मेरे प्रिय ईश्वर ✍️राजीव डोगरा

1
मेरे प्रिय ईश्वर 
मैं तुम्हें जानता नहीं, 
मैंने तुम्हें कभी देखा भी नहीं है।
मगर फिर भी 
तुम मेरी भावनाओं में,
मेरी आत्मा रहते हो। 
जीवन मेरे में 
अनेक उतार-चढ़ाव आए,
मैं हंसा भी बहुत रोया भी बहुत
मगर तुम्हें न जानते हुए भी
तुम्हारी अनुभूति मुझे 
हर पल, हर जगह होती रही।
लोगों ने मेरे साथ 
अच्छा भी किया और बुरा भी
 हंसाया भी बहुत और 
रुलाया तो कई गुणा ज्यादा ही था।
मगर फिर भी 
जब भी अकेला हुआ।
मुझे तेरी मुस्कुराहट ही दिखाई दी 
किसी खुले आसमान में चमकती।
__राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(भाषा अध्यापक)

Sach ki Dastak

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Kamlesh vajpeyi
4 years ago

सुन्दर अभिव्यक्ति..!

1
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x