करौली : हमारे पास पलायन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा

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हिन्दुओं का पलायन करौली से-

हिंदू नव वर्ष के पावन मौके पर जिहादियों की भीड़ द्वारा हिन्दुओं पर हमला किया गया था लेकिन इसके बावजूद राजस्थान सरकार कान में तेल डालकर सोयी हुई है. इसके बाद कई सावल उठने लगे हैं जिसका जवाब गहलोत सरकार के पास नहीं है. वहीँ आपको बता दें इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है खबर के मुताबिक अब राजस्थान के करौली जहाँ जिहादियों द्वारा हिंसक वार हिन्दुओं पर किया गया था अब वहां हिन्दुओं को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

एक मीडिया चैनल के रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में करौली सांप्रदायिक झड़पों के शिकार, जहां भीड़ ने हिंदू नव वर्ष के दिन हिंदुओं पर बेरहमी से हमला किया, उन्होंने कहा कि वे करौली में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं और अपने परिवारों के साथ अन्य सुरक्षित स्थान पर जाने की योजना बना रहे हैं। ऐसे ही एक हिंदू दुकानदार ने बताया, “हमारे पास पलायन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। हमें बहुत नुकसान पहुँचा है। हमें बाजारों का पैसा भी देना है। मजबूरी में अपनी प्रॉपर्टी बेचनी पड़ रही है। इस दशहत के माहौल में हम नहीं जी सकते हैं। इसलिए हमने पलायन करने का फैसला किया है, क्योंकि ये लोग आगे भी हमारे साथ बहुत कुछ कर सकते हैं।”चंद्रशेखर गर्ग नाम के एक अन्य दुकानदार ने बताया, “उस दिन (2 अप्रैल) करीब 3 से 4 बजे के बीच मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी दुकानों को बंद करना शुरू कर दिया था। साढ़े 6 बजे के करीब जब बाजार में भीड़ जमा होने लगी तो हमने अपनी दुकाना लगाना शुरू कर दिया। तभी उन लोगों (मुस्लिम) ने इसका विरोध किया। जब हमने उनका विरोध किया तो उन्होंने हमें वहाँ से भगा दिया। हमें जान से मारने की धमकी भी दी गई। हमारे घर जाने के बाद उन लोगों ने हमारी दुकानों को लूटा फिर उसमें आग लगा दी। हमें काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। हम यहाँ से पलायन करेंगे और कोई दूसरा काम तलाशेंगे। हमारी 60 साल पुरानी दुकान है, लेकिन हमें इसे छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हमने हमेशा भाईचारा बनाए रखा, लेकिन हमें क्या पता था कि यही लोग हमारे साथ धोखा करेंगे और हमारी पैतृक दुकानों को आग के हवाले कर देंगे।”

गौरतलब है कि करौली में हिंदू नव वर्ष के जुलूस पर 2 अप्रैल को हिंसा हुई थी। दुकानों में आगजनी की गई। इसमें पुष्पेंद्र नाम का एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसके शरीर पर चाकू से

चंद्रशेखर गर्ग नाम के एक अन्य दुकानदार ने बताया, “उस दिन (2 अप्रैल) करीब 3 से 4 बजे के बीच मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी दुकानों को बंद करना शुरू कर दिया था। साढ़े 6 बजे के करीब जब बाजार में भीड़ जमा होने लगी तो हमने अपनी दुकाना लगाना शुरू कर दिया। तभी उन लोगों (मुस्लिम) ने इसका विरोध किया। जब हमने उनका विरोध किया तो उन्होंने हमें वहाँ से भगा दिया। हमें जान से मारने की धमकी भी दी गई। हमारे घर जाने के बाद उन लोगों ने हमारी दुकानों को लूटा फिर उसमें आग लगा दी। हमें काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। हम यहाँ से पलायन करेंगे और कोई दूसरा काम तलाशेंगे। हमारी 60 साल पुरानी दुकान है, लेकिन हमें इसे छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हमने हमेशा भाईचारा बनाए रखा, लेकिन हमें क्या पता था कि यही लोग हमारे साथ धोखा करेंगे और हमारी पैतृक दुकानों को आग के हवाले कर देंगे।”

गौरतलब है कि करौली में हिंदू नव वर्ष के जुलूस पर 2 अप्रैल को हिंसा हुई थी। दुकानों में आगजनी की गई। इसमें पुष्पेंद्र नाम का एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसके शरीर पर चाकू से हमले के निशान थे। उपद्रवियों को काबू करते हुए पुलिस के 4 जवान भी घायल हुए थे। कुल 43 लोगों के घायल होने की खबर मीडिया में आई थी। इसके बाद मामले में जाँच शुरू हुई और पीएफआई का एक पत्र सामने आया, जिसने इस हिंसा के सुनियोजित होने की ओर इशारा किया। बाद में कॉन्ग्रेसी नेता मतबूल अहमद की भूमिका भी हिंसा में पाई गई।

Sach ki Dastak

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