”सोनागाछी” के दर्द पर मौन ममता बनर्जी –

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[ममता बनर्जी ने इतने सालों में बंगाल के सोनागाछी ऐरिया को बना डाला देश का सबसे बड़ा रेड-लाइट एरिया? वो चाहतीं तो यह दाग मिटाने की अनेकों योजनाएं बना सकतीं थीं पर ना तो उनपर सुनीति है और न हीं संवेदना….]

वामपंथी विचारधारा का किला बंगाल अब पुनर्निमाण की बाट जोह रहा है और घुसपैठियों के दंश और कट्टरता के आतंक से सहमी बंगाल की पवित्र भूमि अब बदलाव चाह रही है। हमेशा की तरह इस बार बंगाल की रामनामबेरी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राम नाम से चिढ़ काफी मंहगी पड़ने के आसार हैं क्योंकि बंगाली युवा राजनीत और सड़कों पर हिंसा नहीं बल्कि कॉपी बस्ता उन्नत टेक्नोलॉजी, सुरक्षा व रोजगार चाहता है। बंगाल में कितनी बड़ी संख्या में महिलाओं का उत्पीड़न है और किस सीमा तक काले धंधें धड़ल्ले से चल रहे हैं यह आप गूगल पर पढ़ सकते हैं।बंगाल में सरकारी योजनाओं का धनलाभ डायरेक्ट जरूरतमंदों के खातों में नहीं पहुंच रहा। इस सबके अलावा बंगाल हिंसा का पर्याय बनता जा रहा है। जहां रिकॉर्ड तोड़ बीजेपी नेताओं की हत्या व मारपीट की घटनाओं का ज्वार आया हुआ है। इन सबको देखकर कयास लगाये जा रहे हैं कि अब बंगाल में बीजेपी का मजबूत मुख्यमंत्री हो जो आमजन को हिंसा से मुक्ति दिला सके। इस कह सकते हैं कि कांच नहीं फौलाद चाहिये बंगाल में कैलाश चाहिये श्लोगन सत्य मांग हो सकता है। पर ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि बंगाल का मुख्यमंत्री बंगाली होना चाहिए तो बीजेपी के पास श्री चंद्रा बोस जी चेहरा हो सकते हैं और बाबुल सुप्रीओ तथा क्रिकेटर सौरभ गांगुली भी चेहरा हो सकते हैं। पर कट्टर हिंदू छवि व लोकप्रियता के हिसाब से कैलाश विजयवर्गीय एक दमदार उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे हैं। फिर भी अगर बंगाल में बीजेपी की जीत का प्रचंड बिगुल बजता है और देश व बंगाल की जनता के चहेते बंगाल के मुख्यमंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी बनते हैं जोकि कि अवश्य सम्भावी लग रहा है तो बंगाल में महापरिवर्तन या कहें कि उन्नत महापरिवर्तन भी अवश्य सम्भव है जोकि अब होना समय और अस्तित्व की मांग है। बंगाल से मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकते हैं श्री कैलाश विजयवर्गीय क्योंकि वह हमेशा से बंगाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ फौलाद जिगरे के साथ मुखर विरोध प्रदर्शन करते देखे गये हैं जब हुगली में बीजेपी के कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस से झडप के दौरान पीटा गया था। दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग और प्रदेश के बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर कैलाश विजयवर्गीय ने जोरदार प्रदर्शन करके ममता का अहंकारी सिंहासन हिला दिया था। वह ममता बनर्जी जोकि कट्टर विशेष वर्ग की हिमायती मानी जाती है उनके खिलाफ़ जांबाज़ी से डटा अगर कोई नाम और चेहरा है तो वह है कैलाश विजयवर्गीय। बंगाल में तारा शक्ति पीठ, काली शक्तिपीठ और अन्य हिंदू धार्मिक स्थल हैं जहां के लोग इस सरकार में घुटन के चलते हर्षोल्लास से त्यौहार तक नहीं मना पाते। कुछ राजनैतिक विचारकों के अनुसार वोटकुनीति के चलते आज बंगाल जोकि बांग्लादेश बनने के मुहाने पर आ खड़ा है। यह हर भारतीय हिंदू के लिए चिंता का विषय है क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में मुस्लिम देश तो बहुत हैं और कुछ देश तो धर्मपरिवर्तन करा कर हिंदूओं को मुस्लिम व क्रिस्चियन बनाने का एजेंडा चला रहे हैं और यह आंकड़े बेहद गंभीर और संवेदनशील है। हिंदुओं की जो जनसंख्या भारतवर्ष में है, वह और कहीं नहीं। मुस्लिम व क्रिश्चियन को उनके देश अपना लेते हैं पर कहीं अगर हिंदू फंस जाये तो उसके लिये विश्व की महाअदालत हैग में भी कुछ नहीं होता। यह मामला आप कुल भूषण जाधव के रूप में समझ सकते हैं। इसलिये भारत में राम का नाम और राममंदिर व हिंदुत्व विचारधारा नहीं बहेगी तो क्या पाकिस्तान में बहेगी। देखा जाये तो पाकिस्तान भी भारत का ही भाग है जोकि गंदी राजनीतिक सोच का दुष्परिणाम है कह सकते हैं कि उस समय के लम्हों की सजा आजतक सदियाँ भोग रही है। ऐसा ही कुछ बंगाल में न दोहराया जा सके इसलिए हिंदूवादी संगठन व समस्त राष्ट्रभक्त बीजेपी के पक्ष में हैं। बेहद दुखद और धरातली सत्य यह है कि पश्चिम बंगाल के कई जिलों में आज हिन्दू समाज अल्पसंख्यक की स्थिति में आ चुका है। पश्चिम बंगाल की वर्तमान राजनीति के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। भाजपा के यह मुद्दा संजीवनी का काम कर रहा है, लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कार्यशैली हिंदुओं की इस समस्या के विपरीत ही दिखाई देती है। बंगाल में शून्य से शिखर पर जाने का जीतोड़ प्रयास करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने ममता के निज स्वार्थी किले को उस स्थान से ढहाने का फार्मूला सर्च कर लिया है, जोकि पिछले 15 वर्षों से बंगाल की राजनीति में ममता ने गढ़ा था।वहीं ममता बनर्जी की तानाशाही प्रवृति का शिकार बनी तृणमूल कांग्रेस पार्टी डूबता जहाज बनती दिखाई दे रही है। हालांकि यह कितना सही साबित होगा, यह अभी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज नेता आज ममता बनर्जी से किनारा करने की प्रतीक्षा की ताक में हैं। अभी हाल ही में ममता बनर्जी के खास माने जाने वाले और तृणमूल कांग्रेस को राजनीतिक अस्तित्व में लाने वाले दिग्गज नेता दिनेश त्रिवेदी ने तृणमूल कांग्रेस त्यागने के बाद जो वक्तव्य दिया है, वह निश्चित ही इस बात का संकेत करने के काफी है कि अब ममता बनर्जी की आगे की राजनीतिक राह आसान नहीं है। वैसे तृणमूल कांग्रेस की आंतरिक राजनीति का अध्ययन किया जाए तो यही परिलक्षित होता है कि इसके लिए स्वयं ममता बनर्जी ही जिम्मेदार हैं। उनके ही आग्रह, दुराग्रह एवं पूर्वाग्रह के कारण उनका संकट बढ़ा है। हम कह सकते हैं कि जब मानसिकता दुराग्रहित है तो ”दुष्प्रचार” ही होता है। कोई आदर्श संदेश राष्ट्र को नहीं दिया जा सकता। सत्ता-लोलुपता की नकारात्मक राजनीति हमें सदैव ही उलट धारणा यानी विपथगामी की ओर ले जाती है। तृणमूल कांग्रेस में अपने पारिवारिक सदस्यों को महत्व देने के बाद पार्टी को सत्ता के सिंहासन पर पहुंचाने वाले वरिष्ठ नेता टूटते दिखाई दे रहे हैं पर फिर भी ममता बनर्जी चुनावी वैतरणी पार करने का प्रयास करतीं दिख रही हैं और दोनों तरफ से आरोप- प्रत्यारोप का दौर जारी है। अब सवाल यह है कि जब इतने बड़े और जनप्रिय नेता तृणमूल कांग्रेस में अपमानित महसूस कर रहे हैं, तब सामान्य कार्यकर्ताओं की क्या स्थिति होगी, इस बात का अनुमान हम आप लगा ही सकते हैं।पश्चिम बंगाल की वर्तमान उबाल राजनीति का अध्ययन किया जाए तो यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि तृणमूल कांग्रेस की सर्वेसर्वा ममता बनर्जी भविष्य की राजनीति को लेकर भयभीत हैं। यह भय सत्ता की कुर्सी के चारों पांव टूटने का है। इसके बाद भी ममता बनर्जी पूरी वामपंथी ताकतों के साथ अपनी पार्टी की नाव को एक बार फिर से पार करने का साहस दिखा रही हैं। इसे साहस कहा जाए या ममता बनर्जी की बौखलाहट, क्योंकि ममता बनर्जी वर्तमान में अपनी पार्टी की नीतियों को कम भारतीय जनता पार्टी को कोसने में ज्यादा समय व्यतीत कर रही हैं। गौरतलब है कि इसी भय के कारण ममता बनर्जी ने यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का जहाज जमीन पर उतरने नहीं दिया था और उन्होंने तानाशाह और मैडम हिटलर का रूप दिखाया पर इस रूप में ममता का डर साफ दिखा । इसके अलावा अनेकों बीजेपी नेताओं की बंगाल में हत्या यह साबित करतीं है कि हिटलर दीदी डरपोक दीदी बन कर इस तरह से मासूमों की बलि से अपनी बादशाहत कायम रखना चाहती हैं जोकि लोकतंत्र में सम्भव नहीं है। ममता बनर्जी के बिगड़े बोल कि दो गुंडे…! यह अमर्यादित भाषा उनको दुरूस्त सबक देगी। सत्ता के नशे में चूर हिटलर मैडम को उन्हें भगवान श्रीराम के नाम से चिढ़ हो रही है। जबकि यह सभी जानते हैं कि भारत में भगवान राम का अस्तित्व तब से है, जब न तो भाजपा थी और न ही ममता बनर्जी। इतना ही नहीं आज के राजनीतिक दल भी नहीं थे। इसलिए ममता बनर्जी ने इस नारे को भाजपा से जोड़कर देखने का जो भ्रम पाल रखा है, वह नितांत उनकी संकुचित सोच या एक कट्टर इस्लामिक संगठनों व वामपंथियों के प्रति नरम रवैए को ही प्रदर्शित करता है। बंगाल में बीजेपी को लोकतांत्रिक रूप से व्यापक समर्थन भी मिला है जोकि श्री अमित शाह और श्री कैलाश विजयवर्गीय के रैली आदि कार्यक्रम में जुटी भीड़ से लगाया जा सकता है । यहां यह कहना तर्कसंगत ही होगा कि भारत की जनता ने भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर ही समर्थन दिया है। इसलिए ममता बनर्जी के सत्तालोलुप कदम को अलोकतांत्रिक कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।वर्तमान में ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस पार्टी के समक्ष अपना प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती है। यह चुनौती किसी किसी और ने नहीं, बल्कि उनके करीबियों ने ही पैदा की है। प्रायः सुनने में आता है कि तृणमूल कांग्रेस का कोई भी नेता अपने विरोधी राजनीतिक दल के नेता को सहन करने की मानसिक स्थिति में नहीं है। सवाल यह आता है इस प्रकार की मानसिकता का निर्माण किसने किया? स्वाभाविक ही है कि वरिष्ठ नेतृत्व के संरक्षण के बिना यह संभव ही नहीं है। इसी कारण बंगाल में लगातार होती राजनीतिक हिंसा में सीधे-सीधे तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को आरोपी समझ लिया जाता है। ऐसे घटनाक्रमों को देखकर जो व्यक्ति राष्ट्रहित सर्वोपरि में विश्वास रखते हैं, वे तृणमूल कांग्रेस से दूरी बनाते जा रहे हैं। अभी तक कई दिग्गज राजनेता तृणमूल से दामन छुड़ा चुके हैं। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कैलाश विजयवर्गीय के अनुुसार यह संख्या और बढ़ने वाली है। गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि ममता दीदी का यही व्यवहार रहा तो बंगाल के विधानसभा चुनावों के समय तक अकेली खड़ी रह जाएंगी। अमित शाह द्वारा यह कहना कहीं न कहीं यही संकेत कर रहा है कि भाजपा अपेक्षित सफलता के प्रति आशान्वित है।पश्चिम बंगाल के बारे में कहा जाता है कि राज्य की सबसे बड़ी समस्या बांग्लादेशी घुसपैठ की है। जहां राजनीतिक संरक्षण के चलते यह घुसपैठिए असामाजिक अराजक तत्व कोरोनावायरस की तरह फैल रहे हैं। इसके पीछे मूल कारण यही माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन्हीं घुसपैठियों के समर्थन से अपनी भ्रामक राजनीति कर रही हैं।जोकि बंगाल के युवाओं के लिये रोजगार की दृष्टि से बड़ा छलावा प्रतीत हो रही है क्योंकि जो बंगाल के मूलनिवासी है उनके हिस्से का निवेश तो घुसपैठियों की जेब में जा रहा है पर कहते हैं कि हर बुराई का निष्प्रभावी होना तय है। अब कयास लगायें जा रहे हैं कि बंगाल में अब महापरिवर्तन होने वाला है। बंगाल में घुसपैठिया कुचक्र अब कैलाश जी की वक्र गरूण दृष्टि से सुलझ सकेगा और बंगाल में अपराधरूपी जमा कचरा कैलाश विजयवर्गीय की कुशल नीति नियम और विकास नियत से ही हटेगा। कहना गलत न होगा कि श्री कैलाश विजयवर्गीय, बंगाल के योगी सिद्ध होगें। जिस तरह बिगड़ी यूपी की तस्वीर महान सामाजिक कार्यकर्ता गौरक्षापीठेश्वर महंत मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपनी अथक मेहनत से संवारी है बिल्कुल बंगाल की भी धुधुंली तस्वीर और दुखद तकदीर को सिर्फ़ कोटा की माटी और इंदौर की शान श्री कैलाश विजयवर्गीय ही संभाल सकते हैं जिनका पूरा सपोर्ट डिप्टी सीएम बनकर बाबुल सुप्रीओ दे सकते हैं। यह कोई भविष्यवाणी नहीं बल्कि भविष्य की सुनी जा सकने वाली सुआहट है। यह इसलिये भी सिद्ध हो जाता है कि श्री कैलाश विजयवर्गीय जी का पूरा राजनैतिक जीवन अनुभव और फिलहाल में बंगाल जैसे कट्टर प्रदेश में वह निर्भयता से डटे रहे हैं। आज भी उनके अंदर राजनीति जीत का जोश और कर्मठता सकारात्मक धार्मिक हिंदुत्व विचारधारा की प्रबल छवि व सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण भाव उनका महान व्यक्तित्व और दो टूक सत्य वचन व पार्टी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर सबको आगें बढ़ाने की जिंदादिल सोच ने ही उन्हें बीजेपी का एक सशक्त प्रभावशाली लीडर बनाकर जनता के सामने प्रस्तुत किया है। वह हमेशा ही हमारे देश के महानतम् प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के हृदय से प्रशंसक रहे हैं । उनका सम्पूर्ण व्यकित्व, बेदाग जांबाज़ शख्सियत का रहा है। कई बार आरोप लगे कि वह जूता उठा लेते हैं और उनके सुपुत्र श्री आकाश विजयवर्गीय जी बैट उठा लेते हैं। इस पर मैं सिर्फ़ इतना ही कहूंगी कि जिस व्यक्ति का, गलत और पाप को देखकर खून नहीं खौलता और उसे गुस्सा नहीं आता तो वह सही मायनों में इंसान ही कहलाने लायक नहीं है, वह तो किसी पार्टी की कठपुतली मात्र है। पर श्री कैलाश विजयवर्गीय और उनके सुपुत्र और पार्टी का स्वभाव अधर्म के खिलाफ़ बुलंद आवाज़ उठाने व क्रियान्वयन करने का रहा है। जिसे हाल ही में सर्जिकल स्ट्राइक से नापाक पाकिस्तान ने देखा और तम्बू उखाड़ते हुए बदनियत चीन ने भी देखा और झेला। इन दोनों देशों ने ही नहीं आज कोरोना वैक्सीन के रूप में भारत की प्रेम और मदद वसुधेव कुटुंबकम संस्कृति की पूरे विश्व में खुले दिल से प्रशंसा हो रही है। आज पूरे विश्व ने भारत के महानैतृत्व श्री मोदी जी की शक्ति का लोहा माना है। जिसमें गृहमंत्री श्री अमित शाह जी का भी परचम किसी से छिपा नहीं है।अब इन सब स्थितियों में अमित शाह के दो सौ से अधिक सीटों पर जीत का दावा सच हो भी सकता है ? फिलहाल बंगाली सत्ता का ऊँठ किस करवट बैठेगा यह कहना जल्दबाजी है पर अनिश्चितता नहीं। लेकिन बंगाल में जिस प्रकार राजनीतिक कोल घोटाले /भ्रष्टाचार का प्रदूषित वातावरण प्रदर्शित हो रहा है, कामोबेश यह बताने के लिए काफी है कि ममता बनर्जी की आज की भ्रष्ट राजनीतिक राहें उनको मंजिल तक पहुंचाने में अब लिफ्ट नहीं बन सकेंगीं। अंत में एक महिला लेखक होने के नाते विश्व महिला दिवस के सुअवसर पर मैं बंगाल की महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी से विनम्रतापूर्वक पूछना चाहती हूं कि इतने लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने कोलकाता के सोनागाछी ऐरिया(शब्दार्थ – सोने का पेड़) के महिला अपमानरूपी अंधेरे को अपनी विभिन्न योजनाओं से सुन्दर, प्रकाशित और सम्मानित भाव से शिक्षित विकसित, सम्मानित जीवन जीने लायक आत्मनिर्भर क्यों नहीं किया? जबकि आप मुख्यमंत्री हैं आप के लिए कुछ भी असंभव नहीं। जब जम्बू कश्मीर से बीजेपी अनुच्छेद 370 हटा सकती है तो आप भी सोनागाछी की सूरत व सीरत बदल सकतीं थीं पर अफसोस! ऐसा हुआ नहीं ? बता दें कि कोलकाता का सोनागाछी स्लम भारत ही नहीं, एशिया का सबसे बड़ा रेड-लाइट एरिया है। यहां कई गैंग हैं जो इस देह-व्यापार के धंधे को संचालित करते हैं।इस स्लम में 18 साल से कम उम्र की करीब 12 हजार लड़कियां देह व्यापार में शामिल हैं। जोकि मानवता की दृष्टि से सबसे दर्दनाक है। हर गरीब को हर अन्याय पीड़ित को अब बदलाव में विकास की आस है जोकि कैलाश हैं तो आस है, कैलाश हैं तो विश्वास है और मोदी हैं तो मुमकिन है (सबकुछ सम्भव विचारधारा) पर टिकी है।चूँँकि प्रधानमंत्री जी नेे साफ कर दिया है कि बंगाल का मुख्यमंत्री बंगाली ही होगा तो जो भी होोगा बीजेपी की बेहतरीन सोच और बंगाल के विकास पुनर्थान के लिए एक अवतार सो कम ना होगा। इसी विश्वास पर पूरी बंगाल की नजरें व पूूरी देश की नजरें गढ़ी हैं।

__ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

Sach ki Dastak

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