहाल 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है।
दूसरी लोकप्रिय हिंदी
(फीसद में)
अन्य मातृभाषी लोगों के बीच भी हिंदी दूसरी भाषा के रूप में लोकप्रिय है।
छोटे भाषा समूह जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर बसते हैं तो वे एक से अधिक भाषा बोलने-समझने में सक्षम हो जाते हैं। 43 करोड़ लोग देश में हिंदी बोलते हैं, इसमें 12 फीसद द्विभाषी है। 82 फीसद कोंकणी भाषी और 79 फीसद सिंधी भाषी अन्य भाषा भी जानते हैं। हिंदी मॉरीशस, त्रिनिदाद-टोबैगो, गुयाना और सूरीनाम की प्रमुख भाषा है। फिजी की सरकारी भाषा है।
हाल ही में जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक भारत में जिनकी मातृभाषा हिंदी या बांग्ला है, उनमें बहुभाषियों की संख्या कम है। 43 करोड़ हिंदी भाषी में 12 फीसद लोग द्विभाषी हैं और उनकी दूसरी भाषा अंग्रेजी है। जबकि बांग्ला बोलने वाले 9.7 करोड़ लोगों में 18 फीसद द्विभाषी हैं। हिंदी और पंजाबी के बाद बांग्ला भारत में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश में 14 हजार लोगों की मातृभाषा संस्कृत है।