पद्मश्री डॉक्टर शामिल, किडनी बेचने वाले गिरोह के 12 सदस्य गिरफ्तार-
कानपुर –
पैसे का लालच देकर उनकी किडनी निकलवाकर बेचने वाले गिरोह के 12 सदस्य शनिवार देर रात नौबस्ता पुलिस के हत्थे चढ़ गए। ये सभी कानपुर से लेकर लखनऊ, आगरा व दिल्ली तक के अस्पतालों से जुड़े हैं और वहां लाखों रुपये में किडनी बेच रहे थे। इसका सरगना पद्मश्री डॉक्टर कोलकाता का टी राजकुमार राव जो लखीमपुर खीरी के गौरव मिश्रा की मदद से चैन बना रहा था बताया जा रहा है, वहीं पकड़े गए संदिग्ध बिचौलिये। पुलिस रविवार को इस गिरोह का खुलासा कर सकती है। देर रात तक पुलिस की दबिश जारी थी।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि कुछ दिन पूर्व नौबस्ता निवासी एक व्यक्ति ने शहर में किडनी निकालकर बेचने वाले गिरोह के सक्रिय होने की शिकायत की थी। इसके बाद सर्विलांस टीम की मदद से पुलिस ने गिरोह से जुड़े शहर के एक व्यक्ति को पकड़ा। पूछताछ में उसने कई अन्य साथियों के बारे में भी जानकारी दी जो लखनऊ व आसपास के जिलों के हैं। फिर टीम बनाकर पुलिस ने उनके ठिकानों पर दबिश दी और करीब एक दर्जन लोगों को पकड़ लिया।
सूत्रों के मुताबिक गिरोह के सदस्य गरीब परिवारों को पैसे का लालच देकर जाल में फंसाते थे। उनके अस्पतालों व नर्सिग होम में भी तार जुड़े थे। वहां आने वाले जिन मरीजों को किडनी की जरूरत होती थी, उनसे संपर्क करते और किडनी देने वाले व्यक्ति को मरीज का फर्जी रिश्तेदार बताकर कागजात तैयार कराते थे। इसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाती थी। इसके बाद अस्पतालों में किडनी को ट्रांसप्लांट कराया जाता था। इस काम में अस्पताल कर्मी भी शामिल बताए गए हैं।
पुलिस के मुताबिक गिरोह में एक दर्जन से अधिक लोग हैं जो कानपुर के अलावा दिल्ली, आगरा, लखनऊ के रहने वाले हैं। जल्द पुलिस इस गिरोह का खुलासा कर सकती है। इंस्पेक्टर नौबस्ता समर बहादुर यादव ने बताया कि अभी संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है। जल्द गिरोह का खुलासा होगा।
छह डोनर की पहचान की गई
गिरोह ने अब तक तमाम लोगों की किडनी दूसरे मरीजों को ट्रांसप्लांट कराई है। इसमें लाखों रुपये का लेनदेन हुआ है। एक-एक किडनी 20 से 50 लाख रुपये तक बेची जाती थी। पुलिस ने अभी छह लोगों की पहचान की है, जिनकी किडनी निकाली गई।
नेटवर्क में दो दर्जन अस्पताल शामिल
अवैध रूप से किडनी ट्रांसप्लांट करने के इस खेल में शहर के अलावा बाहरी जिलों के कई अस्पताल व नर्सिग होम शामिल बताए जा रहे हैं। इसमें कई नामी अस्पताल भी हैं। पुलिस इन अस्पतालों के संचालकों से भी पूछताछ करेगी।
वोटर, आधार कार्ड तक बनाते थे फर्जी
पुलिस सूत्रों ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट से पहले मरीज का रिश्तेदार बनाने के लिए डोनर के फर्जी वोटर व आधार कार्ड तक बनवाए जाते थे। अस्पताल की कमेटी के सामने डोनर को सिखा-पढ़ाकर लाते थे।