महाराष्ट्र में तंबाकू, पान मसाला और सुगंधित सुपारी पर प्रतिबंध-

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महाराष्ट्र में अब किसी भी प्रकार के तंबाकू, और सुपारी (सुपारी के उत्पादन), भंडारण, वितरण, परिवहन और बिक्री की गई तो उसके खिलाफ खाद्य एंव औषधि प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। इसके लिए खाद्य एंव औषधि प्रशासन विभाग ने पूरे महाराष्ट्र में 20 जुलाई से प्रतिबंध लगा दिया है।



महाराष्ट्र के खाद्य एंव औषधि प्रशासन के खाद्य सुरक्षा आयुक्त डा• पल्लवी दराडे ने आदेश जारी कर बताया कि तंबाकू और सुपारी (सुपारी के उत्पादन), भंडारण, वितरण, परिवहन और बिक्री पर 20 जुलाई से प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध अगले एक साल तक प्रभावी रहेगा।

इस आदेश के तहत प्रतिबंधित तंबाकू उत्पादों में स्वादिष्ट, सुगंधित या मिश्रण चाहे यह जिस किसी भी नाम जैसे गुटखा, पान मसाला, सुगंधित/सुगंधित तंबाकू, सुगंधित / सुगंधित सुपारी, निर्मित चबाने वाले तंबाकू के मिश्रण, खारा या पैक किया जाता है और या एकल बेचा जाता है या अलग-अलग उत्पादों के रूप में पैक किया जाता है, बेचा या वितरित किया जाता है, शामिल किए गए हैं।

इन घातक तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने पर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के प्रोफेसर डॉ• पंकज चतुर्वेदी, ने महाराष्ट्र सरकार की सराहना करते हुए कहा, “ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, अश्विनी चैबे ने पिछले सप्ताह एक संसदीय प्रश्न में कहा था कि सुपारी कैंसर का कारण है।

 

 

एफएसएसएआई विनियमन यह कहता है कि प्रत्येक सुपारी पैकेट पर चेतावनी देनी चाहिए कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। महाराष्ट्र सरकार ने सुगंधित सुपारी और पान मसाला पर प्रतिबंध लगाने के लिए साहसिक कदम उठाया है।

 

 

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पान मसाला कंपनियां क्रिकेट, फिल्म फेस्टिवल आदि के लिए मुख्य प्रायोजक हैं। इसके लिए बालीवुड की फिल्मी सितारे अजय देवगन व अन्य इसे आक्रामक तरीके से बढ़ावा दे रहे हैं और इसे रोकना होगा।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई अध्ययनों ने यह साबित किया है कि पान मसाला मुंह और गले के कैंसर सहित गंभीर स्वास्थ्य खतरों का कारण है। ये अध्ययन संदेह से परे हैं।

संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने कहा “ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 में पाया गया है कि 15 साल और उससे अधिक आयु वर्ग के 29.6 प्रतिशत पुरुष, 12.8 प्रतिशत महिलाएं और 21 प्रतिशत सभी वयस्क धूम्रपान रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। तंबाकू का उपयोग भारत और विश्व स्तर पर मृत्यु और बीमारी का सबसे प्रमुख कारण है। धुआं रहित तंबाकू के सेवन से मृत्यु दर और रुग्णता का परिणामी बोझ भारत में बहुत अधिक है। भारत में हर साल तंबाकू से 13.5 लाख मौतें होती हैं। जोकि हम सभी के लिए चिंता का विषय है। युवा पीढ़ी को बचाने के लिए देश भर में सभी राज्यों को ऐसे ही प्रतिबंध को अधिसूचित करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को इस तरह के खतरों से बचाया जा सके।

भारत में तम्बाकू का खातक प्रयोग – 

भारतीय उपमहाद्वीप में तम्बाकू का प्रयोग सदियों पुराना है जो मुख्यत: दो प्रकार से हैः तम्बाकू चबाना और धूम्रपान। 

भारत दुनिया में तम्बाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। 
सम्पूर्ण रूप से तम्बाकू के इस्तेमाल की व्यापकता पुरुषों में 48 प्रतिशत और महिलाओं में 20 प्रतिशत है। 

आँकडें बताते हैं कि भारत में 35 प्रतिशत से अधिक व्यस्क तम्बाकू का सेवन करते हैं। उसमें से लगभग 63700000 लोग चबाने वाले (धूम्ररहित) तम्बाकू का सेवन करते है, 68,900,000 व्यस्क केवल धूम्रपान का उपयोग करते है। यद्यपि 42,300,000 लोग चबाने वाले तम्बाकू और धूम्रपान दोनों का ही सेवन करते है। भारतीय जनसंख्या का 30 प्रतिशत से अधिक वर्ग जो 15 वर्ष से उपर हैं, किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन करता है। उसमें से 14.6 प्रतिशत बच्चे वो है जो 13-15 वर्ष के बीच आते हैं। धूम्रपान महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में अधिक प्रचलित है। महिलाओं में चबाने वाले तम्बाकू का उपयोग करने की संभावना अधिक होती हैं। भारत में बीड़ी का सेवन सिगरेट से ज्यादा होता है। 

4000 से अधिक विभिन्न प्रकार के रसायन तम्बाकू और तम्बाकू के धुएँ में पाये जाते हैं। आई.ए.आर.सी. द्वारा किये गये कैंसर पर अनुसंधान में इन रसायनों में से 60 को कार्सिनोजन (कैंसर पैदा करने वाले एजेंट) के रूप् मे वर्गीकृत किया गया है। तम्बाकू में पाया जाने वाला मुख्य रसायन निकोटीन है जो अत्याधिक नशीला रसायन है। इसका लम्बी अवधि तक प्रयोग व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से इस पर निर्भर बना देता है। 


तम्बाकू के इस्तेमाल से शरीर का लगभग हर प्रमुख अंग प्रभावित होता है, जिसके फलस्वरूप रुग्णता व बेवक़्त मौत हो सकती हैं। तम्बाकू के इस्तेमाल से मुँह, गला, मस्तिष्क, घेंघा, फेफड़ें, पित्ताशय, गुर्दे और स्तन सहित शरीर के विभिन्न अंगों में कैंसर पैदा हो सकता है। तम्बाकू के कारण हदय रोग, फेफड़े संबंधी रोग, पक्षाघात, अंधापन, दांत और मसूड़े की बीमारियां भी हो सकती है। 

पुरूषों में सभी तरह के कैंसरों का लगभग 45 प्रतिशत और महिलाओं में 17 प्रतिशत मुख का कैंसर है तथा 80 प्रतिशत से ज्यादा मुख का कैंसर तम्बाकू के उपयोग करने के कारण होता है।

धूम्रपान छोड़ने संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव – 

  • धूम्रपान छोड़ने के लाभ के बारे में सोचें: पैसे की बचत, कम खाँसी और आपको खाना स्वादिष्ट लगेगा।
  • धूम्रपान छोड़ने के फायदे और प्रोत्साहन की तलाश करने के लिये दोस्तों और परिवार से मदद प्राप्त करें और उन्हें इस बारें में सूचित करें।
  • धूम्रपान छोड़ने के संकल्प को पूरा करने के लिये धूम्रपान/पान से दूर रहें।
  • जो व्यक्ति धूम्रपान इत्यादि करते हैं, उनकी संगत से बचे।

 

Sach ki Dastak

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