मोदी की सौगात – रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र नाम की घोषणा –

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मोदी की सौगात – रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र, हैवलॉक को स्वराज, नील को शहीद नाम से प्रस्तावित –

 

पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी ने आज ही के दिन 75 साल पहले अंडमान-निकोबार में तिरंगा फहराया था।

आजादी के नायक हमेशा अमर रहेंगे। अब से रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप के नाम से जाना जाएगा। पोर्ट ब्‍लेयर में नेताजी स्‍टेडियम में झंडा फहराने के 75 साल पूरे होने के समारोह में वह बोल रहे थे। 30 दिसंबर 1943 की उस ऐतिहासिक घटना को आज 75 वर्ष पूरे हो गए हैं।  

उन्‍होंने कहा कि अंडमान निकोबार के कोने-कोने में विकास की लहर फैलाएंगे। अब से हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप होगा। उन्‍होंने कहा कि आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान की इस धरती को भारत की आजादी की संकल्प भूमि बनाया था।

आज उसी की याद में यहां पर 150 फीट ऊंचा ध्वज फहराकर हम अपने इस दिन को देशवासियों की चिरस्मृति में अंकित करने का प्रयास किया है। जब आजादी के नायकों की बात आती है तो नेता जी सुभाषचंद्र बोस का नाम हमें गौरव से भर देता है।

सुभाष चन्द्र बोस का भी ये मानना था कि हम सभी प्राचीन काल से ही एक हैं, गुलामी के समय में इस एकता में छिन्न-भिन्न करने का प्रयास जरूर हुआ है।

आज मुझे प्रसन्नता है कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत को लेकर नेताजी की भावनाओं को 130 करोड़ भारतवासी एक करने में जुटे हैं। गुलामी के लंबे कालखंड में अगर भारत की एकता को लेकर कोई शक और संदेह पैदा हुआ है, तो वो सिर्फ मानसिकता का प्रश्न है, संस्कारों का नहीं। 

पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास, बीता हुआ कल है तो इतिहास आने वाले कल का एहसास भी है। नेताजी का ये दृढ़ विश्वास था कि एक राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान पर बल देकर मानसिकता को बदला जा सकता है। इतिहास हमें सतर्क करता है, तो इतिहास हमें सजग रहना भी सिखाता है।

केंद्र सरकार साढ़े 4 वर्षों से अपने वैभवशाली इतिहास के हर छोटे से छोटे हिस्से को उभारने का प्रयास कर रही है। उसे देशवासियों के सामने प्रेरणा के तौर पर रखने में जुटी है क्योंकि इतिहास, घटना है तो इतिहास गहना भी है।

इतिहास हमें नई उम्मीदों, नए सपनों को देखने का हौसला देता है, तो इतिहास हमें भविष्य के लिए खुद को समर्पित करने का साहस भी देता है।

इतिहास, पुरुषार्थ पराक्रम, पीड़ा को संजोए है तो इतिहास, पुरुषार्थ पराक्रम की प्रेरणा भी है। इतिहास हमारे प्रयत्नों का पारखी है, तो इतिहास हमारे परिश्रम का प्रतिबिंब भी है।

उन्‍होंने कहा कि यहां बिजली, पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अहम प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है।

अगले 20 साल के लिए पानी की समस्या ना हो इसके लिए धानीकारी बांध की ऊंचाई बढ़ाई जा रही है। बीते 6 महीने में ही यहां 7 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट्स को मंज़री दी जा चुकी है।

पीएम मोदी रविवार को सेल्युलर जेल भी गए और वहां शहीदों को श्रद्धांजलि दी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस जेल में 650 राजनैतिक बंदियों को रखा गया था। पीएम ने वीर सावरकर को उनके कोठरी में जाकर नमन किया और कुछ वक्त उनकी याद में बिताया । 

Sach ki Dastak

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