भजन : राधारानी बनीं हैं कोतवाल

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आइये! भगवान श्री कृष्ण जी की बाल लीला का आनंद लेते हैं। जब वह छोटे प्यारे लालन हुआ करते.. तब यशोदा माता कहा करतीं कि अरे! लालन तू बहुत नटखट है, कभी कंस के सैनिकों, कोतवालों ने देख लिया तो क्या होगा पता है? तो कान्हा कहते.. मोहो काहू को डर नीं, मैं ते बड़ो कोई कोतवाल है का… तो माता कहतीं अच्छा तेरी कोतवाल तो अतिसुन्दर वो राधा छोरी है… तो श्याम कहते मैया मोरो ब्याह करा….. मैया हँस पड़तीं।फिर प्यारे सलोने श्यामसुन्दर ग्वाल बालन के साथ चोर- कोतवाल वाली क्रीड़ा करते और हर लीला में सुंदर संदेश छिपा होता …. प्यारे से भगवान की वही लीला भजन के माध्यम से शब्दों में पिरोने की कोशिश की है बताना कैसी लगी….. कोशिश!

राधारानी बनीं हैं कोतवाल कन्हैया जी मुजरिम बनें-
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राधे रानी बनी है कोतवाल

कन्हैया जी मुजरिम बने

वृंदावन में लगी है कचहरी

लगी है कचहरी

बलदाऊ जी बने हैं सूबेदार

कन्हैया जी मुजरिम बने

दौड़ के आयीं सखियाँ सारी

सखियाँ सारी..

देख के हो गयीं सब हैरान

कि काहे कान्हा मुजरिम बने

हथकड़ियों में आज श्याम बँधे हैं.

फिर भी खड़े मुस्काय रहें हैं…..

ऐसो देखो ना अचरज महान

कि काहे कान्हा मुजरिम बने……..

बरसाने में लगी है कचहरी ..

लगी है कचहरी….

सुदामा जी बहस कर रहें हैं ..

उत्पात श्याम के ना कम हो रहैं हैं..

अब बहस में गये सब हार

कि काहे कान्हा मुजरिम बने….

देखें सखियाँ देख रहे सब नर-नारी

देखन आये हैं देवता हजार

कि काहे कान्हा मुजरिम बने…

राधे रानी ने पूछो है सवाल

बताओ कान्हा तुम काहे मुजरिम बने

नटखट श्याम प्रेम से बोले

राधे प्रेम ही है मेरो अपराध

हर जन्म तेरो मुजरिम रहूँ

तू ही है मेरी अदालत

करो मेरा फैसला आर या पार

इसी कारण मुजरिम बनो

कान्हा जी प्रेम से मुस्काये

बोले! तू सदा रहे मेरी कोतवाल

मैं सदा तेरा मुजरिम रहूँ

सुनकर राधा मंदमंद मुस्कायीं

खोल दिये सब बंधन कन्हाई

फिर सबने किया महारास

राधा बोलीं रहस्य बताओ

न देना झांसा सच सच बतलाओ

कि काहे कान्हा मुजरिम बने

कान्हा ने बांसुरी बजाई

प्रेम राग से दुनिया भुलाई

बोले प्रेम का कोई कोतवाल नही है

प्रेम की कोई अदालत नहीं है

प्रेम ही है जगत का सार

प्रेम ही है भक्ति आधार

अपना भी है प्रेमअवतार

आओ! राधे प्रेम सिखायें

निस्वार्थ प्रेम हम सबको समझायें

सब लोग सबसे प्रेम करें

और नही कोई.. कभी मुजरिम बने…

राधा रानी नृत्य कर रहीं हैं…

कान्हा एकटक निहार रहे हैं…..!

__ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना, न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 

Sach ki Dastak

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